यूपी में दमन-उत्पीड़न के खिलाफ 14 जुलाई से माले का प्रदेशव्यापी जन अभियान

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) योगी सरकार में दमन-उत्पीड़न व जंगल राज के खिलाफ लोकतंत्र के लिए 14 जुलाई से प्रदेशव्यापी जन अभियान चलाएगी। कोरोना सतर्कता संबंधी नियमों का पालन करते हुए अभियान 20 जुलाई तक चलेगा।

यह जानकारी देते हुए भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने सोमवार को बताया कि सप्ताह भर के अभियान के दौरान पार्टी के नेता-कार्यकर्ता लोगों के बीच जाएंगे और प्रदेश में दलित-आदिवासी उत्पीड़न, आंदोलनकारियों के दमन व जंगल राज को लेकर योगी सरकार का पर्दाफाश करेंगे। गंभीर रूप से बीमार सुप्रसिद्ध कवि वरवर राव, गोरखपुर के बाल चिकित्सक डॉ. कफील खान समेत जेल में बंद समाजसेवियों की रिहाई, राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर दर्ज फर्जी मुकदमों की वापसी, कमजोर वर्गों पर अत्याचार के मामलों में न्याय, लोकतंत्र की बहाली और आयकर सीमा के बाहर सभी को प्रतिमाह प्रति यूनिट 10 किलो राशन, दस हजार रु. लॉकडाउन भत्ता व रोजगार की मांग की जाएगी। बैठक, सभा, मार्च आयोजित कर व ज्ञापन देकर अभियान का समापन होगा।

राज्य सचिव ने कहा कि मोदी-योगी की सरकार कोरोना आपदा से निपटने में असफल साबित हुई है। मरीजों की तेजी से बढ़ती संख्या इसका प्रमाण है और इस मामले में भारत दुनिया के देशों में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। मगर महामारी के दौर में भी भाजपा की केंद व प्रदेश सरकार आपदा को लोकतंत्र-विरोधी कामों व संघी एजेंडे को लागू करने के अवसर के रूप में इस्तेमाल करने से चूक नहीं रही हैं। उदाहरण के तौर पर, डीजल-पेट्रोल के दाम बेतहाशा बढ़ा दिए गए। रेलवे, कोयला खादान से लेकर सार्वजनिक उपक्रमों का तेजी से निजीकरण किया गया। रक्षा क्षेत्र को विदेशी पूंजी के लिए खोल दिया गया। किसानों-मजदूरों को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाली नीतियों को कारपोरेट के हित में फटाफट मोड़ दिया गया। लोकतंत्र-धर्मनिरपेक्षता को छात्रों के सिलेबस से हटा दिया गया और असहमत नागरिकों-पत्रकारों को डराने-धमकाने से लेकर जेल तक भेज दिया गया।

माले नेता ने कहा कि कानपुर के बिकरु कांड ने जहां कानून-व्यवस्था के योगी सरकार के दावों की पोल खोल दी, वहीं धारावाहिक मुठभेड़ों ने न्याय-व्यवस्था की धज्जियां उड़ा कर रख दीं। इससे जुड़े सभी मामलों की सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में जांच करा कर असलियत को उजागर करने के बजाय प्रदेश सरकार की ओर से लीपापोती करने की कोशिश शुरू कर दी गई है।

राज्य सचिव ने कहा कि भाजपा की सरकार में सत्ता की शह पाकर दबंग ताकतें समाज के कमजोर वर्गों व महिलाओं पर अत्याचार कर रही हैं। लॉकडाउन के दौरान सोनभद्र के दुद्धी में दो-दो आदिवासियों की खनन माफियाओं ने हत्या कर दी। अमरोहा में मंदिर में पूजा के लिए जाने पर दलित नाबालिग की हत्या कर दी गई। गोरखपुर, आजमगढ़ व चंदौली के चकिया में दबंगों ने दलितों के घरों पर चढ़कर हमले किये। कानपुर शेल्टर होम से लेकर चित्रकूट तक नाबालिग लड़कियों का उत्पीड़न हुआ। मिर्जापुर में गरीबों के हक के लिए संघर्षरत माले-ऐपवा की नेता कामरेड जीरा भारती पर जानलेवा यौन हमला हुआ, एफआईआर दर्ज होने पर भी हमलावर आजाद हैं। न्याय मिलना दूर की कौड़ी हो गई है।

माले नेता ने कहा कि योगी राज में निशाने पर अपराधी नहीं, आंदोलनकारी हैं। डॉ. कफील जैसे अल्पसंख्यक तो ‘टारगेट’ में पहले से ही हैं। लोकतंत्र की आवाज उठाने के कारण सीतापुर, लखीमपुर खीरी, मुरादाबाद, अयोध्या से लेकर प्रयागराज, मिर्जापुर तक भाकपा (माले) के नेताओं-कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुलिस द्वारा फर्जी मुकदमे कायम किये गए हैं। लखनऊ समेत प्रदेश में सीएए-विरोधी एक्टिविस्टों, महिलाओं व समाजसेवियों को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है। इन सभी मुद्दों को अभियान में उठाते हुए न्याय की मांग की जायेगी।


विज्ञप्ति पर आधारित

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