नागरिकता संशोधन कानून 2019 के खिलाफ असम सहित समूचे पूर्वोत्तर और देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर गृहमंत्री अमित शाह ने भले ही कोई संतोषजनक आश्वासन न दिया हो किन्तु इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र संघ और संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार संस्था ने चिंता व्यक्त की है. संयुक्त राष्ट्र (जिनेवा) ने कहा है -“हम चिंतित हैं कि भारत का नया नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 मौलिक रूप से भेदभावपूर्ण है. हमें उम्मीद है कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत के अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों के साथ कानून की अनुकूलता पर ध्यान से विचार करेगा.”
"We are concerned that India’s new Citizenship (Amendment) Act 2019 is fundamentally discriminatory in nature. We hope the Supreme Court of #India will consider carefully the compatibility of the law with India’s international human rights obligations." — @UNHumanRights pic.twitter.com/ThizC1rWDf
— United Nations Geneva (@UNGeneva) December 13, 2019
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय द्वारा एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा गया है कि भारत का नया नागरिकता कानून मौलिक रूप से भेदभावपूर्ण है. सताये गये समूह की रक्षा की बात स्वागत योग्य है किन्तु इस नये कानून में मुस्लिमों को संरक्षण देने की बात नहीं है.
#India: We are concerned that the new #CitizenshipAmendmentAct is fundamentally discriminatory in nature. Goal of protecting persecuted groups is welcomed, but new law does not extend protection to Muslims, incl. minority sects: https://t.co/ziCNTWvxc2#FightRacism #CABProtests pic.twitter.com/apWbEqpDOZ
— UN Human Rights (@UNHumanRights) December 13, 2019
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन विधेयक जो अब संसद के दोनों सदनों में पारित होकर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून में तब्दील हो गया है, इसके विरोध में असम सहित पूरा पूर्वोत्तर उबल रहा है.
Internet/SMSs suspended in Meghalaya, Crefew imposed in Shillong pic.twitter.com/LqK41hOZ5v
— Ashish K Singh (ABP News) (@AshishSinghLIVE) December 12, 2019
सरकार ने प्रदर्शनों को कुचलने के लिए भारी संख्या में सुरक्षा बल और सेना तैनात कर दी है. असम में अब तक पुलिस की गोली से तीन लोगों की मौत हो चुकी है. और कई लोग घायल हो गये हैं. कई हिस्सों में इन्टरनेट सेवा बंद है. यही हाल मेघालय की भी है. त्रिपुरा में भी आन्दोलन हो रहा है किन्तु असम में सबसे उग्र प्रदर्शन हो रहा है, लोग कर्फ्यू तोड़कर बाहर आकर इस कानून का विरोध कर रहे हैं.
“They kneeled down, took position and fired. Even as people retreated, they kept at it.”
Assam police fired without warning, multiple eyewitness told @psychia90.
Two killed, 26 injured, many of them mere bystanders.https://t.co/aCAuVs471n
— Supriya Sharma (@sharmasupriya) December 14, 2019
इस बीच पुलिस ने क्या कहा? विरोध प्रदर्शनों को संभालने के लिए दिल्ली से असम भेजे गए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा है -अगर एक दो गोली लगने से स्थिति सामान्य हो सकती है, तो यह ठीक है ”-जीपी सिंह, आइपीएस !
“If a couple of bullet injuries can bring the situation to normalcy, it is ok"—GP Singh, a top cop in the Indian Police Service who was sent from Delhi to Assam to handle the protests https://t.co/dpNf9opiH2
— Mary Hui (@maryhui) December 14, 2019
बता दें कि इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुई है. जिनमें इंडियन मुस्लिम लीग पार्टी , टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और असम के कांग्रेस नेताओं की याचिकाएं शामिल हैं.
शुक्रवार को इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन करते जामिया मिलिया के छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे. जिसमें कई छात्र बुरी तरह ज़ख़्मी हो गये.