जींद ने उड़ाई सरकार की नींद, टिकैत बोले- कृषि क़ानून की जगह गद्दी वापसी न माँगने लगें किसान!

कृषि कानूनों के खिलाफ आँदोनलरत किसानों के ख़िलाफ़ जिस तरह मोदी सरकार ने 26 जनवरी के बाद दमन का रवैया अख़्तियार किया है, उसने किसानों का गुस्सा भड़का दिया। जगह-जगह किसान पंचायतों का आयोजन हो रहा है जिसमें बड़ी तादाद में लोग उमड़ रहे हैं। दिल्ली बार्डर पर कील और कंटीले तारों की बाड़बंदी की तस्वीरों ने किसानों का गुस्सा और भड़का दिया है।

हरियाणा के जींद में आज हुई किसान महापंचायत में उमड़ी भीड़ ने सरकार की नींद उड़ा दी है। पंचायत में शामिल होने पहुँचे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार को चेताया कि अभी किसान सिर्फ कृषि क़ानून की वापसी की माँग कर रहे हैं, अगर गद्दी वापसी की बात की तो सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। टिकैत को लेकर उत्साहित समर्थक इस कद़र मंच पर चढ़ गये कि वह बार बरदाश्त नहीं कर सका। मंच टूट गया।

कृषि कानूनों के खिलाफ आँदोनलरत किसानों के ख़िलाफ़ जिस तरह मोदी सरकार ने 26 जनवरी के बाद दमन का रवैया अख़्तियार किया है, उसने किसानों का गुस्सा भड़का दिया। जगह-जगह किसान पंचायतों का आयोजन हो रहा है जिसमें बड़ी तादाद में लोग उमड़ रहे हैं। दिल्ली बार्डर पर कील और कंटीले तारों की बाड़बंदी की तस्वीरों ने किसानों का गुस्सा और भड़का दिया है।

हरियाणा के तमाम ज़िलों में इंटरनेट बंद हैं, फिर भी जींद के कंडेला गाँव में आयोजित महापंचायत के लिए सुबह से ही भीड़ जुटने लगी थी।इस महापंचायत में पाँच प्रस्ताव पारित किये गये-

1. तीनों कृषि कानूनों को तुरंत रद्द किया जाये।

2. एमएसपी की गारंटी का कानून बने।

3.स्वामीनाथन कमेटी की सिफ़ारिशें लागू की जायें।

4.किसानों का क़र्ज़ माफ़ किया जाये।

5. 26 जनवरी को गिरफ्तार लोगों और पकड़े गये ट्रैक्टर छोड़े जायें।

इस महापंचायत में किसानों के रुख से साफ़ लग रहा है कि वे जल्द कदम पीछे नहीं हटायेंगे। उनकी योजना अब पूरे देश में आंदोलन को फैलाने की है। 6 फरवरी को चक्का जाम का ऐलान हुआ है जिस पर सबकी नज़र है।

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