रिपब्लिक टीवी चैनल के विवादित एंकर और एडिटर अर्नब गोस्वामी के ऊपर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने और कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के लिए अभद्र भाषा का उपयोग करने के लिए दर्ज़ मामले को पुलिस से सीबीआई को सौंपे जाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज़ कर दी है। इसके साथ ही अर्नब गोस्वामी के ऊपर दर्ज़ एफआईआर भी रद्द करने से मना कर दिया गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी को किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से बचाते हुए अगले तीन हफ़्ते का संरक्षण दे दिया है। इसके साथ ही मुंबई पुलिस कमिश्नर को अर्नब गोस्वामी की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है। महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं और उनके एक ड्राईवर की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गयी थी। अर्नब गोस्वामी के ऊपर आरोप है कि अपने टीवी चैनल के कार्यक्रम में उन्होंने पालघर में हुई इस घटना को सांप्रदायिक एंगल देने की कोशिश की। साथ ही सोनिया गांधी को लेकर तमाम तरह की अभद्र भाषा का उपयोग किया।
Supreme Court extends for 3 weeks interim protection against any coercive steps granted to Republic TV's Arnab Goswami, in connection with several FIRs registered against him for allegedly defaming Congress interim president Sonia Gandhi.
— ANI (@ANI) May 19, 2020
अर्नब गोस्वामी पर रज़ा फाउंडेशन द्वारा भी एक एफआईआर दर्ज़ करवाई गयी थी। जिसमें अर्नब गोस्वामी के ऊपर बांद्रा में घर जाने के लिए एकत्रित हुए प्रवासी मजदूरों के मामले को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप है। बांद्रा में एकत्रित इन लोगों को लेकर अर्नब गोस्वामी अपने बड़े से एसी स्टूडियो में लगातार चिल्लाते रहे, “ये इकठ्ठा हुए लोग बहुत बड़ी साजिश का हिस्सा हैं। पास में ही मस्जिद है और ये मस्जिद के पास ही इकठ्ठा हुए हैं। ये मजदूर नहीं हैं। पैसे देकर बुलाये गए लोग हैं” लेकिन साथ ही अदालत ने ये भी कहा कि मामला अदालत में आने के बाद से की गई, कोई भी एफआईआर मान्य नहीं होगी।
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने इस मामले को लेकर कहा कि हमारे हस्तक्षेप करने की वजह ये थी कि सिर्फ़ एक ही कारण से कई एफआईआर दर्ज़ की गयी थी। अगर आप चाहते हैं कि ये एफआईआर रद्द हो तो बॉम्बे हाईकोर्ट में पर्याप्त उपाय उपलब्ध हैं। साथ ही पीठ ने ये भी कहा कि सी.पी.सी. के तहत जो भी सामान्य प्रक्रिया होती है। उसके लिए विशेष छूट नहीं बनायी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा आर्टिकल 32 के तहत एफआईआर पर कोई सुनवाई नहीं हो सकती। याचिका दाख़िल करने वाले के पास सक्षम कोर्ट के सामने संभव उपाय अपनाने की स्वतंत्रता है।
No transfer of investigation to Central Bureau of Investigation, says Supreme Court on transfer of probe in connection with FIRs registered against Republic TV’s Editor-in-Chief, Arnab Goswami for his alleged statement, in his TV debate, including one related to Palghar killings. https://t.co/aFo22cIJ3q
— ANI (@ANI) May 19, 2020
पालघर वाली घटना के बाद अर्नब गोस्वामी ने अपने कार्यक्रम में तमाम सांप्रदायिक बातें कहीं। जिसको लेकर देश के कई राज्यों में अर्नब गोस्वामी के ऊपर एफआईआर दर्ज की गयी थी। इन सबसे बचने के लिए अर्नब सुप्रीम कोर्ट की शरण में चले गए थे। जहां उनके ख़िलाफ़ अलग-अलग राज्यों में दर्ज एफआईआर को एक ही जगह करके, उनका स्थानान्तरण मुंबई कर दिया गया था। वैसे एफआईआर दर्ज़ होने के बाद भी अर्नब गोस्वामी लगातार इस तरह के कार्यक्रम करते रहे। यहां तक कि अर्नब गोस्वामी लगातार पुलिस की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताते रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ़ महाराष्ट्र सरकार की तरफ़ से भी अर्नब गोस्वामी को लेकर एक याचिका दाख़िल की गयी थी। जिसमें अर्नब गोस्वामी के बारे में कहा गया था कि ये जांच में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं और पुलिस की पूछताछ को मीडिया का तमाशा बना दिया है। वैसे चलते-चलते बता दें कि अर्नब गोस्वामी के ऊपर छत्रछाया ऐसी है कि फ्लाइट में अर्नब से सवाल पूछने और मज़ाक करने पर स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा को फ्लाइट से यात्रा करने पर रोक लगा दी गयी थी। लेकिन अर्नब गोस्वामी के उपर टीवी चैनल पर किसी के लिए अमर्यादित टिप्पणी करने पर कोई रोक नहीं लगायी गयी है……