हिमाचल में क़ुदरत का क़हर, 13 की मौत, तबाही का महीना बना अगस्त!

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में बुधवार दोपहर 12 बजे के करीब बड़ा हादसा हुआ। यहां पर चट्टानों के गिरने के कारण यात्रियों से भरी बस हादसे का शिकार हो गई है। एचआरटीसी की बस हिमाचल प्रदेश के रिकांगपिओ से उत्तराखंड के हरिद्वार जा रही थी। तभी किन्नौर जिले के पास निगुलसेरी में पहाड़ से लैंडस्लाईड होने लगा। इस हादसे में अब तक 13 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। जबकि 14 घायलों को मलबे से निकाल लिया गया है। 40 से ज्यादा लोगों के लापता होने की आशंका जताई जा रही है। कल रात एक ट्रक व टाटा सूमो में सवार आठ मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। घटनास्थल पर ड्रोन से भी सर्च अभियान चलाया जा रहा।

 

अचानक लैंडस्लाइड ने रास्ते में कारों को भी चपेट में लिया..

आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडे ने बताया जहां हादसा हुआ है, यह 50 से 60 मीटर का स्लोप एरिया है जो नदी की तरफ जाता है। हालांकि अभी बस का ट्रेस नहीं मिल पाया है। ऐसा अंदेशा है कि शायद बस खाई में गिर गई है। तलाश जारी है बारिश और अंधेरे के बाद मुश्किल और बढ़ सकती है। हादसे के वक्त घटनास्थल पर 6 से 7 गाड़ियां 200 मीटर की दूरी के बीच मूव कर रही थीं। अचानक लैंडस्लाइड की वजह से कार निकल नही पाई। हालांकि 3 बटालियन के 300 जवानों ने रेस्क्यू के दौरान कार में सवार लोगों को लगभग बचा लिया है। सबसे बड़ी चुनौती बस की तलाश और उसमें मौजूद सवारियों को बचाना है। दो बसें भी फंसी हो सकती हैं. पुलिस, एनडीआरएफ और स्टेट टीम का सर्च ऑपरेशन जारी है।

बीते दो साल मानव जीवन पर श्राप की तरह..

आज हिमाचल प्रदेश में मौसम साफ था। इस तरह की तबाही की आशंका नही थी। अगस्त मानो तबाही अपने साथ लाया हैं ।इससे पहले भी हिमाचल में तबाही मची हुई थी। सिर्फ यही नहीं इस समय पूरे देश में मानों खतरा मंडरा रहा है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड,उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और बंगाल में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से तबाही मची हुई है। उत्तर भारत और पूर्व के कई राज्यों में सड़कों पर बाढ़ ने लोगो का जीना दुशवार किया है। पहले महाराष्ट्र और अब मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी बाढ़ ने भारी तबाही मचा रखी है। यूपी के दर्जनों जिले बाढ़ की चपेट में हैं। कई लोग बाढ़ की चपेट में आ कर मौत की आगोश में समा गए है। पिछले 2 सालों से महामारी ने देश में लाखों लोग को असमय सुला दिया और अब कुदरत की एक और तबाही मानव जीवन पर संकट बनी हुई है।

 

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