नीतीश कुमार जानते हैं…’अंत भला तो, सब भला’

बिहार विधानसभा चुनाव का अब तक का सबसे ज़्यादा चर्चा पाने वाला बयान/जुमला/एलान, चुनाव प्रचार के अंतिम दिन आया. लेकिन न तो ये बयान सांप्रदायिक था, न ही कोई निजी हमला और न ही कोई अतार्किक दावा और झूठा वादा। ये एक इमोशनल अपील थी – जिसे सच मानने वाले भावुक हो सकते हैं, खुशी से या दुख से – जैसे चाहें और झूठ मानने वाले हंस कर टाल सकते हैं या फिर उसे चुनावी स्टंट मान सकते हैं। आखिरी…बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के आख़िरी चरण के प्रचार की समाप्ति से कुछ घंटे पहले, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्णिया जिले के धमदाहा विधानसभा क्षेत्र में एक सभा के दौरान अपने राजनैतिक जीवन के भविष्य का उद्घाटन कर दिया. उन्होंने कहा,

“आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है और ये मेरा आखिरी चुनाव है…अंत भला तो सब भला.”

 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस बयान पर, उनके पुराने सहयोगी और राजद नेता शिवानंद तिवारी ने उन्हें आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश जी ने बिहार विधानसभा में घोषणा की थी कि मैं मिट्टी में मिल जाऊंगा लेकिन फिर कभी इनके यानी भाजपा के साथ नहीं जाऊंगा. आज उन्ही नीतीश ने बिहार की जनता को संदेश दिया कि यह मेरा अंतिम चुनाव है. इस प्रकार उन्होंने बिहार के मतदाताओं पर ‘भावनात्मक तीर’ चलाया हैं. चुनाव प्रचार के अंतिम दिन यह उनका अंतिम अस्त्र था.

आगे उन्होंने कहा, “जो लोग नीतीश कुमार को लंबे अरसे से जानते हैं और समय-समय पर लिए गए उनके संकल्पों से वाकिफ हैं, उनको आज की उनकी घोषणा से कोई आश्चर्य नहीं हुआ होगा. क्योंकि नीतीश जी का अतीत ही बताता है कि इस तरह के संकल्प का उनकी नजरों में कोई मोल नहीं है.”

हालाँकि बाद में जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी ने नीतीश कुमार के इस बयान को चुनावी रूप में न देखने की अपील करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के आज के इस कथन को तीसरे चरण के चुनाव से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. आगे उन्होंने कहा, ”अंतिम चरण के चुनाव में वो राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं तो यही बात वो पहले चरण के चुनाव के पूर्व या दूसरे चरण के चुनाव के दौरान भी कह सकते थे.” उन्होंने आगे जोड़ा, “नीतीश कुमार एक गंभीर व्यक्ति है और राजनीति में उनकी अपनी साख है, अगर कोई भी बात उन्होंने कहा है तो पूरी गंभीरता से और सोच समझकर कहा है.”

महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव ने भी नीतीश कुमार के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा, “हम शुरू से कहते आ रहे है कि वो पूर्णत: थक चुके है और आज आखिरकार उन्होंने अंतिम चरण से पहले हार मानकर राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर हमारी बात पर मुहर लगा दी।”

नीतीश कुमार के इस बयान को लेकर कांग्रेस ने भी प्रेस कांफ्रेंस की है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, “आदरणीय नीतीश बाबू ने तो तीसरे चरण की चुनाव की वोट पड़ने से पहले ही इस चुनाव को अपना आख़िरी चुनाव बता जदयू-भाजपा की हार स्वीकार कर ली हैं. पर जान लें कि भाजपा-जदयू का टायर्ड और रिटायर्ड नेतृत्व, जिन्होंने अब रिटायरमेंट की घोषणा भी कर डाली हैं, वो बिहार को कभी हरा नहीं पाएंगे. बिहार कभी हारा नहीं है. बिहार सदैव जीता है. बिहार महागठबंधन के साथ फिर जीतेगा”

चुनाव के शुरुआत से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावार रहे लोजपा अध्यक्ष ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि साहब ने कहा हैं कि यह उनका आख़िरी चुनाव है. इस बार पिछले 5 साल का हिसाब दिया नहीं और अभी से बता दिया कि अगली बार हिसाब देने नहीं आएँगे.

सांसद चिराग पासवान ने मतदाताओं से अपील करते हुए कहा हिं कि अपना अधिकार उनको न दें, जो फिर कल आपका आशीर्वाद माँगने नहीं आएँगे. अगले चुनाव में न साहब रहेंगे और न ही जदयू! फिर हिसाब किससे लेंगे हम लोग? जदयू प्रत्याशी को दिया गया एक भी वोट, कल आप के बच्चे को पलायन पर मजबूर करेगा. बिहार को और बर्बाद नहीं होने देना है.


जगन्नाथ, मीडिया विजिल की बिहार इलेक्शन टीम के सदस्य हैं और रिसर्च स्कॉलर हैं।

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