जेएनयू के पूर्व छात्रनेता उमर ख़ालिद को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने रविवार देर रात गिरफ़्तार कर लिया। इसके पहले उनके साथ करीब 11 घंटे लंबी पूछताछ हुई। यह गिरफ़्तारी दिल्ली दंगो की साज़िश रचने के सिलसिले में हुई। पुलिस ने UAPA एक्ट के तहत ये गिरफ़्तारी की है।
इसके पहले उमर ख़ालिद से 2 सितंबर को भी पूछताछ हुई थी। उमर को सोमवार को कोर्ट में पेश किया जायेगा।
उमर ख़ालिद की गिरफ़्तारी को लेकर दिल्ली पुलिस पर वैसे ही आरोप लग रहे हैं जैसा कि पिछले दिनों सीताराम येचुरी, योगेंद्र यादव, जयति घोष, अपूर्वानंद और राहुल राय का नाम दिल्ली दंगों के संबंध में जोड़ने पर लगे थे। आरोप है कि जो लोग भी सीएए और एनआरसी विरोधी आंदोलन के साथ जुड़कर सरकार का विरोध कर रहे थे, सरकार उन सबको निशाना बना रही है। उमर ख़ालिद तो पहले से ही निशाने पर थे।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और इतिहासकार रामचंद्र गुहा सहित कई हस्तियों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जतायी है।
Umar Khalid’s arrest by Delhi police after naming Yechury, Yogendra Yadav, Jayati Ghosh& Apoorvanand, leaves no doubt at all about the malafide nature of it’s investigation into Delhi riots. It’s a conspiracy by the police to frame peaceful activists in the guise of Investigation
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) September 14, 2020
Academics, Rights Activists Condemn Umar Khalid’s Arrest, Accuse Delhi Police of ‘Witch Hunt’ https://t.co/15oHQUt2nv
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) September 14, 2020
वैसे, दिल्ली पुलिस जो कर रही है, उसके बारे में किसी को कोई संदेह नहीं रहा है। पूरी दुनिया में दिल्ली पुलिस के अल्पसंख्यक विरोधी रुख और सरकार विरोधियों के दमन के लिए पेशेवर रवैया छोड़ने की निंदा हो रही है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में दिल्ली दंगों के लिए सीधे दिल्ली पुलिस को ज़िम्मेदार बताया गया है।
दंगों पर एमनेस्टी की रिपोर्ट से भस्म हुई दिल्ली पुलिस की साख, वाशिंगटन तक चर्चा!
वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी ने एक दिन पहले ही लिख दिया था कि उमर खालिद की गिरफ्तारी होगी। उन्होंने जो वजह गिनायी थी, वह महत्वपूर्ण है। पंकज चतुर्वेदी ने फ़ेसबुक पर लिखा था–
आज दिल्ली पुलिस ने शातिर तरीके से , साजिशन समाचार एजेंसी पी टी आई से एक न्यूज चलवाई- जिसमें दिल्ली दंगों की साजिश में योगेन्द्र यादव, अपूर्वानंद, सीताराम येचुरी , जयति घोष आदि के नाम का जिक्र है, हालांकि बाद में इसी एजेंसी ने एक खेद या संशोधन भी जारी किया कि इन लोगों का नाम आरोप पत्र में नहीं है , लेकिन तब तब वह षड्यंत्र काम कर चुका था.
असल में अब कंगना- रिया – सुशांत मसले के टिल का सारा तेल निकल चुका है — चीन द्वारा जमीं हडपने व् सीमा पर तनाव, महंगाई, बेरोजगारी आदि असल मसलों से ध्यान हटाने को कुछ नया मसला तो चाहिए ताकि रुबिका, सुधीर, अर्णव, सरदाना आदि सारा दिन चीख सकें.
दिल्ली पुलिस को 16 सितम्बर से पहले उस मामले में आरोप पत्र दाखिल करना है जिसे दिल्ली दंगों की साजिश का कहा गया और उसमें सभी लोगों को यूं ए पी ए में गिरफ्तार किया गया — गुल्फिशं, देवांगना, नताशा , ताहिर हुसैन, खालिद सैफी आदि को — लेकिन पुलिस के पास इस मामले में कतिपय गिरफ्तार अभियुक्तों के बयान ( ऐसे बयान पुलिस अभिरक्षा में जबरिया लिखवाये जाते हैं और उनका अदालत में कोई महत्व नहीं होता — इसे डिस्क्लोजर स्टेटमेंट कहा गया ) के आधार पर आरोप पत्र में कहा गया कि योगेन्द्र यादव, अपूर्वानंद आदि ने सी ए ए -एन आर सी विरोधी आन्दोलनों में भड़काऊ भाषण दिए जिनसे दंगा हुआ , इस मामले में पुलिस ने नताशा और देवांगना के बयान भी बनाए गए और उन्होंने उस पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया – यह भी रिकार्ड में हैं.
दिल्ली पुलिस, क्राईम ब्रांच और स्पेशल सेल — ये तीन अलग अलग मामलों की जांच कर रहे हैं — जिस मामलें ने पुलिस को 16 सितम्बर तक चार्ज शीट पेश करना है , उसमें उनके पास कुछ नया नहीं है — इसी लिए अब उस उमर खालिद को बुलाया गया है — जिससे पहले भी स्पेशल सेल दो बार कई कई घंटे पूछ ताछ कर चुकी है, जिसका फोन जब्त किया गया है लेकिन हर चार्ज शीट में उसे मुख्य साजिशकर्ता कहे जाने के बावजूद गिरफ्तार नहीं किया गया . हालांकि उमर खालिद दिल्ली से बाहर था लेकिन दो दिन से पुलिस उनके घर पर नोटिस दे रही है हाज़िर होने का . जैसे जैसे 16 तारीख करीब आ रही है , पुलिस की विच हंटिंग तेज हो रही है.
अब उम्मीद है कि उमर खालिद को गिरफ्तार दिखा कर एक बार फिर से टुकड़े टुकड़े गेंग, जे एन यूं , अर्बन नक्सल जैसे जुमले उछल कर टीवी के खबरिया चेनल पुलिस के झूठे प्रचार, नफरत और दंगे की साजिश के असल आरोपियों को बचने के लिए तथ्यहीन बहस-ख़बरें चलायें . इस बीच अदालत कई कई बार कह चुका है कि दिल्ली दंगों पर पुलिस सिलेक्टिव खबरें ना चलावे लेकिन यह सब इतने ऊँचे स्तर पर पिरोया जा रहा है कि किसी को कोई डर नहीं.
तो तैयार रहिये — उमर खालिद और एक-दो और चर्चित नामों की माला जपने के लिए — इस समय न देश, न जनता न कोरोना, बस एक ही लक्ष्य- एक ही इरादा , बिहार चुनाव बिहार चुनाव.
ज़ाहिर है, उमर ख़ालिद की गिरफ़्तारी समेत दिल्ली पुलिस की तमाम कार्रवाइयाँ निशाने पर हैं, ख़ासकर जब कपिल मिश्र जैसे खुलेआम भड़काऊ भाषण देने वाले बीजेपी नेता और तमाम मंत्रियों के ख़िलाफ़ पुलिस ने हल्की सी जुंबिश भी नहीं की है।
बहरहाल, उमर ख़ालिद को जानने वाले कहते हैं कि इससे उसका हौसला टूटेगा नहीं। पिछले दिनों गोरख पांडेय की एक कविता का उसने पाठ किया था। वह वीडियो देखिये–