यूपी में तनाव रोकने के लिए रिहाई मंच ने शुरू किया संवाद बहाली अभियान

उत्तर प्रदेश में जगह जगह पैदा हो रहे तनाव और मारपीट की घटनाओं पर रिहाई मंच का कहना है कि लॉकडाउन के बाद आए प्रवासी मजदूर गांव की संरचना से ज्यादा वाकिफ नहीं हैं इसलिए ज्यादातक घटनाएं इन्हीं लोगों के कारण हो रही हैं। इसलिए जरूरी है कि लोगों के बीच संवाद प्रक्रिया तेज की जाए। रिहाई मंच का कहना है गांवों के लोग भी चाहते हैं कि शांति रहे और सब लोग मिलजुल कर रहें।

इसी संवाद बहाली के तहत रिहाई मंच ने आजमगढ़ के महरागंज के सिकंदरपुर आयमा जहां 10 जून की शाम दो पक्षों में मारपीट हुई थी का दौरा किया. रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, अवधेश यादव, उमेश कुमार, विनोद यादव और बांकेलाल प्रतिनिधि मंडल में शामिल थे. घटना में घायल जयभीम, सुधीर, अविनाश, लालबहादुर, गीता, अनीता, मीरा, सुरेखा, अंकिता, आनंद और चंदन से भी मुलाकात की. पीड़ित पक्ष ने दोषियों कि गिरफ्तारी की मांग करते हुए गांव में संवाद बहाली की प्रक्रिया का समर्थन किया.

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि प्रदेश में जगह-जगह पर हो रहे तनाव को लेकर रिहाई मंच सवांद स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. आजमगढ़ के सिकंदरपुर आयमा और जौनपुर के भरेठी की घटनाओं को लेकर सूबे कि राजनीत गर्म है लेकिन उस गांव के नौजवान-बुजुर्ग सभी चाहते हैं कि दोषियों को सजा दी जाए और सभी मिल जुलकर रहें.

लाकडाउन के बाद आए प्रवासी मजदूर गांव कि संरचना से उतना वाकिफ नहीं रहते हैं जितना कि ग्रामवासी. इसीलिए इस घटना में देखा जा सकता है की मुख्य आरोपी से लेकर अन्य आरोपी अधिकांश मुंबई या अन्य जगहों से लॉक डाउन के बाद गांव आए हैं.

प्रतिनिधि मंडल के बांकेलाल, उमेश कुमार, अवधेश यादव, विनोद यादव को आयमा गांव के अनुराग बताते हैं की दूसरे पक्ष ने इसको इगो का सवाल बना लिया. जब जयभीम को बुरा-भला कहा गया तो जयभीम ने सुहेल कि मां से शिकायत की. अगर वहीं पर मार-पीट नहीं होती केवल बातचीत हुई होती तो ऐसी घटना नहीं होती.

गांव में हुई घटना पर दुख जताते हुए आनंद कहते हैं कि बच्चों के बीच हुए विवाद में अभिभावकों ने सही भूमिका ली होती तो ये घटना नहीं होती. गांव के ही लालू कहते हैं की गांव का सामंती ढांचा जिसमें उच्च जाति का लड़का भी निचली जाति के बुजुर्ग के कंधे पर हाथ रखकर समझाता है यह मानसिकता ऐसी घटनाओं को जन्म देती है.


विज्ञप्ति पर आधारित

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