छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार द्वारा अडानी के लिए सरगुजा में बंदूक की नोक पर जबरन अधिग्रहित की जा रही जमीन का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अब नए आदेश में जंगलों में रह रहे आदिवासियों के परंपरागत तीर-धनुष को जब्त करने का फरमान आ गया। पढ़िए छत्तीसगढ़ से तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट
रायपुर, 3 अप्रेल 2019। छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिला में आदिवासियों के लिए वन विभाग ने एक फरमान जारी किया है। इस फरमान में कहा गया है कि अभयारण्य वाले क्षेत्र में अब आदिवासी तीर-धनुष नही रखेंगे, जो आदिवासी तीर धनुष रखेगा उसे जब्त किया जाएगा। इसके लिए वन विभाग गांवो में घूम घूम कर जांच करेगी और आदिवासियों के तीर-धनुष जब्त करेगी।
आदिवासियों के तीर-धनुष जब्त करने के फरमान को लेकर वन विभाग ने यह दलील दी है कि बारनवापारा अभयारण्य में एक वनरक्षक पर हुए तीर से हमले के बाद यह फैसला लिया गया है ।
आज दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार वन मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) केके बिसेन ने निर्देश भी जारी किया है कि उदंती-सीतानदी, बार नवापारा और भोरमदेव अभयारण्य सहित जंगल सफारी के आसपास बसे गांव के लोग अब तीर नहीं रख सकेंगे। वन विभाग की टीम जल्द ही जांच संरक्षित क्षेत्रों के अंदर और बाहर के गांवों, टोलों और मजरों में जांच अभियान शुरू करेगी ताकि तीर-धनुष को जब्त किया जा सके।
रिपोर्ट में लिखा गया है कि अभयारण्य के आसपास रह रहे कमार डेरा, शिकारी डेरा, लोहार, तीर बनाने वाले और साथ लेकर संरक्षित क्षेत्रों में विचरण करने वाले लोगों के तीर जब्त किए जाएंगे।
पहली बार वन विभाग ने इस तरह का फैसला लिया है जिसमे अभयारण्य क्षेत्र में रह रहे आदिवासियों की घर घर तलाशी लेकर तीर-धनुष जब्त किया जाएगा।
दैनिक भास्कर से सीसीएफ वन्य प्राणी ने कहा है कि वनसंरक्षक के हमले के बाद अभयारण्य वाले क्षेत्र में तीर-धनुष पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया है।