कोरोना से जुड़े मृत्यु प्रमाणपत्र के दिशानिर्देश में देरी पर केंद्र से नाख़ुश सुप्रीम कोर्ट, 11 तक का समय दिया

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 3 सितंबर को COVID-19 के कारण जान गंवाने वालों के परिवारों को मृत्यु प्रमाण पत्र (death certificate) जारी करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने में देरी पर नाराज़गी व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने केंद्र सरकार से उक्त निर्देशों के संबंध में 11 सितंबर या उससे पहले अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

अदालत ने केंद्र से कहा की 30 जून को पारित न्यायिक निर्देशों के अनुपालन से 11 सितंबर तक COVID-19 के कारण मरने वालों के संबंध में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करें।

केंद्र के सॉलिसिटर जनरल ने मांगा और समय, SC नाखुश

दरअसल, 16 अगस्त की सुनवाई में कोर्ट ने आज यानी 3 सितंबर तक COVID मृत्यु प्रमाण पत्र पर दिशा-निर्देशों के संबंध में एक अनुपालन हलफनामा मांगा था। लेकिन केंद्र के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आज कोर्ट से एक सप्ताह का समय और मांगा। जिसपर न्यायमूर्ति शाह ने नाखुशी जताते हुए कहा, “हमने काफी समय पहले ही आदेश पारित किया था। हम इस काम के लिए पहले ही एक बार समय अवधि बढ़ा चुके हैं। लगता है जब तक आप दिशानिर्देश तैयार करने में साफ होंगे, तब तक तीसरा चरण भी खत्म हो जाएगा।”

कार्ट की नाखूशी देखते हुए सॉलिसिटर जनरल ने पीठ को इस बात का आश्वासन दिया कि मामला प्रक्रिया में है। जल्द ही मुआवजे के भुगतान के लिए दिशानिर्देश को अंतिम रूप दिया जाएगा। आपको बता दें की शीर्ष अदालत ने 16 अगस्त को केंद्र के कहने पर ही चार हफ्ते की समय अवधि का विस्तार दिया था।

कोर्ट के आदेशों का सम्मान करना चाहिए..

इस मामले के याचिकाकर्ता वकील गौरव बंसल ने कहा कि विचाराधीन होने का बहाना कर चीजों में विलंब नहीं किया जाना चाहिए। संघ को कोर्ट के आदेशों का सम्मान करना चाहिए। कोर्ट द्वारा समय बढ़ने के बाद भी मुआवजे के भुगतान के लिए दिशानिर्देश नही बन सके और केंद्र सरकार अब और वक्त मांग रही है।

पहले निर्देश का समय आठ सितंबर को समाप्त..

30 जून को पारित पहले निर्देश का समय आठ सितंबर को समाप्त हो रहा है। 30 जून को दिए गए फैसले में, कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश दिया था कि वह 6 सप्ताह के भीतर उन लोगों को मुआवजा देने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करे जिनके परिजनों की मृत्यु COVID के कारण हुई थी। जस्टिस अशोक भूषण ने सेवानिवृत्त होने से पहले और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने दो अलग-अलग याचिकाओं पर यह निर्णय दिया था। इस मामले में गौरव कुमार बंसल और रीपक कंसल ने याचिका दायर की थी और कोर्ट से केंद्र तथा राज्यों को कानून के तहत चार लाख रुपये का मुवाज़ा देने का निर्देश देने की अपील की थी। लेकिन कोर्ट ने कहा था की यह केंद्र तय करेगा की मुआवजे की रकम कितनी होगी।

पीठ ने पहले ही स्पष्ट किया था कि कोविड से मृत्यु के संबंध में जारी किए गए मृत्यु प्रमाण पत्र में कोविड के रूप में मृत्यु का कारण स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट किया जाना चाहिए। इसके अलावा, भले ही किसी व्यक्ति की मृत्यु COVID पॉजिटिव रहते हुए किसी अन्य जटिलता या बीमारी के कारण हुई हो, तो भी मृत्यु प्रमाण पत्र में विशेष रूप से मृत्यु के कारण के रूप में COVID का उल्लेख होना चाहिए। आज पीठ ने अंततः मामले को स्थगित कर दिया और संघ को 11 सितंबर तक निर्देश अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

 

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