मोदीजी के नेतृत्व में यूएन सुरक्षा परिषद ने तालिबान को किया आतंकियों की लिस्ट से बाहर!

पिछले दिनों बड़ा शोर मचा कि मोदी जी के जलवे के नतीजे में भारत, अस्थायी सदस्य बतौर, पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष चुना गया (हालांकि महीने भर की ये अध्यक्षता भारत पहले भी सात बार कर चुका था)। बहरहाल ख़बर ये है कि अगस्त माह के अध्यक्षजी यानी माननीय मोदी जी के नेतृत्व में परिषद ने अफ़ग़ानिस्तान के आतंकवादियों की लिस्ट से तालिबान को बाहर कर दिया है।

दरअसल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने काबुल हवाई अड्डे के पास आतंकवादी हमलों पर जारी अपने बयान के एक पैराग्राफ से तालिबान के संदर्भ को हटा दिया है, जिसमें अफगान समूहों को “किसी अन्य देश में सक्रिय” आतंकवादियों का समर्थन नहीं करने का आह्वान किया गया था।

इससे पहले 16 अगस्त को अफगानिस्तान पर अपने पहले के बयान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थिति बिल्कुल अलग थी। तब उसने चेतावनी दी थी कि “न तो तालिबान और न ही किसी अन्य अफगान समूह को या व्यक्ति को इस क्षेत्र में सक्रिय अन्य देश के आतंकवादियों का समर्थन करना चाहिए।

इस बदलाव को चिन्हित करते हुए,  पिछले साल अप्रैल तक संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रहे सैयद अकबरुद्दीन ने एक ट्वीट किया है। उन्होंने दोनों बयानों में अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि नये  बयान से ‘टी’ शब्द चला गया है. अकबरुद्दीन ने लिखा है, “कूटनीति में एक पखवाड़ा बहुत लंबा समय होता है, अब ‘टी’ शब्द गायब हो चुका है।”

 

दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी उत्तर प्रदेश जैसे चुनावी चक्र में प्रवेश करने जा रहे राज्यों में तालिबान को मुद्दा बनाकर ध्रुवीकरण में जुटी हुई है। बीजेपी समर्थक और आईटी सेल तालिबान को सीधे मुसलमानों से जोड़कर हमलावर हैं। पर मोदी सरकार इस कूटनीतिक मामले पर फूँक-फूँककर क़दम रख रही है। सर्वदलीय बैठक में भी देखो और इंतज़ार करो की नीति पर सहमति बनी है। लेकिन  जिस तरह से बीजेपी इसे राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही है उससे अतंरराष्ट्रीय राजनय में भारत की खिल्ली उड़ सकती है।

 

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