प्रतिरोध की जीत: यूपी में काम के घंटे 12 करने की अधिसूचना रद्द

उत्तर प्रदेश सरकार ने काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने की अधिसूचना को वापस ले लिया है. प्रदेश सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के खिलाफ वर्कर्स फ्रंट द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी. जिस पर अगली सुनवाई 18 मई को होनी है. लेकिन मुख्य न्यायाधीश की खण्ड़पीठ के द्वारा नोटिस देने के बाद बैकफुट पर आयी सरकार ने अपनी अधिसूचना को वापस ले लिया. अधिसूचना वापस लिए जाने के बाद यूपी में एक बार फिर मजदूरों को एक दिन में अधिकतम आठ घंटे ही काम करना होगा.

हाईकोर्ट द्वारा नोटिस जारी होने के बाद प्रदेश सरकार हरकत में आयी. सरकार के प्रमुख सचिव श्रम सुरेश चंद्रा ने पत्र के जरिये हाईकोर्ट के मुख्य स्थायी अधिवक्ता को अधिसूचना निरस्त किये जाने की जानकारी दी. पत्र में कहा गया है कि 8 मई को जारी अधिसूचना को 15 मई 2020 को निरस्त कर दिया गया है. पत्र में इसकी सूचना  उच्च न्यायालय को देने का अनुरोध किया गया है. इस जनहित याचिका में अधिवक्ता प्रांजल शुक्ला व विनायक मित्तल द्वारा बहस की गयी थी.

उत्तर प्रदेश सरकार ने 8 मई को लेबर कानूनों में बदलाव की अधिसूचना जारी की थी. जिसके तहत अगले 1000 दिन के लिए लेबर कानूनों में कई अहम बदलाव किये थे. यूपी सरकार ने इसके लिए ‘उत्तर प्रदेश चुनिंदा श्रम कानूनों से अस्थाई छूट का अध्यादेश 2020’ को मंजूरी प्रदान कर दी थी. लेबर कानूनों में बदलाव के पीछे सरकार ने तर्क दिया कि इससे उद्योग धंधों को मंदी से उबारने में मदद मिलेगी.

वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष व याचिकाकर्ता दिनकर कपूर ने इस जीत के लिए मजदूरों और उनके सहयोग करने वालों को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि आखिर योगी सरकार को काम के घंटे बारह करने का मजदूर विरोधी, मनमाना, विधि विरूद्ध और तानाशाहीपूर्ण फैसला वापस लेना पड़ा. उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों पर कार्यवाही करने की घोषणा की आलोचना करते हुए कहा कि आरएसएस-भाजपा की सरकार को इतना अमानवीय नहीं होना चाहिए. अगर उनकी सरकार मजदूरों को मदद नहीं कर सकती तो कम से कम उनका उत्पीड़न तो न करे.

दिनकर कपूर ने कहा कि आज जो मजदूरों की त्रासद स्थिति है उसके लिए सिर्फ और सिर्फ मोदी जी और उनकी सरकार जिम्मेदार है, जिसने चार घंटे का वक्त देकर लाकडाउन लागू किया. उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों को खत्म करने का अध्यादेश भी अगर सरकार लाती है तो उसे भी चुनौती दी जायेगी. सरकार की मनमानी और तानाशाही को परास्त किया जायेगा और मेहनतकशों के लोकतांत्रिक अधिकारों और उनके जीवन की रक्षा के लिए चैतरफा प्रयास किया जायेगा.


 

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