“मेरे भाई-भाभी की गिरफ्तारी से जुड़ी पुलिस की कहानी झूठी है”!

उत्‍तर प्रदेश में नक्‍सल के नाम पर गिरफ्तारियों में इधर बीच अचानक तेज़ी आई है। सोमवार को देवरिया और कानपुर से कुल छह लोगों को यूपी एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्‍ता) ने उठाया था। देर शाम तक इनके बारे में कुछ खास ख़बर नहीं मिली, लेकिन आज मीडिया में ख़बर आई कि पूछताछ के बाद इन्‍हें छोड़ दिया गया है। इस बीच आज एक और ख़बर आई है कि यूपी एटीएस ने कथित तौर पर भोपाल से एक दंपत्ति को नक्‍सल के नाम पर गिरफ्तार किया है। यह दंपत्ति उत्‍तर प्रदेश के जौनपुर का निवासी है।

इस गिरफ्तारी पर इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली ‘’दस्‍तक’’ पत्रिका की संपादक और सामाजिक कार्यकर्ता सीमा आज़ाद ने मीडियाविजिल को एक टिप्‍पणी भेजी है जिसे उन्‍होंने अपने फेसबुक पर भी शाया किया है। टिप्‍पणी नीचे अविकल प्रकाशित है – संपादक


कल हम सब उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा उठाए गए चार लोगों के कुछ पता न चलने से परेशान थे। आज सुबह अखबारों से पता चला कि यूपी एटीएस ने भोपाल से उत्तर प्रदेश के मनीष श्रीवास्तव और अमिता श्रीवास्तव को नक्सल लिंक बताकर गिरफ्तार किया है। पुलिस अपनी स्टोरी में बता रही है कि उनके पास मनीष और अमिता के जंगल में गुरिल्लाओं से बात करते वीडियो हैं। हमेशा की तरह पुलिस की यह कहानी झूठी है।

मनीष और अमिता राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। अपनी आजीविका के लिए अमिता भोपाल के एक स्कूल में पढ़ाती थीं और दोनों ही पेशेवर तौर पर अनुवादक है। मनीष मेरा भाई और अमिता मेरी भाभी हैं। दोनों ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है, दोनों बहुत अच्छे विद्यार्थी रहे हैं। मनीष ने इलाहाबाद विश्ववद्यालय से बीए और गोरखपुर विश्वविद्यालय से हिंदी में एमए किया है। अमिता ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ओरल हिस्ट्री में पीएचडी की है।

दोनों छात्र जीवन से ही सामाजिक राजनैतिक कामों में सक्रिय रहे हैं और इलाहाबाद व गोरखपुर दोनों जगहों पर जाने जाते हैं। अमिता कहानीकार, कवि और गायिका भी हैं। शिरीन नाम से उनकी कविताएं, कहानियां विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। उन्होंने बोलीविया के खदान में काम करने वाली मजदूर डोमितिला की खदान का जीवन बयान करने वाली किताब ‘लेट मी स्‍पीक’ का हिंदी अनुवाद किया है। दोनों ने मिलकर हान सुइन की ऐतिहासिक किताब ‘’मॉर्निंग डेलूज’’ का हिंदी अनुवाद किया है जो कि शीघ्र प्रकाश्य है। मार्गरेट रेंडाल की पुस्तक ‘’सैनडीनोज़ डॉटर्स’’ का हिंदी अनुवाद किया है।

अमिता श्रीवास्तव ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की पेशेंट हैं। दोनों टाइम इंसुलिन लेना पड़ता है। मनीष को सर्वाइकल की समस्या है। पुलिस की कहानी फर्जी है और यह गिरफ्तारी लेखकों, बुद्धिजीवियों, राजनैतिक कार्यकर्ताओं पर बढ़ते दमन का एक और नमूना है।

First Published on:
Exit mobile version