चुनाव चर्चा: यूपी पंचायत चुनाव में किसान आंदोलन के असर से डरी बीजेपी!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पर्टी (भाजपा) दिल्ली के ग़ाज़ीपुर समेत विभिन्न बॉर्डर प्रवेश केंद्रो पर 25 नवम्बर 2020 से अनवरत जारी किसान आंदोलन को लेकर उत्तर प्रदेश में इसी बरस अप्रैल के अंत तक निर्धारित पंचायत चुनाव में फँस गई लगती है। कहावत में समझा जाये तो कुछ सांप-छ्छुंदर की दशा हो गई है. पंचायत चुनाव न उगलते बनता है न निगलते बनता है। ये चुनाव सियासी हल्को में प्रदेश में अगले ही बरस निर्धारित विधान सभा चुनाव का सेमीफायनल माने जा रहे हैंहम मीडिया विजिल के इस चुनाव चर्चा कॉलम के 05 जनवरी 2021 के अंक में इन पंचायत चुनाव की विस्तार से खबर दे चुके हैं। 

 

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 

प्रदेश के पंचायतीराज मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह के अनुसार अबकि पंचायत चुनाव आरक्षण रोटेशन यानि चक्रानुपात आधार पर ही होगा। वर्ष 2015 के पिछले पंचायत चुनाव में रोटेशन प्रक्रिया निरस्त कर आरक्षण पुराने तरीका से ही था। अब ऐसा नहीं होगा और रोटेशन से आरक्षण तय किया जायेगा। इस कारण जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और गांव पंचायतों की करीब 70 % सीटों की मौजूदा स्थिति बदल जाने की सम्भावना हैं।

मंत्री जी ने पंचायत चुनाव के लिए योगेंद्र्नाथ योगी सरकार को तैयार बताते हुए  विश्वास जताया है कि फरवरी माह में ही रोटेशन आरक्षण प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी और अप्रैल 2021 तक जिला, क्षेत्र और ग्राम, तीनो ही स्तर के पंचायत चुनाव सम्पन्न हो जाएंगे. 

 

वोटर लिस्ट में ‘ खेल’

पंचायत चुनाव की मतदाता सूची अभी फायनल नहीं हैजिनके नाम इसमें छूट गये उन्हे वोटर बनने के लिये काफी मशक्कत करनी होगी। उन्हे अपनी तहसील ऑफिस जाकर तयशुदा फ़ॉर्म मे अपने कागज पत्तर लगा कर अर्जी जमा करनी होगी।

पंचायत वोटर लिस्ट में लाखों किसान, अन्य ग्रामीण और युवा के नाम नहीं हैं। अर्ज़ी ,चुनाव अधिसूचना जारी होने तक ही ली जाएगी। बीएलओ की जांच के बाद ही किसी का भी नाम जोड़ा, हटाया या संशोधित किया जाएगा। 

 

क़ागज़ी तैयारियाँ

पंचायत चुनाव की तैयारियाँ क़ागज़ से अभी ज़मीन पर नहीं उतरी हैं। हाँलाकि  वोटर लिस्ट जारी कर दी गई है पर सीटों की आरक्षण सूची आधिकारिक तौर पर घोषित होने बाद ही तय होगा कौन ग्राम पंचयत का कौन वार्ड सबके चुनाव लडने के लिये खुला रहेगा और कौन महिला , अनुसूचित जाति (एससी) या जनजाति (एसटी ) के लिए अरक्षित कर दिया जायेगा। इसलिये चुनाव के सम्भावित प्रत्याशी एक तरह से अधर में लटके हैं।

वे अनौपचारिक प्रचार भी नहीं कर सकते। उन्हें खटका है कि सीट का आरक्षण चरित्र ही बदल गया तो उनकी चुनावी आशाओं पर पानी फिर जायेगा। वैसे कुछ विकट सम्भावित प्रत्याशी सारी फ़िक़्र छोड अभी से सामने आ गये हैं। 

 

चक्रानुक्रम फ़ार्मूला

ज़िला पंचायतों का आरक्षण राज्य मुख्यालय से तय होता रहा है। इस बार भी यही होगा। ग्राम पंचायत और क्षेत्र पंचायत की सीटों का आरक्षण ज़िला मुख्यालय से ही तय किया जायेगा। सीटों के आरक्षण का विचराधीन चक्रानुक्रम फार्मूला कुछ यूँ बताया जा रहा है-

 -पहले एसटी महिला, फिर एसटी महिला/पुरुष

-पहले एससी महिला, फिर एससी महिला/पुरुष

-पहले ओबीसी महिला, फिर ओबीसी महिला/पुरुष

-अगर तब भी महिलाओं का एक तिहाई आरक्षण पूरा न हो तो महिला

-इसके बाद अनारक्षित

इस बार ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ज़िला पंचायत सदस्य व प्रधान पद के लिए एक साथ वोट पड़ेंगे। हर वोटर को चार बैलेट पेपर दिए जायेंगे।

 

काँग्रेस

कांग्रेस महासचिव एवम उत्तर प्रदेश पार्टी प्रभारी प्रियंका गांधी पंचायत चुनाव के लिये इसी फरवरी माह से लखनऊ में अपना कैंप बनाकर चुनाव अभियान शुरू करेंगी। वे सभी जिलों का दौरा करेंगी। वे ज़िला दौरे का कार्यक्रम तय कर रही हैं।

 

निषाद पार्टी

प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गठबंधन  सरकार के सहयोगी ‘निषाद पार्टी’ ने भाजपा से कुछ किनाराकसी कर पंचायत चुनाव की हर सीट पर अपना प्रत्याशी खडा करने की घोषणा कर दी है। इसने  किसान आंदोलन को लेकर प्रदेश के गाँव-गाँव में किसानो के रोष से पहले से घिरे हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की चिंता और बढा दी है। 

पार्टी प्रमुख संजय निषाद ने यह घोषणा करने के साथ ही प्रदेश और केंद्र में सत्ता पर काबिज़ भाजपा से किसानों के मुद्दों को बातचीत से जल्द से जल्द हल करने कहा है। 

उन्होने निषाद बिरादरी के लिये आरक्षण की माँग के मुद्दे पर भाजपा पर वादा-ख़िलाफ़ी का आरोप लगाया। उनके मुताबिक निषाद पार्टी ने इस मुद्दे पर भाजपा के स्पष्ट समर्थन का वादा मिलने पर ही 2019 में उसके गठबंधन में शामिल होने का निर्णय किया था पर योगी सरकार ने वादा नहीं निभाया। 

बहरहाल , किसान आंदोलन के मुद्दे पर योगी सरकार का हश्र क्या होगा ये बहुत हद तक पंचायत चुनाव के  अप्रैल 2021 के अंत तक सामने आने वाले परिणाम पर निर्भर है।


*मीडिया हल्कों में सीपी के नाम से मशहूर चंद्र प्रकाश झा 40 बरस से पत्रकारिता में हैं और 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण के साथ-साथ महत्वपूर्ण तस्वीरें भी जनता के सामने लाने का अनुभव रखते हैं। 

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