आखिरकार अहमदाबाद हाईकोर्ट में भी कुछ वैसा ही प्रक्रम दोहराया गया, जैसा दिल्ली दंगों की सुनवाई के बाद – दिल्ली हाईकोर्ट में हमने देखा था। कोरोना संक्रमण के इलाज और टेस्टिंग को लेकर गुजरात के अहमदाबाद स्थित सिविल अस्पताल को कालकोठरी से भी बद्तर बताने वाली जजों की खंडपीठ में बदलाव कर दिया गया है। इसके साथ ही जस्टिस इलेश.जे.वोरा को पीठ से हटा दिया गया है। अब इस की सुनवाई चीफ जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जे.बी.पर्दीवाला करेंगे। अचानक से जजों के रोस्टर में बदलाव और जस्टिस वोरा का हटाया जाने पर तमाम सवाल खड़े हो गए हैं। बता दें कि जस्टिस जे.बी. पर्दीवाला, और इलेश जे.वोरा. की पीठ ने गुजरात सरकार पर सख्त टिपण्णी करते हुए पर्याप्त टेस्टिंग न किये जाने, अस्पतालों में वेंटीलेटर्स के न होने और सिविल अस्पताल की दयनीय स्थिति पर सवाल खड़े किये थे। 11 मई से इस मामले स्वतः संज्ञान लेते हुए जस्टिस जे.बी.पर्दीवाला की अगुवाई में सुनवाई शुरू हुई थी। 25 मई की सुनवाई में कहा गया था कि सिविल अस्पताल में औचक निरीक्षण किया जा सकता है और अभी राज्य सरकार को इस मामले में क्लीन चिट नहीं दी जा सकती। अब गुरुवार को रोस्टर चेंज के बाद नई बेंच में मामले की सुनवाई में सीनियर होंगे चीफ जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पर्दीवाला जूनियर जज के तौर पर होंगे।
Roster change in Gujarat HC. Now, the pleas on COVID-19 control measures and migrants issues to be heard by a different bench composition of CJ Vikram Nath and Justice J B Pardiwala now to hear the matters.
The matter was being heard by bench of JJ Pardiwala and Ilesh J Vora. pic.twitter.com/a9YhH9MbhS
— Live Law (@LiveLawIndia) May 28, 2020
गुजरात हाईकोर्ट में हुए इस बदलाव को लेकर आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने ट्वीट किया कि गुजरात की घटिया स्वास्थ्य व्यवस्था के बारे में कहा- जज साब बदल गए। कपिल मिश्रा पर एफ.आई.आर. के लिए कहा हाईकोर्ट के जज साब बदल गए। जिसने राफेल पर क्लीन चिट दी- सुप्रीम कोर्ट के जज साब संसद में पहुंच गए। विश्व गुरु बनने की राह पर अग्रसर।
गुजरात की घटिया स्वास्थ्य व्यवस्था के बारे में कहा – हाई कोर्ट के जज साब बदल गए
कपिल मिश्रा पर एफआईआर के लिए कहा — हाई कोर्ट के जज साब बदल गए
जिसने राफेल पर क्लीन चिट दी – सुप्रीम कोर्ट के जज साब संसद में पहुंच गए
विश्व गुरु की राह पर अग्रसर ।
— Saurabh Bharadwaj (@Saurabh_MLAgk) May 28, 2020
कोरोना वायरस के समय में “गुजरात मॉडल” पर हाईकोर्ट की सख्ती
22 मई 2020 की सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार को कोरोना संक्रमण के इलाज में लापरवाही बरतने और वेंटीलेटर्स की कमी की बात भी कही गयी थी। साथ ही उस समय तक गुजरात में कोरोना संक्रमण से 377 लोगों की मृत्यु होने पर जजों की पीठ ने कहा था कि अकेले 45 फ़ीसदी मृत्यु सिविल अस्पताल में हुई है। इसके पहले भी गुजरात सरकार पर वेंटीलेटर्स के नाम पर एम्बु बैग्स लगवाने की बात सामने आई थी। साथ ही कांग्रेस ने गुजरात सरकार पर मास्क को लाभ कमाने के मकसद से बेचने का आरोप लगाया गया था। कोरोना वायरस की टेस्टिंग को लेकर भी गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट से कहा था कि टेस्ट होने पर 70 फ़ीसदी आबादी पॉजिटिव पाई जा सकती है। पूर्व बेंच ने सरकार के उत्तर को नकारते हुए कहा था कि आपके पास टेस्टिंग न करने का ये कोई स्पष्टीकरण नहीं है। कोरोना के ताज़ा आंकड़ो को देखें तो अब तक गुजरात में 15 हज़ार 572 कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। जिसमें से 6 हज़ार 609 मामले एक्टिव हैं और 8 हज़ार 3 लोग अब तक इससे ठीक हो चुके हैं। कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या 960 तक पहुंच गयी है।
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