पहला पन्ना: बंगाल हिंसा पर केंद्र की चिट्ठी ख़बर, ममता की शपथ और हिंसा के ख़िलाफ़ चेतावनी पीछे!

विदेशी सहायता, ऑक्सीजन टैंकर की ढुलाई के लिए विशेष मालगाड़ियों की व्यवस्था, विदेश से क्रायोजेनिक टैंकर खरीदने, पीएम केयर्स से 551 ऑक्सजीन प्लांट लगाने की सहायता, 100 नए अस्पतालों में उनका अपना ऑक्सीजन प्लांट होने, एक लाख पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर खरीदने की मंजूरी, कोई कमी नहीं और बर्बादी रोकने की जरूरत, पहले पैसे देने के बावजूद प्लांट नहीं लगने जैसी खबरों और प्रचार के बीच चेन्नई के पास एक अस्पताल में बुधवार को 11 कोविड मरीजों की मौत हो गई। यह खबर मेरे पांच अखबारों में से एक, टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर है। द हिन्दू में तमिलनाडु के अस्पताल में मंगलवार को 13 कोविड मरीजों की मौत की खबर है। इसकी चर्चा मैं पहले कर चुका हूं। तब इसे ऑक्सीजन की कमी से नहीं माना गया था और सूचना थी कि जांच होगी। लेकिन दूसरे अखबारों ने इसे ऑक्सीजन की कमी से ही हुआ बताया था। आज हिन्दू में इससे संबंधित विवरण है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में भी ऑक्सीजन की कमी से मौत की खबरें छपी हैं पर उन्हें वैसा महत्व नहीं मिला जैसा बंगाल की हिन्सा और उसे लेकर प्रधानमंत्री द्वारा राज्यपाल को फोन किए जाने की खबरों को मिला था।

पश्चिम बंगाल में चुनावी हार की खबरों पर झेंप मिटाने के लिए बंगाल चुनाव में हिंसा की खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर बताना तो समझ में आता है। लेकिन ऑक्सीजन की कमी दूर करने में नाकामी सरकार की लाचारी के अलावा कुछ नहीं हो सकती है। इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री ने जिस ढंग से मामले को सार्वजनिक किया था उससे दिल्ली में कमी का मामला तो समझा जा सकता है पर डबल इंजन वाले कर्नाटक या उत्तर प्रदेश में भी स्थिति कोई अच्छी नहीं है। लेकिन खबरें वही छपती है जो सरकार चाहती है। उदाहरण के लिए बंगाल की चुनावी हिंसा पर इतना हंगामा रहा। लेकिन कल शपथग्रहण के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि किसी भी तरह की झड़प बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस खबर को दिल्ली के अखबारों में वैसी प्रमुखता नहीं मिली जैसी कल हिंसा की खबरों की मिली थी।

इंडियन एक्सप्रेस में शपथग्रहण की खबर का शीर्षक है, केंद्र ने हिंसा का मामला गर्माया, ममता ने शिखर के अधिकारियों को शंट किया। इस खबर के मुताबिक ममता बनर्जी ने शिखर के 30 अधिकारियों का तबादला किया है। इनमें राज्य के डीजीपी भी हैं और अखबार के मुताबिक शपथग्रहण के बाद यह ममता की पहली कार्रवाई है। अखबार ने लिखा है कि मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि किसी भी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। शपथग्रहण की इस पूरी खबर में केंद्र की दूसरी चिट्ठी महत्वपूर्ण है या ममता की चेतावनी आप तय कीजिए। इसी खबर के अनुसार, ममता ने यह भी कहा है कि हिंसा की खबरें वहां से हैं जहां भाजपा जीती है। दूसरी ओर, केंद्र सरकार की दूसरी चिट्ठी भी ‘खबर’ बन सकती थी पर मीडिया को शायद बात समझ में आ गई है। मुझे लगता है कि इतनी जल्दबाजी में लिखी गई दूसरी चिट्ठी ‘खबर’ बनाने के लिए ही है वरना कार्रवाई के लिए शपथग्रहण का इंतजार तो किया ही जाना चाहिए।

एक तरफ तो सरकार बंगाल की हिन्सा को लेकर इतनी चिन्तित है और दूसरी तरफ ऑक्सीजन की कमी पर कुछ कर नहीं पा रही है। और खबरें भी नहीं छप रही हैं। यही नहीं, जिस चुनाव में पार्टी ने अपनी पूरी सरकार और ताकत लगा दी थी उस चुनाव को बुरी तरह हार गई। दो मई, दीदी गईं और दीदी दो जगह से चुनाव लड़ेंगी जैसी फर्जी घोषणाओं के बावजूद दीदी ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है और हिन्दुस्तान टाइम्स ने यह खबर तीन कॉलम की एक फोटो से दी है। इसका शीर्षक है, हॉट सीट पर वापस। वाकई इस बार यह कुर्सी कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई है। कांग्रेस क्यों साफ हो गई इसकी चर्चा तो इंडियन एक्सप्रेस ने सांसद अधीर रंजन चौधरी से पहले पन्ने पर की लेकिन भाजपा क्यों हार गई या भाजपा के नौ के मुकाबले तृणमूल के चार कार्यकर्ताओं के मारे जाने को भाजपा क्यों मुद्दा बनाए हुए है इसपर पहले पन्ने पर कुछ नहीं दिखा है।

शपथ ग्रहण की खबर टाइम्स ऑफ इंडिया में भी दो कॉलम में है। शीर्षक है, दीदी ने शपथ ली कहा सुनिश्चित करेंगी कि कोई हिंसा न हो। द हिन्दू में यह खबर सिंगल कॉलम में है। कोरोना से एक दिन में 4.12 लाख लोगों के संक्रमित होने और 4,000 लोगों की मौत की सूचना है। यह खबर भी टाइम्स ऑफ इंडिया में ही है। किसी और अखबार में पहले पन्ने पर नहीं है। पहले पन्ने पर कोविड की तीसरी लहर की चर्चा जरूर है और इंडियन एक्सप्रेस में तो यह खबर लीड है। इसके मुताबिक, लॉकडाउन चर्चा का भाग था और तीसरी लहर अवश्यंभावी है। हालांकि, प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार की राय में यह इतना भयंकर नहीं होगा। देश में दूसरी लहर का जो हाल है उसमें तीसरा इतना भयंकर नहीं होगा तो खबर लीड क्यों है, यह इंडियन एक्सप्रेस ही बता सकता है क्योंकि यह खबर किसी और में लीड नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस ने चुनाव आयोग की खबर के साथ विदेशी सहायता के वितरण पर भी एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है।

खबरें गढ़ने, छिपाने, प्रचारित और मंत्रियों द्वारा ट्वीट-रीट्वीट करने के इस जमाने में द टेलीग्राफ ने अपनी एक खबर में बताया है कि 30 अप्रैल और एक मई की रात गुड़गांव (एनसीआर का शहर जो डबल इंजन वाले हरियाणा में है) के एक अस्पताल में जब ऑक्सीजन खत्म हो गई तो कर्मचारी मरीजों को मरते, अपनी जगह खाली छोड़कर भाग निकले। 30 अप्रैल को रात करीब 10 बजे 45 मिनट के लिए लाइट बंद कर दी गई। जब लाइट आई तो कोई कर्मचारी नहीं था। कुछ लोग जबरन आईसीयू में घुस गए और पाया कि उनके मरीज मर चुके थे। यह कीर्ति हॉस्पीटल सेक्टर 56 की कहानी है और मृत्युंजन पाठक के हवाले से बताई गई है जिनके भाई, 38 साल के नवीन उस दिन एक मरीज थे। वे यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में काम करते थे। अस्पताल में कोरोनावायरस के कारण हुई जटिलताओं का इलाज चल रहा था पर अब वे नहीं रहे। मैं इससे आगे खबर नहीं पढ़ पाया। इसलिए भी कि, केंद्र सरकार को पश्चिम बंगाल में मरने वाले अपने कार्यकर्ताओं की चिन्ता है जो 200 सीटें जीतने के फर्जी उत्साह में आ गए थे और न जाने कैसे क्या किया कि मारे गए।

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।

 

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