क्या सत्ताधीशों के राज़ खुलने के डर से किया गया विकास दुबे का एनकाउंटर- सुरजेवाला

उत्तर प्रदेश के मोस्ट वांटेड गैंगस्टर और कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के आरोपी विकास दुबे को एनकाउंटर में मार गिराने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी सरकार से कई गंभीर सवाल पूछे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पूछा कि “क्या विकास दुबे सफेदपोशों और शासन में बैठे लोगों का राजदार था? क्या उसे सत्ता-शासन में बैठे व्यक्तियों का संरक्षण था? विकास दुबे के पास वो क्या राज थे, जो सत्ता-शासन से गठजोड़ को उजागर करते”?

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा शासन में ‘उत्तर प्रदेश’ अब ‘अपराध प्रदेश’ बन गया है। संगठित अपराध, नाज़ायज़ हथियार, हत्या, बलात्कार, डकैती, अपहरण, महिला अपराध का चारों ओर बोलबाला है। ऐसा प्रतीत होता है कि कानून व्यवस्था अपराधियों की ‘दासी’ और अपराधों की ‘बंधक’ बन गई है।

अपराध के लगभग हर पायदान पर उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है (NCRB) – चाहे पूरे देश के अवैध हथियारों के 57 प्रतिशत मामले अकेले उत्तर प्रदेश में हों (हर घंटे 26 मामले), चाहे महिला अपराधों में 59,445 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश पहले पायदान पर हो (समेत रोज 12 बलात्कारों के), या फिर गुंडाराज और संगठित अपराध की चौतरफा आवाज।

जिस प्रकार से 3 जुलाई, 2020 को यूपी पुलिस के एक डीएसपी सहित आठ जवानों की हत्या हुई, उसने पूरे देश के रोंगटे खड़े कर दिए व आदित्यनाथ सरकार में गुंडाराज के बोलबाले को उजागर किया।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इस गोलाबारी और हत्याकांड का आरोपी विकास दुबे बड़े आराम से उत्तर प्रदेश पुलिस को चकमा दे फरार हो गया। फिर हरियाणा के फरीदाबाद से होते हुए 1,000 किलोमीटर दूर उज्जैन (मध्यप्रदेश) तक सड़क मार्ग से पहुंच गया। पर न कोई रोक टोक हुई, न शिनाख्त और न धड़पकड़। यह इसके बावजूद कि हर टेलीविज़न और अखबार में विकास दुबे की फोटो दिख व छप रही थी। फिर अपनी मर्जी से चिल्ला चिल्लाकर, शिनाख्त कर उज्जैन के महाकाल मंदिर में गिरफ्तारी दी। और आज विकास दुबे की पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने की खबर भी आ गई।

पर विकास दुबे तो संगठित अपराध का एक मोहरा था। उस संगठित अपराध के सरगना असल में हैं कौन? विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद अनेकों सवाल सार्वजनिक जेहन में खड़े हो गए हैं, जिनका जवाब आदित्य नाथ सरकार को देना होगा:-

1- क्या विकास दुबे सफेदपोशों और शासन में बैठे लोगों का राजदार था? क्या उसे सत्ता-शासन में बैठे व्यक्तियों का संरक्षण था?

2- विकास दुबे के पास वो क्या राज थे, जो सत्ता-शासन से गठजोड़ को उजागर करते?

3- विकास दुबे का नाम प्रदेश के 25 मोस्ट वांटेड अपराधियों में शामिल क्यों नहीं किया गया था?

4- क्या विकास दुबे का एनकाउंटर अपने आप में कई सवाल नहीं खड़े कर गया?

(I)  अगर उसे भागना ही था, तो फिर उज्जैन में तथाकथित सरेंडर क्यों किया?

(II)  एनकाउंटर से पहले मीडिया के साथी, जो एसटीएफ की गाड़ियों के साथ चल रहे थे, उन सबको क्यों रोक दिया गया?

(III) पहले कहा गया कि अपराध की संगीनता को देखते हुए विकास दुबे को चार्टर प्लेन में लाएंगे, फिर यह फैसला क्यों बदल दिया गया?

(IV) पहले विकास दुबे एसटीएफ की सफारी गाड़ी में दिखा, तो फिर उसे महिंद्रा टीयूवी300 में कब और कैसे शिफ्ट किया गया?

(V)  विकास दुबे की टाँग में लोहे की रॉड होने के कारण वह लंगड़ाकर चलता था, तो वो यकायक भाग कैसे गया?

(VI) अगर अपराधी विकास दुबे भाग रहा था, तो फिर गोली पीठ की बजाय छाती में कैसे लगी?

(VII) मौके पर मीडियाकर्मियों को गाड़ी के एक्सीडेंट का कोई स्किड मार्क क्यों नहीं मिला और दिखा?

(VIII)  क्या यह सही है कि पहले मीडिया को एक्सीडेंट बताया गया और अस्पताल में गोली चलने की पुष्टि की गई?

(IX)  क्या यह सही है कि मौके पर बारिश की वजह से कीचड़ था, तो जब भागते हुए व एनकाउंटर में मारे गए विकास दुबे के शव अस्पताल लाया गया, तो कपड़ों पर मिट्टी या कीचड़ का एक भी निशान क्यों नहीं था?

(X)  इस रहस्यमयी एनकाउंटर की असलियत क्या है?

सुरजेवाला ने कहा कि आठ पुलिस के अधिकारियों व जवानों की नृशंस हत्या व शहादत तथा विकास दुबे के एनकाउंटर ने अपने आप में आदित्यनाथ सरकार में गुंडाराज व अपराधिक बोलबाले को लेकर गहन सवाल खड़े कर दिए हैं।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग है कि विकास दुबे के सरगनाओं को बेनकाब कर ही आठ शहीद पुलिसकर्मियों को न्याय मिल सकता है तथा संगठित अपराध पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

हमारी मांग है कि न केवल विकास दुबे एनकाउंटर, परंतु संगठित अपराध के सत्ता-शासन में बैठे गठजोड़ को बेनकाब करने के लिए एक सीमित समय में सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज से जाँच करवाई जाय। यह मुख्यमंत्री, श्री आदित्य नाथ व देश के गृहमंत्री, अमित शाह के लिए कसौटी की घड़ी है कि क्या वो सफेदपोशों व शासन में बैठे लोगों के अपराधियों के साथ गठजोड़ को उजागर करने की हिम्मत दिखाएंगे? यही राजधर्म के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का इम्तिहान भी है।


 

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