गुजरात-2002: बिलकिस बानो को 17 साल बाद SC से मुआवजा, बलात्‍कार के दोषी अब भी बाहर

गुजरात में 2002 में हुए गोधरा कांड के चौथे दिन मुस्लिमों के नरसंहार के बीच सामूहिक बलात्‍कार का शिकार हुई बि‍लकिस बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। घटना के सतरह साल बाद यह फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को आदेश दिया है कि वह बिलकिस बानो को एक सरकारी नौकरी और आवास भी मुहैया कराए। 

इससे पहले गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो को 5 लाख रुपए के मुआवजे की पेशकश की थी जिसे बिलकिस बानो ने ठुकरा दिया था। उन्‍होंने कहा था कि बॉम्‍बे हाइ कोर्ट में दोषी सिद्ध होने के बावजूद उन पुलिस अफसरों को अब तक दंड नहीं दिया गया है जिन्‍होंने उनके मामले में जांच को खराब किया था। बीते 28 मार्च को बानो ने कोर्ट से जल्‍द अगली सुनवाई करने की अपील की थी जिसे अदालत ने मान लिया था।

28 मार्च की ही सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार से पूछा था कि उन छह पुलिसवालों के खिलाफ़ क्या कार्रवाई की जाये जिन्हें मुंबई उच्च न्यायालय ने बिलकिस बानो केस में लापरवाही बरतने का दोषी ठहराया है। इसका जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट ने गुजरात सरकार को दो हफ्ते का वक्‍त दिया था।

इस मामले में बॉम्‍ब हाइ कोर्ट ने 4 मई 2017 को सभी 20 आरोपितों को दोषी ठहराया था। निचली अदालत में साक्ष्‍य के अभाव में सात आरोपित छूट गए थे। अदालत ने कहा था कि इनमें से 11 दोषियों को तो फांसी की सजा मिलनी चाहिए।

गुजरात में मुसलमानों के कत्‍लेआम के दौरान बिलकिस और उनके परिवार पर एक ट्रक में छुपकर भागते वक्‍त 3 मार्च, 2002 को हथियारबंद दंगाइयों ने हमला किया था और बिलकिस बानो का गैंगरेप किया। इतना ही नहीं, उनकी दो साल की बच्‍ची को मार दिया गया। बिलकिस बानो के परिवार के कुल 14 लोगों को उस दिन मौत के घाट उतार दिया गया था लेकिन उन्‍हें बलात्‍कार के बाद मरने के लिए छोड़ दिया गया थ। तब बिलकिस बानो की उम्र सिर्फ 19 साल थी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एमआइएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया है:

 

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