किसानों के चक्का जाम को कांग्रेस का समर्थन, कहा-अहंकार छोड़ कानून निरस्त करे सरकार!

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 6 फरवरी को होने जा रहे किसानों के चक्का जाम कार्यक्रम का समर्थन किया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि किसान संगठनों द्वारा राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर तीन घंटे के घोषित देशव्यापी अहिंसक और शांतिपूर्ण चक्का जाम का कांग्रेस समर्थन करेगी। पार्टी के कार्यकर्ता किसानों के साथ अपनी प्रतिबद्धता और एकजुटता निभाते हुए इस सांकेतिक और गांधीवादी बंद में किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपना पूरा सहयोग व समर्थन देंगे।

वेणुगोपाल ने कहा कि किसान संगठन पहले ही इमरजेंसी और आवश्यक सेवाओं को इस बंद से अलग कर चुके हैं, उसी भावना के अंतर्गत कांग्रेस कार्यकर्ता एंबुलेंस, स्कूल बस, वृद्धों, रोगियों और महिलाओं व् बच्चों को इस सांकेतिक बंद से कोई असुविधा ना हो, इसका भी पूरा ध्यान रखेंगे।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी, किसान आंदोलन का पूर्ण रुप से समर्थन करती रही है। पार्टी, केन्द्र सरकार से एक बार फिर अनुरोध करती है कि वह अहंकार को त्यागे और किसानों की जायज मांगों को मानते हुए तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करे। किसान पिछले 73 दिन से तीन कृषि कानूनों के विरोध में एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन कर रहे हैं। लाखों किसान दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्ण और गांधीवादी ढंग से विरोध में धरने पर बैठे हैं।

उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसानों की खेती बचाने के साथ सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बचाने का भी आंदोलन है, जिसमें पूरे देश का गरीब, खेत मजदूर, अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ा वर्ग मजबूती से खडा है। सत्ता के अहंकार में चूर मोदी सरकार इस आंदोलन को बदनाम करने और आंदोलनकारियों को थकाने के लिए नित रोज नए हथकंडे अपना रही है।

केसी वेणुगोपाल ने कहा कि केन्द्रीय कृषि मंत्री ने सदन में आज अपने वक्तव्य में भी संसद को गुमराह करने और देश को भटकाने की एक नयी कोशिश की। सार्वजनिक तथ्य है कि किसान संगठन सरकार से 11 दौर की बैठकें कर चुके हैं, जिसमें किसानों ने तीन कृषि कानूनों में विभिन्न खामियों का बिंदुवार ब्यौरा दिया है, जिसके बाद केन्द्र सरकार तीन कानूनों में 18 संशोधन करने की बात स्वीकार कर चुकी है। ऐसे में कृषि मंत्री का संसद में दिया गया वक्तव्य बेहद आपत्तिजनक और तथ्यों से परे है।

बहुमत के घमंड में और अपने पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए इन कृषि कानूनों को लागू करने से पहले केन्द्र सरकार ने ना तो विपक्षी दलों की सलाह ली, ना ही किसान संगठनों से कोई चर्चा की। कोरोना के मुश्किल समय में चोरी-छुपे इन कानूनों को किसानों पर थोप दिया, जिसका देश के सभी किसान संगठन विरोध कर रहे हैं।

First Published on:
Exit mobile version