अख़बारनामा: भोंपुओं ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को गायब कर दिया

आज के अखबारों में दो प्रमुख खबरें हो सकती थीं। एक देसी उड़ानें शुरू होने की और दूसरी गुजरात हाईकोर्ट की खबर जिसमें राज्य में कोरोना के मरीजों और इलाज की व्यवस्था पर सख्त टिप्पणी है। ज्यादातर अखबारों ने सरकारी भोंपू की तरह विमान सेवा शुरू होने की खबर का पूरा प्रचार किया है जबकि गुजरात हाई कोर्ट के फैसले की खबर पहले पन्ने पर हिन्दी में किसी भी अखबार पर नहीं है। आगे पूरी खबर विस्तार से बताने से पहले यह बताना जरूरी है कि 500 मरीजों पर लॉक डाउन को जरूरी और जायज बताने के बावजूद आज जब उड़ानें शुरू हुईं और सबकुछ सामान्य होने की दिशा में अग्रसर है तो मरीजों की संख्या इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित तालिका के अनुसार 131868 हो गई है। देश भर की स्थिति बताने वाला राउंडअप किसी भी अखबार में पहले पन्ने पर नहीं है और स्वास्थ्य विभाग की प्रेस कांफ्रेंस भी लापता है।

गुजरात हाईकोर्ट की जो खबर आज अखबारों में नहीं के बराबर है उसका शीर्षक एनडीटीवी डॉट कॉम पर इस प्रकार है , अहमदाबाद के सिविल अस्पताल की दशा देखकर गुजरात हाईकोर्ट ने कहा – यहां की हालत कालकोठरी जैसी, या उससे भी ज्यादा बदतर। उपशीर्षक है, अदालत ने कहा, ”यह काफी निराशाजनक और दुखद है कि आज की तारीख में सिविल अस्पताल की दशा दयनीय है। हम यह कहते हुए दुखी हैं कि आज की तारीख में सिविल अस्तपाल अहमदाबाद बहुत ही बदतर स्थिति में है।” सरकार का प्रचार विमान सेवा शुरू होने के अलावा अन्य खबरों और अन्य तरीकों से भी है। कोरोना का सच छिपाने की सरकारी कोशिश (गुजरात मॉडल में) कल अदालत में स्वीकार कर ली गई। गुजरात सरकार के महाधिवक्ता ने गुजरात हाई कोर्ट में कहा कि राज्य में कोविड-19 के ज़्यादा टेस्ट नहीं किए गए क्योंकि राज्य की 70 प्रतिशत आबादी संक्रमित निकलेगी और जनता में भय फैल जाएगा!

दूसरी ओर, द हिन्दू के महेश लंगा ने ट्वीट कर बताया कि अहमदाबाद हॉस्पीटल्स एंड नर्सिंग होम एसोसिएशन ने गुजरात सरकार को लिखे एक पत्र में पूछा है कि जांच कम करने का निर्देश किसका था और कहा है कि जो भी अधिकारी हो उसी को इसके घातक नतीजों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। राज्य में मरीजों और अस्पताल की स्थिति का अंदाजा हाईकोर्ट वाली खबर से लगता तो वह है ही नहीं। दैनिक हिस्दुस्तान में स्वास्थ्य मंत्री का दावा छापा है कि लॉकडाउन से संक्रमण की रफ्तार थमी। हालांकि, विशेष संवादादाता की इस खबर में यह नहीं बताया गया है कि स्वास्थ्य मंत्री ने यहा दावा कहां, कब किससे, किस मौके पर किया।  आज के अखबारों में सिर्फ इंडियन एक्सप्रेस की लीड लीक से हटकर या हेडलाइन मैनेजमेंट से अलग है। एक्सप्रेस ने देश भर के एक तिहाई कोरोना के मामले महाराष्ट्र में होने की खबर लीड लगाई है।

अंग्रेजी अखबारों में हवाई यात्रा शुरू होने की खुशी छाई हुई है। हिन्दुस्तान टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया में इसकी खबर लीड है जबकि द हिन्दू की लीड खबर का शीर्षक है, उड़ान और स्वास्थ्य पाबंदियों से विमानसेवाओं का परिचालन शक के घेरे में। हिन्दू की मुख्य खबर के उपशीर्षक से मामला और साफ होता है, स्वास्थ्य मंत्रालय के नए नियमों और राज्यों के विशिष्ट प्रोटोकोल और इसमें क्वांरंटीन की आवश्यकता से विमान सेवाएं और यात्री भ्रमित हैं। इसके बावजूद हिन्दुस्तान टाइम्स का शीर्षक है, राज्यों ने आखिरकार बेचैन विमानयात्रियों के भ्रम दूर किए। इसके साथ एक सिंगल कॉलम की खबर है, दिल्ली हवाई अड्डे पर लक्षण न हो तो क्वारंटीन नहीं किया जाएगा। यह दिल्ली पहुंचने वालों के लिए तो ठीक है पर दिल्ली से जाने या यहां रह रहे लोगों के लिए किसी काम की नहीं है।

टाइम्स ऑफ इंडिया में खबर है कि विमान यात्रा वही कर पाएंगे जिनमें (कोरोना के) लक्षण न हो। इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर सेकेंड लीड है। विमान यात्रियों के मामले में अलग-अलग राज्यों के अलग नियम हैं। डबल इंजन वाले राज्यों मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी। इंडियन एक्सप्रेस ने इन्हें देसी उड़ान शुरू होने की खबर के साथ छापा है और उपशीर्षक है, मंत्रालय ने विमान सेवाओं से कहा कि राज्यों से संबंधित खास सूचनाएं वे अपने वेबसाइट पर लगाएं। इस विपदा में राज्यों, सरकारों और केंद्र सरकार की क्या जिम्मेदारी है यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। सब कुछ एक दूसरे के सिर मंढ़ने का प्रयास चल रहा है और अखबार हैं गुजरात का सच भी नहीं बता रहे हैं। पीआईबी फैक्ट चेक के नाम पर सही और जरूरी खबरें नहीं दे रहा है। केरल, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु 14 दिन के लिए क्वारंटीन करेगा। असम के गुवाहाटी में क्वारंटीन होने के लिए होटलों के 1000 कमरे हैं जबकि किसी अन्य राज्य के मामले में ऐसी सूचना नहीं है। बंगाल में उड़ानें 28 को शुरू होंगी।

हिन्दी अखबारों में दैनिक भास्कर का पहला पेज आज पॉजिटिव सोच वाली खबरों का है और इसकी खबर है, देश में 1.2 लाख मरीज 42 दिन में बढ़े, यूएस में 10 दिन लगे थे। इसी तरह फ्लैग शीर्षक है, भारत अब कोरोना का 10वां सबसे संक्रमित देश, लेकिन 10 हजार से 1.3 लाख मरीज होने की रफ्तार सबसे कम भारत में ही रही। खबर का इंट्रो है, सरकार बोली – लॉक डाउन न किया होता तो अब तक 50 लाख मरीज हो जाते। पर गुजरात की खबर नहीं है। नवोदय टाइम्स में उड़ान शुरू होने की खबर लीड है। शीर्षक है, हां, ना के बीच आज से उड़ान। उपशीर्षक है, राज्यों के अपने-अपने नियम को लेकर असमंजस के बीच शुरू होगी घरेलू यात्रा। इसके साथ जो अन्य खबरें हैं उनके शीर्षक हैं, स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश मानेगी दिल्ली सरकार और अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग।

राजस्थान पत्रिका की लीड है, 61 दिन बाद आज से घरेलू उड़ानें शुरू, मुंबई से सिर्फ 50 उड़ानों की अनुमति। हिन्दुस्तान और नवभारत टाइम्स में भी उड़ान शुरू होने की खबर लीड है। हिन्दुस्तान का शीर्षक है, यात्रियों का क्वारंटीन राज्य तय करेंगे जबकि नवभारत टाइम्स का शीर्षक है, आज से सफर हवाई  फिर मुमकिन तन्हाई। अमर उजाला की लीड का शीर्षक है, 60 दिन बाद आज 1050 घरेलू उड़ानें, 13 राज्यों में यात्रियों को क्वारंटीन जरूरी। अकेले दैनिक जागरण ने विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए 14 दिन का क्वांरटाइन (अखबार में ऐसे ही लिखा है) शीर्षक को लीड बनाया है। इसके साथ देसी उड़ानों की खबर का शीर्षक है, आज से शुरू होगी घरेलू उड़ान। मैं हिन्दी के जो सात अखबार देखता हूं उनमें किसी ने भी गुजराई हाई कोर्ट के आदेश को पहले पन्ने पर नहीं छापा है और विमान यात्रा शुरू होने की खबर लगभग सबमें लीड है।

जनसत्ता में उन दिनों हमलोग हवाई यात्रा से संबंधित खबरें और शिकायतें नहीं छापते थे। हमारे संपादक प्रभाष जोशी का कहना था कि हिन्दी का पाठक हवाई यात्राएं नहीं करता है तो जगह क्यों खराब करनी। अब वैसी बात नहीं है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कह चुके हैं कि उनका सपना है कि हवाई चप्पल वाले हवाई यात्रा करें। फिर भी हवाई चप्पल वालों का इन दिनों जो हाल है उसमें हवाई यात्रा शुरू होने की खबर ऐसी नहीं है कि अंग्रेजी हिन्दी सभी अखबारों में लीड हो जाए। पर है तो क्यों न माना जाए कि सरकार हेडलाइन मैनेजमेंट में लगी हुई है।


 

संजय कुमार सिंह, वरिष्ठ पत्रकार हैं और अनुवाद के क्षेत्र के कुछ सबसे अहम नामों में से हैं।

 


हमारी ख़बरें Telegram पर पाने के लिए हमारी ब्रॉडकास्ट सूची में, नीचे दिए गए लिंक के ज़रिए आप शामिल हो सकते हैं। ये एक आसान तरीका है, जिससे आप लगातार अपने मोबाइल पर हमारी ख़बरें पा सकते हैं।  

इस लिंक पर क्लिक करें
First Published on:
Exit mobile version