गुजरात: पेप्‍सी कंपनी के खिलाफ किसान संगठनों ने मोर्चा क्‍या खोला, कंपनी सुलह पर आ गई

पिछले दिनों शीतल पेय पेप्‍सी और आलू चिप्‍स लेज़ बनाने वाली बहुराष्‍ट्रीय कंपनी पेप्‍सीको ने गुजरात के चार किसानों के ऊपर 4.2 करोड़ का मुकदमा ठोंक दिया था क्‍योंकि इन किसानों ने लेज़ चिप्‍स बनाने वाले आलू की किस्‍म पैदा की थी। शुक्रवार को जब मामला अमदाबाद की अदालत में आया तो कंपनी ने प्रस्‍ताव दिया कि वह सुलह करने और मुकदमा वापस लेने को तैयार है यदि किसान उक्‍त किस्‍म के आलू को उगाना छोड़ दें, जो कि कंपनी के नाम पर पंजीकृत है।

दरअसल, चार किसानों में प्रत्‍येक पर एक करोड़ से ज्‍यादा का मुकदमा किए जाने के बाद किसानों ने आंदोलन छेड़ दिया था और सरकार से इस मामले में हस्‍तक्षेप करने की मांग की थी। किसानों का कहना था कि यह मुकदमा भविष्‍य के लिए एक नज़ीर बन जा सकता है। किसान संगठनों का कहना था कि कानूनन वे किसी भी किस्‍म की फसल या बीज को उगाने के लिए स्‍वतंत्र हैं जब तक कि वे उक्‍त किस्‍म की ब्रांडेड फसल या बीज की बिक्री न करते हों।

बीते 9 अप्रैल को अमदाबाद की एक अदालत ने एकतरफा तरीके से किसानों के खिलाफ फैसला दे दिया था और इस मामले की जांच के लिए एक आयुक्‍त नियुक्‍त कर दिया था। पेप्‍सीको ने यह मुकदमा पौध प्रजाति और किसान अधिकार संरक्षण अधिनियम 2001 की धारा 64 के तहत करते हुए अपने अधिकारों के अतिक्रमण की बात कही थी। इसके बाद किसान संगठनों ने इस मामले में सारे हजाने के भुगतान की नेशनल जीन फंड से मांग की थी।

किसान संगठनों से केंद्र सरकार से अदालत में अपनी ओर से पैरवी करने की मांग की थी और अखिल भारतीय किसान सभा ने लेज़ चिप्‍स सहित आलू से बनाए जाने वाले पेप्‍सीको के सभी खाद्य पदार्थों का बहिष्‍कार करने का आह्वान किया था।

किसान संगठनों के आंदोलन और कड़े रुख के चलते शुक्रवार को हुई सुनवाई में कंपनी ने नरमी दिखाते हुए इस शर्त पर मुकदमा लेने की पेशकश की कि किसान आलू की उक्‍त किस्‍म नहीं उपजाएंगे।

इस मामले की अगली सुनवाई 12 जून को होनी है।

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