अयोध्या: संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर रोक लगाने का विरोध

अयोध्या के राम-जानकी मंदिर, वशिष्ठ कुण्ड, सरयू कुंज में सर्व धर्म सद्भाव न्यास की ओर से 17-18 अगस्त, 2019 को होने वाली दो दिवसीय बैठक पर गैर कानूनी तरीके से प्रतिबंध लगाने, लखनऊ से सड़क मार्ग से आ रहे प्रोफेसर राम पुनियानी, जो खासकर इस कार्यक्रम के लिए मुम्बई से आए थे, व संदीप पाण्डेय, राजीव यादव, हफीज किदवई, अनुराग शुक्ल, अजय पटेल, आशीष यादव, सलमान रायनी, अभ्युदय प्रताप सिंह, इरम, घनश्याम को रौनाही टोल प्लाजा पर रोक लेने, राम जानकी मंदिर के महंत व कार्यक्रम के आयोजक आचार्य युगल किशोर शरण शास्त्री को मंदिर से गिरफ्तार कर रौनाही ले आने, देश भर से आए शिविरार्थियों, जिसमें वाराणसी से 15 महिलाओं का एक समूह तथा दिल्ली से 7 नवजवानों का दूसरा समूह भी शामिल था को धमका कर व दबाव डाल कर वापस भेज देने और इस प्रकार कार्यक्रम को असफल करने की हम भर्त्सना करते हैं।

जिला प्रशासन के पास कार्यक्रम पर रोक लगाने का कोई आदेश नहीं था। उप जिलाधिकारी अर्पित व अपर पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र कुमार सिंह के पास सिर्फ 10 जुलाई, 2019 का जिलाधिकारी का एक पूर्व में जारी किया आदेश था जिसमें अन्य बातों के अलावा यह कहा गया है कि ऐसे कार्यक्रम जिनसे साम्प्रदायिक सौहार्द को खतरा हो पर रोक है। अधिकारी बार-बार अयोध्या में लगी धारा 144 का जिक्र कर रहे थे। वे यह भी कह रहे थे कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को शिथिल कर देने व 35ए को हटा देने से देश का माहौल बदल गया है, जिस वजह से अयोध्या में इस संवेदनशील मुद्दे पर कार्यक्रम को रोकना पड़ा है।

अयोध्या जिले की पुलिस 17 अगस्त तड़के ही लखनऊ में इंदिरा नगर स्थित संदीप पाण्डेय के निवास पर पहुंच गई जहां राम पुनियानी भी ठहरे हुए थे। इन दोनों के दो गाड़ियों में अयोध्या निकलते समय पुलिस ने बताया कि कार्यक्रम की अनुमति नहीं है और अयोध्या में धारा 144 लगी है। पुलिस की जीप दोनों गाड़ियों के साथ ही रौनाही तक आईं और फिर वापसी में भी दोनों गाड़ियों को अलग-अलग पुलिस जीपें इंदिरा नगर तक छोड़ने आईं। पुलिस द्वारा इस तरह नजर रखना आश्चर्य में डालने वाला है और प्रशासन को किस बात का डर था यह समझ से परे है।

हम जिला प्रशासन से पूछना चाहते हैं कि सर्व धर्म सद्भाव न्यास के किसी कार्यक्रम से साम्प्रदायिक सद्भाव को कैसे खतरा उत्पन्न हो सकता है? मंदिर के अंदर सीमित लोगों की बैठक, शिविर में कोई 40-50 लोगों के शामिल होने की सम्भावना थी, पर धारा 144 कैसे लग सकती है? यह बैठक न्यासी मण्डल के सदस्यों व उनसे जुड़े लोगों की होने वाली थी। इस बैठक को कोई सार्वजनिक प्रचार नहीं किया गया था और न यह सार्वजनिक कार्यक्रम था। क्या किसी संगठन की अंदरूनी बैठक पर इस तरह प्रतिबंध लगाया जा सकता है? हमारे कार्यक्रम को प्रतिबंधित कर हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व संगठन बनाने के संवैधानिक मौलिक अधिकार का हनन हुआ है जिसके लिए जिला प्रशासन जिम्मेदार है।

सर्व धर्म सद्भाव न्यास का उद्देश्य एक ऐसे धार्मिक केन्द्र का निर्माण है जिसमें सभी धर्मों को मानने वाले अनुयायियों का स्वागत होगा। एक बहुमंजिले इमारत की कल्पना की जा सकती है जिसमें ऐतिहासिक क्रम में आए धर्मों के लिए एक-एक तल होगा, सबसे नीचे नास्तिकों के लिए एक खाली कक्ष और ऊपर भविष्य में आने वाले धर्मों के लिए गुंजाइश रहेगी।
हम समाज में साम्प्रदायिक सद्भावना को बढ़ाने के लिए काम करने वाले लोग हैं और प्रशासन द्वारा हमें बदनाम करने की जो कोशिश हुई है वह निंदनीय है। हम चाहते हैं कि अयोध्या एक ऐसा केन्द्र बने जिससे पूरी दुनिया को एक साम्प्रदायिक सद्भावना का संदेश जाए।


प्रेस विज्ञप्ति :  न्यास मण्डल, सर्व धर्म सद्भाव न्यास द्वारा जारी 

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