ख़बरों को तोड़ने-मरोड़ने और सेंसर करने में वामपंथ भी बराबर का दोषी है

Photo Courtesy Newsweek

योरप के मशहूर दार्शनिक स्‍लावोज़ जिज़ेक ने चैनल 4 को दिए अपने लंबे साक्षात्‍कार में फेक न्‍यूज़ यानी फर्जी खबरों पर एक दिलचस्‍प बात कही है जो आजकल विवादों में है। उनका कहना है कि अकेले दक्षिणपंथ या दक्षिणपंथी मीडिया ही फर्जी ख़बरें फैलाने का जिम्‍मेदार नहीं है बल्कि बराबर की जिम्‍मेदारी वामपंथ या वामपंथी मीडिया की भी है। उनका कहना है कि लोकप्रियतावाद का जो उभार आजकल देखा जा रहा है, उसमें लिबरल वामपंथियों की बराबर की हिस्‍सेदारी है।

सुनिए जिज़ेक क्‍या कहते हैं:

 

 

”तमाम सामान्‍य लोग अपने अनुभव से इस बात को अब समझ रहे हैं कि सरकार या जन मीडिया उन्‍हें जो बता रहे हैं, उस पर भरोसा करने लायक नहीं है। यह अहसास लगातार मज़बूत होता जा रहा है। दरअसल, यही अनुभव लोकप्रियतावाद के उभार की नींव रखता है जिसे हम देख रहे हैं। हमें इसके लिए केवल दक्षिणपंथियों पर दोष नहीं मढ़ना चाहिए। आम तौर पर दक्षिणपंथ पर फेक न्‍यूज़ पैदा करने और फैलने का आरोप लगता है। दुर्भाग्‍यवश, मैं कहना चाहूंगा कि वाम भी बिलकुल यही काम कर रहा है। न केवल इस मायने में कि वह समाचारों को अपने तरीके से तोड़-मरोड़ देता है, उसे एक स्पिन दे देता है। मसलन, योरप में मैं इसे लगातार देख रहा हूं। फिलहाल प्रवासियों की समस्‍या में इसे देख सकते हैं। एक ओर राष्‍ट्रवादी दक्षिणपंथी मीडिया हर छोटी घटना को अतिरंजित कर देता है। दूसरी ओर वामपंथी मुख्‍यधारा मीडिया ख़बरों को सेंसर कर देता है, प्रतिबंधित कर देता है।”

”गंभीर पत्रकारिता और फर्जी खबरों वाली पत्रकारिता के बीच की विभाजक रेखा अब धुंधली होती जा रही है जो ईमानदार पत्रकारों के लिए काफी संकट की बात है।”

इस साक्षात्‍कार में फेक न्‍यूज़ के बहाने जिज़ेक ने डोनाल्‍ड ट्रम्‍प और ब्रेग्जि़ट पर भी बात की है। जिज़ेक को पूरा सुनने के लिए नीचे का वीडियो देखें।

 

(फोटो साभार न्‍यूज़वीक)

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