मोदी-राज में संविधान और लोकतंत्र के बाद संप्रभुता भी खतरे में- AIPF

 

ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट का राजनीतिक प्रस्ताव

 

जब राम मंदिर/बाबरी मस्जिद विवाद पर माननीय उच्चतम न्यायालय ने एक फैसला दे दिया तो उस से सहमत/असहमत होते हुए भी लोकतान्त्रिक नागरिक समाज ने इच्छा व्यक्त की थी कि चलिए एक विवाद हल हुआ और अब सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा फिलहाल धर्म और राजनीति को मिलाने की कोशिश न करके लोगों के सवालों के समाधान के लिए राजनीति होगी और लोगों की धार्मिक भावनाओं का उपयोग निजी दल और राजनीतिक फायदे के लिए नहीं होगा.

दुर्भाग्यवश 5 अगस्त, 2020 के दिन को देश को यह सन्देश देने के लिए चुना गया कि भारतीय जनता पार्टी आरएसएस की नीति और दर्शन के अनुसार संविधान की धारा 370 को हटाने और अयोध्या में राम मंदिर बनाने में सफल हुयी है और यह संघ के दर्शन और नीति की जीत है. उसके लिए 5 अगस्त एक ऐतिहासिक दिन है. जबकि सच्चाई यह है कि जम्मू-कश्मीर की समस्या और भी जटिल हो गयी है और पूरा कश्मीर धीरे-धीरे एक जेलखाने में तब्दील होता जा रहा है. न वहां विकास हुआ है और न ही शांति या स्थिरता आयी. जम्मू-कश्मीर के बारे में मोदी सरकार की जो दुस्साहसिक नीति थी उसने पाकिस्तान में भी यह साहस पैदा कर दिया है कि वह जूनागढ़ से लेकर जम्मू-कश्मीर तक को अपने नए राजनीतिक नक़्शे में पाकिस्तान का हिस्सा कहने का अनर्गल प्रलाप कर रहा है जबकि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और गहरा हो गया है. अमेरिका कोई भारत के पक्ष में खड़ा होता दिखाई नहीं दे रहा है बल्कि भारत और चीन के बीच मध्यस्तता की बात करता दिखाई दे रहा है.

देश गहरे आर्थिक संकट, बेरोज़गारी और भुखमरी के दौर से गुज़र रहा है और अंधी गली में फंस गया है. उत्तर प्रदेश में पुलिस राज चल रहा है और माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों तक का अनुपालन नहीं हो रहा है. कोविड के मरीज़ गहरे संकट का सामना कर रहे हैं. मोदी सरकार ने संविधान और लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा पैदा कर दिया है. अब तो देश की संप्रभुता तक खतरे में है.

आश्चर्य होता है कि भारतीय जनता पार्टी और एनडीए के विकल्प का दम भरने वाली कांग्रेस और यूपीए भारतीय जनता पार्टी के तथाकथित रामराज्य की प्रतिद्वंदिता में उतर आई है. ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट राष्ट्रीय आज़ादी के आन्दोलन के आदर्शों के अनुरूप एक धर्म निरपेक्ष एवं लोकतान्त्रिक भारत के निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पुनः दोहराता है और भारतीय गणराज्य में जनता की संप्रुभता को स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही धर्म और राजनीति के मिलाने की किसी भी कोशिश से जनता को सजग रहने के लिए आगाह करता है. एआईपीएफ सामाजिक और सामुदायिक विषमता के विरुद्ध है और समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व पर आधारित समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता ज़ाहिर करते हुए वित्तीय पूँजी के समर्थन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी द्वारा देश की राजनीतिक व्यवस्था को अधिनायाकवादी बनाने की कोशिश को जनता द्वारा शिकस्त देने की क्षमता पर अपना विश्वास व्यक्त करता है.

ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट 9 अगस्त को मजदूर संगठनों और ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) द्वारा आहूत कार्पोरेट की लूट के खिलाफ “किसान बचाओ अभियान” का समर्थन करेगा और 9 अगस्त को “लोकतंत्र बचाओ दिवस” के बतौर मनायेगा. आगामी 15 अगस्त को संवाद समूह समेत अन्य जनवादी प्रगतिशील संगठनों द्वारा जारी संकल्प पत्र के साथ अपनी एकजुटता प्रकट करेगा.


एआईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस आर दारापुरी द्वारा जारी

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