नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और 17 मई आंदोलन के संयोजक तिरुमुरुगन गांधी को यूएपीए कानून के तहत जेल में डाल दिया गया है। यह मुकदमा उनके ऊपर 2017 में फलस्तीनियों के संघर्ष के साथ एक बैठक में एकजुटता जताने के लिए किया गया है।
पिछले 14 दिनों से गांधी जेल में हैं। उन्हें बंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था जब वे जिनेवा से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की बैठक में हिस्सा लेकर लौट रहे थे। वहां से उन्हें चेन्नई लाया गया और वेल्लूर की जेल में कैद कर दिया गया। पिछले 14 दिनों में उनके ऊपर 13 अलग-अलग मुकदमे लाद दिए गए हैं। इनमें से चार मुकदमे राजद्रोह के हैं तो आइपीसी की धारा 124-ए के अंतर्गत लगाए गए हैं। ये राजद्रोह के मुकदमे उन पर पेरियार और आंबेडकर की प्रतिमाओं को माला पहनाने, सभा को संबोधित करने, फेसबुक पर स्टरलाइट संघर्ष के वीडियो पोस्ट करने के लिए किए गए हैं।
उन्हें जेल में एकांतवास में रखा गया है और तमिलनाड के अलग-अलग जिलों में सुनवाइयों के लिए घुमाया जा रहा है। अलंदूर की अदालत में उन्हें जब बीते शनिवार को ले जाया गया तो उनके आग्रह के बावजूद पुलिस उन्हें चिकित्सक के पास नहीं ले गई और पेशाब करने तक नहीं जाने दिया।
शनिवार को अलंदूर के मजिस्ट्रेट ने उनके ऊपर 2017 में इस्लामिक संगठनों की एक बैठक में संबोधन के लिए यूएपीए का मुकदमा लगा दिया। वह बैठक फलस्तीन में मानवाधिकारों की निंदा करने के लिए बुलाई गई थी जहां फलस्तीनियों के संघर्ष के साथ एकजुटता दर्शायी गई थी।
साभार countercurrents