बेरोजगारी की वजह से साल 2018 में हर घंटे एक व्यक्ति ने की खुदकुशी: NCRB

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2018 में बेरोजगारी के कारण खुदकुशी करने के आंकड़ों ने किसान आत्महत्याओं को भी पीछे छोड़ दिया है. ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक देश में बेरोजगारी की वजह से साल 2018 में औसतन 35 लोगों ने रोजाना खुदकुशी की हैं. जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018 में 12 हजार 936 लोगों ने बेरोजगारी से तंग आकर खुदकुशी की थी. ये अकड़े बताते है कि 2018 में देश में खुदकुशी के मामलों में 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई हैं. 2018 में आत्महत्या के 1 लाख 34 हजार 516 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2017 में 1 लाख 29 हजार 887 लोगों ने खुदकुशी की थी.

रिपोर्ट के मुताबिक बेरोजगारी के चलते महिलाओं से ज्यादा पुरुषों ने आत्महत्या की है. आंकड़ों को देखें तो 82 फीसदी पुरुषों ने बेरोजगारी से तंग आकर जान दे दी. बेरोजगारी के कारण खुदकुशी के मामले में पहले नंबर पर केरल है. केरल में 1585 लोगों ने सुसाइड किया है. इसके बाद सबसे ज्यादा मामले तमिलनाडु (1579), महाराष्ट्र (1260), कर्नाटक (1094) और उत्तर प्रदेश (902) में दर्ज किए गए हैं.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में 5763 किसानों और 4586 खेतिहर मजदूरों ने खुदकुशी की है. अगर 2018 की बात करें तो किसानों की खुदकुशी में 5457 किसान पुरुष थे, जबकि 306 महिलाएं थी. खेतिहर मजदूरों की बात करें तो खुदकुशी करने वालों में 4071 पुरुष थे, जबकि महिलाओं की संख्या 515 थी.

किसानों की खुदकुशी के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए. कुल खुदकुशी के 34.7 फीसदी मामले महाराष्ट्र में, 23.2 फीसदी कर्नाटक में, 8.8 फीसदी तेलंगाना में, 6.4 फीसदी आंध्र प्रदेश में और 6.3 फीसदी मध्य प्रदेश में दर्ज किए गये.

आंकड़े कहते हैं कि पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, मेघालय, गोवा, चंडीगढ़, दमन और दीव, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में साल 2018 के दौरान किसी किसान, खेतिहर मजदूर ने आत्महत्या नहीं की है.

सेंटर फॉर मोनिटरिंग इकोनोमी यानी अर्थव्यवस्था पर नज़र रखने वाली एक संस्था के अनुसार दिसंबर में भारत की बेरोजगारी दर में 7.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.



 

First Published on:
Exit mobile version