चौकाने वाली खबर यह है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू अरबी फारसी विश्वविद्यालय, लखनऊ, के दीक्षांत समारोह में 2007 में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिस्ती की अजमेर स्थित दरगाह में हुई आतंकी घटना के आरोपी इंद्रेश कुमार को 21 नवम्बर, 2019 को मानद डी.लिट. की उपाधि से नवाजा जाएगा। इंद्रेश कुमार हिन्दुत्ववादी कार्यकर्ता सुनील जोशी की हत्या के मामले में भी आरोपी रहे। विश्वविद्यालय के कुलपति माहरूख खान, जिनकी अपनी अकादमिक योग्यता भी संदिग्ध बताई जाती है, से पूछा जाना चाहिए कि इंद्रेश कुमार ने समाज में ऐसा कौन सा योगदान दिया है कि उन्हें मानद डी.लिट. की उपाधि दी जाए? इंद्रेश कुमार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक हैं व माहरूख खान मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से जुड़े हुए हैं।
यह मुस्लिम, इसाई व पारसियों का भी देश है। यह देश तभी मजबूत व विकसित बन सकता है जब भारत में रहने वाले विभिन्न समुदाय आपसी सौहार्द के साथ रहेंगे।’ मालवीय जी की यह कोशिश रही कि दुनिया भर से भिन्न-भिन्न विचारधाराओं के विद्वानों को लाकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में उनसे अध्यापन कराया जाए। ऐसे में विरोध करने वाले छात्रों को सोचना चाहिए कि क्या वाकई में मालवीय जी उनके तर्क से सहमत होते?
संदीप पाण्डेय ,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) द्वारा जारी