बिहार के सियासी थिएटर में एंट्री मोदी-राहुल की, पीएम के लंबे भाषण से बिहार के मुद्दे क्यों गायब?

बिहार के चुनावी दंगल में 23 अक्टूबर से कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गाँधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एंट्री हो गयी है। राहुल गाँधी ने गुरुवार को नवादा और भागलपुर में रैली की वहीं दूसरी और नरेंद्र मोदी ने भी सासाराम, गया और भागलपुर में तीन ताबड़तोड़ रैलियां की। नरेंद्र मोदी तीनों रैलियों में विपक्ष पर जमकर बरसे।

पीएम मोदी की पहली रैली सासाराम से शुरु हुई। नरेंद्र मोदी ने भाषण की शुरुआत बिहार की धरती को नमन करते हुए की और बिहार की क्षेत्रीय भाषा बोलकर लोगों से भावनात्मक जुड़ाव बनाने की कोशिश की। यहाँ पर रामविलास पासवान और बाबू रघुवंश प्रसाद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बिहार में इनके योगदान को याद किया। लेकिन एनडीए से अलग हुए चिराग पासवान का नाम भी नहीं लिया। इसके राजनीतिक मायने भी हो सकते हैं क्योंकि चुनाव बाद ऊंट किस ओर करवट लेगा अभी यह तय नहीं है। इसलिए हो सकता है मोदी, चिराग पर मौन धारण करने की रणनीति से चल रहे हों। ख़ैर…

सासाराम में प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर तीखे हमले करते हुए कहा कि “चुनाव में कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं की एक-दो चेहरों को बड़ा दिखाने लग जाते हैं। कुछ लोगों की उभरने की बातें फैलाई जाती हैं, लेकिन इससे वोटिंग पर असर नहीं पड़ता है। जनता ने इस बार बिहार में फिर से एनडीए की सरकार बनाने का मन बना लिया है। प्रधानमंत्री का यह भाषण अतिशयोक्ति अलंकारों में भी लिप्तनजर आया, जैसे भाषण में उन्होंने बोल दिया, “बिहार अब बीमारू राज्य नहीं रहा है और विपक्ष दलालों के साथ दे रहा है।“

लेकिन पीएम, या तो बिहार की वर्तमान हालत से अनभिज्ञ हैं या यह सब चुनावी ढकोसला है। क्योंकि आज के दौर मेंबिहार में दलाली और घूसखोरी चरम पर है। बिहार में इसी साल बाढ़ ने कई जिंदगी ले ली हैं और कोरोना के समय देश में सबसे ज्यादा श्रमिकों और मजदूरों का पलायन हुआ है तो वो बिहार में ही हुआ है। कोरोना के समय बिहार के मजदूरों की हजारों किलोमीटर पैदल चलने वाली तस्वीरें, मोदी जी को शायद दिखाई नहीं दी या उन्हें अनदेखा कर दिया, इसलिए ऐसी तथ्यहीन बातें बोल रहे हैं। शायद प्रधानमंत्री यह समझ नहीं रहे हैं कि, इस बार बिहार की जनता का मानस बदलता नज़र आ रहा है। मोदी जी ने बिहार के चुनाव में कश्मीर का मुद्दा भी ला ही दिया जो कई दिन से सुर्खियों में नहीं था। लेकिन अपने एजेंडे के तहत उन्होंने धारा 370 , राफेल विमान को लेकर विपक्ष पर दलाली का आरोप लगा दिया और विपक्ष को दलालों के साथ देने वाला बताया। बहरहालचुनावों में मोदी जी को जनता के सामने सच्चाई से रूबरू होना ही पड़ेगा। ख़ैर, चुनावों का परिणाम में तो अंतिम निर्णय बिहार के मतदाता का ही रहेगा।

उसके बाद गया की रैली से पहले भाजपा के ट्विटर हैंडल से वामपंथी पार्टियों के महागठबंधन में शामिल होने पर भी निशाना साधा गया।पीएम मोदी ने भी अपने भाषण में वामपंथियों को साथ लेकर विपक्ष पर देश को बांटने वाली शक्तियों के साथ आने का आरोप लगाया जो कि हकीकत से परे है। क्योंकि बिहार चुनाव में जो भी वामपंथी पार्टियां महागठबंधन में शामिल हैं वो भारतीय लोकतंत्र में विश्वास करने वाली है और इन पार्टियों ने दशकों से देश के विकास और सामाजिक न्याय में योगदान देने का काम किया है।

भाषण में पीएम ने नब्बे के दशक वाले बिहार को भी याद किया और उस समय के कुशासन को लेकर विपक्ष पर तीखा हमला किया, कहा कि नब्बे के दशक में लोग साधन नहीं खरीदते थे, गाँव-शहरों में बिजली नहीं थी। लोग दियोंऔर टिबरी के भरोसे जीवन यापन करते थे। लेकिन सच तो यह है कि बिहार की वर्तमान स्तिथि में आजभी रोड़, बिजली, पानी, शिक्षा की बदहाल ही है। पिछले पंद्रह साल से नीतीश की सरकार में कोई खास बदलाव नहीं आया है। आज भी हम देख सकते हैं कि गांवों में सड़कों की क्या स्थिति है, बाढ़ के समय बिहार के हालात कितने बदतर हो जाते हैं।  लेकिन इन सब मुद्दों पर बोलने से प्रधानमंत्री चालाकी से किनारा कर जाते हैं।

भागलपुर की रैली में पीएम बिहार का मिज़ाज देखते हुए बोले कि नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। लेकिन विपक्ष की रैलियों में उमड़ रही भीड़ तो बिहार की जनता के मिज़ाज की कुछ और ही कहानी बयान कर रही है। यह सवाल कौन बनेगा मुख्यमंत्री.. इसका जवाब हम आने वाले वक़्त पर ही छोड़ देते हैं। इस रैली में प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि राष्ट्रहित में लिए हुए फैसलों का विपक्ष विरोध करता है, एमएसपी पर विपक्ष भ्रम फैला रहा है और विपक्ष से ही मोदी जी सवाल कर रहे हैं कि जब वह ख़ुद सरकार में थे तब एमएसपी पर फैसला क्यूँ नहीं लिया?

और अंत में त्योहारों पर लोकल वस्तुओं की ख़रीददारी करने की कोशिश करने का सुझाव दिया और बिहार कोऔर भारत कोआत्मनिर्भर बंनाने का सब्ज़बाग भी दिखाया। वैसे यह आत्मनिर्भर बनाने का सपना, वैसा है जैसा 1 लाख 25 हज़ार करोड़ का पैकेज देकर बिहार को आत्मनिर्भर बनाने का सपना दिखाया गया था।

 

राहुल गाँधी ने भी नवादा और भागलपुर में रैलियां की है

राहुल गाँधी ने मोदी के जवाब में कहा कि प्रधानमंत्री ने देश के सामने झूठ बोला है कि हिंदुस्तान के अंदर कोई नहीं आया जबकि चीन ने हमारे 20 बहादुर जवानों को शहीद किया और 1200 वर्ग किलोमीटर जमीन हथिया ली है। और उन्होंने यह भी सवाल खड़ा किया कि ऐसी बातें कर के प्रधानमंत्री ने देश के जवानों का अपमान भी किया है। राहुल गांधी ने मुद्दों की बात करते हुए जनता के सोचने के लिए सरकार पर कुछ सीधे सवाल भी किए! नोटबन्दी से किसी को फायदा हुआ, 2 करोड़ रोजगार के वादे का क्या हुआ? जो पैसे बैंक में डाले थे कोरोना के समय वो पैसा कहाँ गया? और मोदी सरकार पर तीखा हमला भी किया कि इस समय मोदी सरकार अडानी-अम्बानी की जेब भरने में लगी है। पूंजीपतियों के कर्ज़ माफ़ी को लेकर भी कड़े सवाल खड़े किए। और साथ में खुद की राज्यों में सरकारों द्वारा किसानों के कर्ज माफ़ी का उदाहरण देते हुए मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि ये सरकार तो पूंजीपतियों के कर्ज ही माफ करती है।

राहुल गांधी ने हाल ही में एनडीए सरकार द्वारा संसद में पास किसानों से सम्बंधित तीन कानूनों का भी जिक्र किया और बोला कि अम्बानी-अडानी के लिए रस्ता साफ किया जा रहा है, आपका खेत आपके हाथ से चला जाएगा और उनके हाथ में चले जाएंगे। इसके साथ ही मंडियों और एमएसपी को खत्म करने को लेकर भी प्रहार किया।

राहुल गाँधी ने युवाओं के रोजगार को लेकर भी मोदी सरकार को घेरा और कहा कि रोजगार देने के बजाय छीने जा रहे हैं। राहुल गाँधी के साथ तेजस्वी यादव ने भी रैली को सम्बोधित किया और रोजगार को लेकर कहा कि हमारी सरकार बनने के बाद पहली केबिनेट में पहली कलम 10 लाख सरकारी नौकरी देने की ही चलेगी। तेजस्वी ने नीतीश कुमार के उद्योगों को लेकर दिए बयान पर भी तीखा हमला किया और बोला कि नीतीश जी कह रहे हैं, “बिहार में उद्योग इसलिए नहीं लग रहे कि लैंडलॉक है, समुद्र के अभाव में कारखाने नहीं लग सकते।“ तेजस्वी ने इसके जवाब में कहा कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान भी लैंडलॉक हैं फिर वहां कारखाने कैसे लगे हैं?

“नीतीश जी आप थक चुके हैं अब आपसे बिहार नहीं सम्भल सकता। इसके बाद राहुल गांधी ने भागलपुर में रैली को सम्बोधित किया और कहा कि मोदी जी ने आप पर दो कुल्हाड़ी मारी है- पहली नोटबन्दी और दूसरी GST और अब कहते हैं कि अब युवाओं को 19 लाख रोजगार देंगे।”

राहुल गाँधी ने पूछा कि फिर आप 6 साल से क्या कर रहे थे जो अब बोल रहे हैं कि 19 लाख रोजगार देंगे। साथ में नरेंद्र मोदी को अपने आप को सबसे बड़ा राष्ट्रवादी बताने पर भी जोरदार प्रहार किया और चीन का उदाहरण देते हुए मोदी सरकार की राष्ट्रवाद की पोल खोल दी। और कहा कि नरेंद्र मोदी ने  पिछले 6 सालों से देश को कमजोर करने का काम किया है। साथ ही भारत की वर्तमान अर्थव्यवस्था को लेकर भी हमला किया है।

नरेंद्र मोदी और राहुल गाँधी के आने से बिहार की राजनीति में गरमाहट आ गयी है और चुनाव के प्रथम चरण को लेकर प्रचार-प्रसार में तेजी आ गयी है। मोदी ने गुरुवार के चुनावी सभाओं में लगभग 24 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया है वहीं राहुल गाँधी ने दो सभाओं में 12 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया है।


ये स्टोरी Media Vigil के लिए निर्मल पारीक ने लिखी है। निर्मल मीडिया विजिल की बिहार इलेक्शन टीम के साथ प्रशिक्षु पत्रकार के तौर पर काम कर रहे हैं। 

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