मशहूर तेलुगु कवि और राजनीतिक कार्यकर्ता वरवर राव कोरोना से संक्रमित पाये गये हैं। भीमा कोरेगाँव केस में 22 महीने से जेल में बंद 81 साल के वरवर राव की तबीयत काफ़ी ख़राब है जिसकी वजह से उन्हें 13 जुलाई को तलोजा जेल से मुंबई के जे.जे.अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
“He is not showing any signs of COVID. He is stable and will be shifted to another hospital as we are a non-COVID hospital,” Dr. Ranjeet Mankeshwar, Dean of JJ Hospital, told The Hindu.https://t.co/qCCZKsKDsG
— The Hindu (@the_hindu) July 16, 2020
वरवर राव की ज़मानत के लिए पूरे देश से आवाज़ें उठ रही हैं, लेकिन सरकार के कान पर जूँ नहीं रेंग रही है। पिछले दिनों उनके परिवार ने उनके इलाज को लेकर हो रही कोताही पर गहरी चिंता जताते हुए प्रेस कान्फ्रेंस की थी जिसे विस्तार से मीडिया विजिल ने कवर किया था। इस संबंध में हमारी 12 जुलाई की रिपोर्ट आप एक बार फिर पढ़ सकते हैं–
जेल में बंद मशहूर क्रांतिकारी तेलुगू कवि वरवर राव की शारीरिक-मानसिक स्थिति काफी बिगड़ गयी है। 81 साल के वरवर राव काफी बीमार हैं और शनिवार रात उनके मरने की भी अफवाह फैल गयी था। बाद में पता चला कि वे जीवित हैं, लेकिन उनकी बीमारी काफ़ी बढ़ गयी है। रविवार को उनके परिवार ने उनके इलाज की समुचिति व्यवस्था करने की माँग की जो किसी कैदी का अधिकार भी है।
भीमा कोरेगांव केस के संबंध में वरवर राव नवी मुंबई के तलोजा जेल में हैं। 28 मई को उन्हें बेहोशी की हालत में जे.जे.अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन तीन दिन बाद ही उन्हे वापस जेल भेज दिया गया, हालांकि वे पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुए थे और उन्हें देखभाल की सख़्त ज़रूरत थी।
रविवार को वरवर राव की पत्नी और बेटियों ने वीडियो संदेश के ज़रिये इस मुद्दे पर गहरी चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि शनिवार शाम वरवर राव से फोन पर बात हुई तो उनकी आवाज़ उखड़ी हुई लग रही थे और वे मतिभ्रम के शिकार लग रहे थे। ऐसा लग रहा था कि अपनी चेतना खो रहे हैं। वे अपने पिता और माँ के अंतिम संस्कार को लेकर कुछ कह रहे थे जबकि पिता का निधन करीब सत्तर साल और माँ का निधन चालीस साल पहले हो चुका है। उनके साथ जेल में बंद एक सह आरोपी ने उनका हाल देखते हुए फोन ले लिया और बताया कि वरवर राव चलने फिरने की हालत में नहीं हैं। वे अपने आप न टॉयलट जा पाते हैं और न दाँत ही साफ़ कर पाते हैं। उनहें हमेशा लगता है कि उन्हें छोड़ दिया गया है और परिवार के लोग उन्हें लेने के लिए जेल के फाटक पर खड़े हैं। उस साथी ने बताया कि वरवर राव की हालत अच्छी नहीं है, उन्हें तुरंत डॉक्टर, खासतौर पर किसी न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाना जरूरी है। इलोक्ट्रोलाइट असंतुलन की वजह से वे स्मृतिभंग और मतिभ्रम का शिकार हो रहे हैं, साथ ही उनका सोडियम और पोटेशियम लेवल कम हो गया है जिससे ब्रेन हैमरेज भी हो सकता है। तलोजा जेल के अस्पताल में उनकी हालत को नियंत्रित करने लायक विशेषज्ञता और उपकरण नहीं है। उन्हें तुरंत किसी सुपरस्पेशियलिटी सुविधाओं वाले अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है।
परिवार ने दावा किया कि वरवर राव को फर्ज़ी मुकदमे में फँसाकर जेल में डाला गया है। 22 महीने से वे विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में हैं जो किसी सज़ा से कम नहीं है। उनकी जमानत याचिका पाँच बार खारिज की जा चुकी है। उनकी बीमार हालत, उम्र, यहाँ तक कि कोरोना संक्रमण के ख़तरे को भी संज्ञान नहीं लिया गया जो ज़मानत देने के स्पष्ट आधार हैं। परिवार ने कहा कि वरवर राव की जान बचाना फिलहाल प्राथमिकता है इसलिए महाराष्ट्र सरकार से माँग है कि वरवर राव को किसी बेहतर अस्पताल में भर्ती कराया जाये या फिर परिवार को उनका इलाज कराने की इजाज़त दी जाये। सरकार को किसी भी व्यक्ति, चाहे वह विचाराधीन कैदी ही क्यों न हो, के जीवित रहने के अधिकार को इंकार करने का हक़ नहीं है।
परिवार ने महाराष्ट्र की उद्धव सरकार को यह भी याद दिलाया कि सरकार में शामिल पार्टियों ने भी भीमा कोरेगाँव केस को लेकर तमाम सवाल उठाये थे। ऐसे में उसका नैतिक दायित्व है कि वह वरवर राव की जान बचाये।
वरवर राव की पत्नी हेमलता के अलावा उनकी बेटियाँ सहजा, अनला और पावना ने इस प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित किया। आप मीडिया विजिल फेसबुक पेज पर प्रसारित यह कान्फ्रेंस नीचे देख सकते हैं।