यूपी में इस समय वायरल बुखार के खतरे के साथ अब डेंगू का कहर भी छाने लगा है। ऐसे में इसका सीधा असर स्वस्थ व्यवस्था पर दिख रहा है। यूपी के वाराणसी में एक ओर मौसमी बीमारियों का संकट तो वहीं दूसरी ओर यहां डेंगू के मरीज़ भी बढ़ने लगे हैं। मरीज़ों की बढ़ती संख्या ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) की व्यवस्था उजागर कर रहीं है। यहां जिस तरह की भीड़ उमड़ रही है उसके चलते सुविधाएं नाकाफी हो रहीं हैं।
जांच के लिए जिला, मंडलीय अस्पताल के चक्कर..
बीमारी से लड़ने में जो जरूरी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में उनकी कमी है। मरीजों को किसी तरह प्राथमिक उपचार तो यहां मिल रहा है, लेकिन ब्लड टेस्ट, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और कुछ जरूरी दवाओं के लिए उन्हें जिला, मंडलीय अस्पताल के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
भीड़ के हिसाब से सुविधाएं नही…
यहां शहरी और ग्रामीण इलाकों को मिलाकर 50 से ज्यादा सीएचसी, पीएचसी हैं। अमर उजाला की एक खबर के मुताबिक, आउट पेशेंट विभाग (ओपीडी) में पंद्रह-बीस दिनों से सर्दी, खांसी, बुखार और पेट संबंधी बीमारी के मरीज़ ज़्यादा आ रहे हैं। वायरल फीवर, डेंगू से परेशान लोग स्वास्थ्य केंद्रों पर दिखाने आ रहें है। लेकिन जब उन्हें चिकित्सक खून की जांच या अन्य जरूरी जांच कराने की सलाह दे रहे है तो मरीजों को जिला, मंडलीय अस्पताल भागना पड़ रहा हैं। जिससे मंडलीय अस्पताल की पैथोलॉजी पर जांच का दबाव बढ़ गया है। पहले के मुकाबले अब यहां दोगुना मरीज़ जांच के लिए आ रहे हैं। इसका कारण है की सीएचसी, पीएचसी में मरीज़ों की भीड़ के हिसाब से सुविधाएं नही है। इस लिए अधिकांश मरीज़ों को स्वास्थ्य केंद्रों से यहां रेफर किया जा रहा हैं।
मरीज़ बाहर से दवा लेने को मजबूर..
पिंडरा बाज़ार स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इन दिनों मरीज़ों को बाहर से दवा लेनी पड़ रही है वह मजबूर हैं। खबर के अनुसार, ओपीडी में औसतन 175 से अधिक मरीज़ आ रहे हैं। लगभग 25000 की आबादी के गांव में 20 से 25 लोगों को डॉक्टर देख तो लेते हैं। लेकिन उन्हें भी कुछ दवाइयां बाहर से पैसे चुका कर लेनी पड़ रही है।