भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चीन के साथ सीमा विवाद मामले में मोदी सरकार पर देश को अंधेरे में रखने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ व भारत की ‘भूभागीय अखंडता’ से षडयंत्रकारी खिलवाड़ कर रहे हैं। पूर्वी लद्दाख में चीनी घुसपैठ को लेकर आज संसद में दिए गए रक्षामंत्री के बयान से यह साबित हो जाता है। कांग्रेस ने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह कहकर पूरे देश को गुमराह करते हैं, कि- ‘‘न कोई हमारी सीमा में आया और न ही हमारी जमीन पर कब्जा किया’’। वहीं दूसरी तरफ एक सनसनीखेज बयान देकर उनके मंत्री वी. के. सिंह अपने ही देश को चीन की सीमाओं पर अतिक्रमण करने का जिम्मेदार ठहरा देते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा व देश की भूभागीय अखंडता से इससे घिनौना खिलवाड़ और क्या हो सकता है!
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अप्रैल, 2020 में हमारी सरजमीं पर चीनी घुसपैठ की साजिश के बाद आज तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न तो ‘चीन’ शब्द का इस्तेमाल किया और न ही डेपसाँग प्लेन, गोगरा हॉट स्प्रिंग सेक्टर, पैंगोंग त्सो लेक इलाके और चुमुर, दक्षिणी लद्दाख से चीनी घुसपैठ को खदड़ने की ना कोई नीति और ना समय सीमा निश्चित की। यही नहीं देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उल्टा भ्रम फैला रहे हैं और बरगला रहे हैं, बजाए इसके कि वो देश को बताएं कि इन सारे इलाकों से चीनी घुसपैठ को कब तक खदेड़ देंगे।
सुरजेवाला ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े 8 महत्वपूर्ण पहलू देश की ओर से हम मीडिया के समक्ष रख रहे हैं-
1- मोदी सरकार और रक्षामंत्री, श्री राजनाथ सिंह देश को यह नहीं बता रहे कि कब तक अप्रैल, 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल हो जाएगी? याद रहे कि अप्रैल, 2020 ही वो महीना और तारीख है, जब चीन ने बगैर कारण के भारतीय सीमा में घुसपैठ का दुस्साहस किया था।
क्या प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री, भारत की भूभागीय अखंडता की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी की संपूर्ण विफलता का कारण देश को बताएंगे?
2- मोदी सरकार ने लगातार यह कहा है कि भारत चीन के वार्तालाप का आधार लद्दाख के सभी क्षेत्रों से चीनी सेना की वापसी होगी।
मोदी सरकार ने लगातार ये कहा और माना कि भारत-चीन की बीच वार्तालाप का आधार लद्दाख के सभी क्षेत्रों से चीनी सेना की वापसी होगी, तो क्या मोदी सरकार जवाब देगी कि वो केवल पैंगोंग त्सो लेक इलाके से ही ‘डिसइंगेज़मेंट’ का समझौता क्यों कर रही है और वो भी भारत के हितों पर कुठाराघात कर तथा भारत के हितों के विरुद्ध LAC की रूपरेखा को बदलकर?
3- दशकों से पैंगोंग त्सो लेक इलाके के उत्तरी किनारे पर भारत का फिंगर 4 तक कब्जा है और भारतीय सेना फिंगर 4 से फिंगर 8 तक पैट्रोलिंग करती आई है। भारत ने सदैव फिंगर 8 को भारत और चीन के बीच LAC माना है। आज के रक्षामंत्री के बयान के मुताबिक भारतीय सेना अब सिमट कर फिंगर 3 तक सीमित हो जाएगी।
क्या यह सीधे-सीधे भारत के सामरिक हितों पर कुठाराघात कर LAC को पुनररेखांकित करने का कार्य नहीं? क्या मोदी सरकार फिंगर 3 से फिंगर 8 के बीच भारत के भूभागीय क्षेत्र को एक नया ‘बफर ज़ोन’ नहीं बना रही? क्या यह भारत की भूभागीय अखंडता से मोदी सरकार के द्वारा किया गया धोखा नहीं?
4- चीनी घुसपैठ के बावजूद भारतीय सेना ने सराहनीय तरीके से शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया और पैंगोंग त्सो लेक इलाके के दक्षिण बैंक में ‘कैलाश रेंजेस’ की सामरिक चोटियों पर अपनी मौजूदगी बना ली। रक्षामंत्री के आज के बयान के बाद लगता है कि अब हमारी सेना को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ‘कैलाश रेंजेस’ के इन स्थानों को खाली करना पड़ेगा, वापस लौटना पड़ेगा।
क्या प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री देश को बताएंगे कि वो भारतीय सेना को ‘कैलाश रेंजेस’ पर अपनी प्रभावी व सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मौजूदगी से वापसी का समझौता क्यों कर रहे हैं, जबकि यहाँ पर भारत की चीन के मुकाबले कहीं ज्यादा शक्तिशाली स्थिति है और चीन कमजोर स्थिति में है? क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा से एक षडयंत्रकारी खिलवाड़ नहीं?
5- सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण व उकसाने वाली चीनी घुसपैठ, पूरा देश जानता है कि ‘डेपसांग प्लेंन्स’ में की गई। चीन ने LAC के 18 किलोमीटर अंदर तक ‘वाई जंक्शन’ तक, जिसे बोटलनेक भी कहते हैं, वहाँ तक घुसपैठ कर रखी है और भारतीय सेना को अपने ही पैट्रोलिंग प्वाईंट्स PP-10, PP-11, PP-11A, PP-12 एवं PP-13 तक हमारी सरजमीं पर पैट्रोलिंग करने से रोक रखा है। इस घुसपैठ ने देश के सबसे अग्रिम इलाके में राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण हवाई पट्टी- दौलतबेग ओल्डी हवाई पट्टी को भी खतरे में डाल रखा है।
याद रहे कि साल 2013 में भी चीन ने इसी प्रकार से वाई जंक्शन तक घुसपैठ कर ली थी, और 6 महीने तक भारतीय और चीनी सेनाएं एक दूसरे के आमने-सामने खड़ी रही। परंतु यूपीए की कांग्रेस सरकार की दूर दृष्टि और भारत की सेनाओं के शौर्य के चलते एक इंच भूमि पर भी चीन कब्जा नहीं कर पाया और हमने उसे वाई जंक्शन से पीछे LAC के पार खदेड़ दिया था।
तो फिर क्या कारण है कि मोदी सरकार आज संसद में बयान देते हुए डेपसाँग प्लेन के सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण वाई जंक्शन से चीनी सेना को LAC के पार खदेड़ देने के बारे में चुप्पी साधे है, बोलने से कतरा रही है? क्या भारत की सरजमीं पर चीन के इस दुस्साहस को कोई व्यक्ति स्वीकार्य कर सकता है, यदि नहीं तो मोदी सरकार, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री एक शब्द भी क्यों नहीं बोलते?
6- गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स’ में भी चीनी घुसपैठ निरंतर बनी है। क्या कारण है कि प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री, गोगरा-हॉटस्प्रिंग में चीनी घुसपैठ के बारे में रहस्यमयी चुप्पी साधे हुए हैं?
7- रिपोर्टस के मुताबिक, चीनी सेना अब चुमुर, दक्षिणी लद्दाख तक पैट्रोलिंग कर रही है। क्या कारण है के प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा के इस महत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर एक शब्द बोलने से भी घबरा रहे हैं?
8- मोदी सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री, जनरल वी.के. सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाला बयान देकर चीन को एक झूठा मौका दे दिया कि वो भारत को झूठे तरीके से अतिक्रमणकारी बता सके।
क्या कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सरकार के एक मंत्री द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ किए गए नाकाबिले माफी खिलवाड़ को लेकर पूर्णतया चुप्पी साधे हैं? क्या कारण है कि प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री, भारत के सामरिक हितों से खिलवाड़ करने वाले और बयानबाजी करने वाले ऐसे मंत्री को बर्खास्त नहीं करते? प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री की चुप्पी कहीं इस बात की ओर इशारा तो नहीं करती है कि वी.के. सिंह जी का बयान मोदी सरकार के इशारे पर दिया गया है? और अगर ये सनसनीखेज बात का जवाब हां, में हैं, तो प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री बताएं कि किस दबाव या किस खिलवाड़ के चलते राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ ये षडयंत्र किया जा रहा है? देश व 130 करोड़ देशवासी, मोदी सरकार से देश की सुरक्षा और भूभागीय अखंडता से किए गए इस खिलवाड़, नाकाबिले माफी समझौते और षडयंत्र का जवाब मांगते हैं?
एक प्रश्न के उत्तर में सुरजेवाला ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की भूभागीय अखंडता राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का विषय नहीं हो सकती। राष्ट्रीय सुरक्षा और भूभागीय अखंडता को आप केवल ‘मेरी कमीज, तेरी कमीज से ज्यादा सफेद’ कहकर नहीं झुठला सकते। मोदी जी, राजनाथ सिंह जी, भाजपा के नेताओं को हम अनुरोध करेंगे कि आज 2020 और 2021 है, चीन ने अप्रैल 2020 और उसके बाद, भारत की सरजमीं पर नाजायज तरीके से घुसपैठ कर कब्जा कर रखा है। केवल देश को ये बताइए कि आप चीनी घुसपैठ का लाल आँख कर मुंहतोड़ जवाब कब देंगे? केवल ये बताइए कि आप चीन की आँख में आँख डालकर जवाब देने का साहब कब दिखाएंगे? या फिर देश के प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी जी को औऱ उनकी सरकार को ये साहस नहीं बचा कि वो चीन की आँख में आँख डालकर लाल आँख दिखा सकें, तो ये भी देश को बता सकें, ताकि झूठे राष्ट्रवाद का पर्दाफाश हो जाए औऱ भगवान के लिए देश की सेनाओं के द्वारा, देश के सैनिकों द्वारा 1962 में भारत मां के वीर सपूतों द्वारा दी गई कुर्बानी, शौर्य औऱ पराक्रम को बेइज्ज़त करना बंद करें।
यह हमारे सैनिकों का शौर्य और पराक्रम था, 1962 में भी और चाहे पाकिस्तान से जो हमारी लडाइय़ाँ हुईं, जिनसे बांग्लादेश बनाया और जो हमने जीती कि आज ये देश दुनिया का सबसे सशक्त देश है। 1962 में सेना के पराक्रम का अपमान करना आज के सैनिकों के शौर्य का अपमान करना भी है। 2020 और 2021 की स्थिति बताइए। 40 साल पीछे के हालात के पीछे मत छुपिए और सच्चाई का सामना करिए, पूरा देश आपके साथ है, पर मोदी जी, लाल आँख तो दिखाइए, आँख में आँख तो डालिए, 56 इंच का सीना चीन को दिखाइए तो सही, ताकि वास्तविकता पता चल सके।
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— Congress (@INCIndia) February 11, 2021