डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान के बाद की सफाई को अगर सच माना जाए, तो वे शायद दुनिया के सबसे शानदार सेंस ऑफ ह्यूमर वाले राष्ट्राध्यक्ष हैं। उन्होंने अपने 24 घंटे पुराने बयान पर गंभीर सफाई देते हुए, उसे व्यंग्य बताया है। वे जानबूझ कर इसे मज़ाक नहीं कह रहे, क्योंकि व्यंग्य एक गंभीर बात है..ठीक वैसे ही जैसे उनका बयान, अमेरिकी जनता – ख़ासकर उनके वोटर्स के लिए एक गंभीर बात होनी चाहिए।
कोरोना महामारी के पहले तक, दुनिया की सबसे बड़ी ताक़त रहे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बारे में कहा जाता है कि वे कुछ भी कहने के पहले नहीं सोचते, बाद में भी नहीं सोचते और सोचते हैं तो पिछली बार से भी ज़्यादा अजीब या आपत्तिजनक बात कह सकते हैं। लेकिन इस बार डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘कुछ भी’ कह देने के सारे किले एक ही बार में फ़तह कर लिए। ट्रंप ने व्हाइट हाउस की रोज़ाना प्रेस कांफ्रेंस में सलाह दी कि इस बात पर शोध होना चाहिए कि क्या फर्श, गाड़ियों और कई बार कपड़ों पर छिड़के जाने वाले डिसइन्फेक्टेंट केमिकल को शरीर में इंजेक्ट करने से कोरोना वायरस का इलाज हो सकता है?
लेकिन इस सब से ट्रंप को फ़र्क नहीं पड़ता है, इसी प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ट्रंप ने ये भी प्रस्ताव दे डाला कि अल्ट्रावॉयलेट लाइट से मरीज़ों के शरीर को इरेडिएट किया जा सकता है। हालांकि उसी प्रेस ब्रीफ़िंग कोरोना वायरस टास्क फोर्स ने इसे सावाधानीपूर्ण विनम्रता के साथ खारिज कर दिया। टास्क फोर्स की सदस्य डॉक्टर बर्क्स ने वहीं पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा, “हम इसे इलाज के तौर पर नहीं देख रहे। निश्चित तौर पर बुखार एक अच्छी चीज़ है, क्योंकि इससे आपके शरीर को प्रतिक्रिया करने में मदद मिलती है। लेकिन मैंने ऊष्मा या प्रकाश को ये करते नहीं देखा है।”
Oh FFS please don’t do this. I don’t need the extra work. If you are sick call your doctor. Don’t self medicate. https://t.co/uBXIasVXio
— Judy Melinek M.D. (@drjudymelinek) April 24, 2020
Lysol and Dettol maker Reckitt Benckiser says that “under no circumstance” should its disinfectant products be administered into the human body, through injection, ingestion or any other route https://t.co/ivpOq8oyDJ
— Bloomberg (@business) April 24, 2020
लेकिन शायद ये सारे बयान और अपील आने से पहले देर हो चुकी थी, इनको डोनाल्ड ट्रंप के बयान से पहले आ जाना चाहिए था।क्योंकि इनके सामने आने तक, न्यूयॉर्क डेली में ख़बर आ चुकी थी कि न्यूयॉर्क सिटी के पॉइज़न कंट्रोल सेंटर के पास लाइज़ॉल, ब्लीच और अन्य क्लीनर्स पी लेने के 30 मामले आ गए थे। ये ट्रंप के बयान के 18 घंटे के अंदर हो चुका था। जबकि पिछले साल, इसी दिन और इसी दिन इस सेंटर के पास केवल 11 ही ऐसे मामले पहुंचे थे।
NYC Poison Control Center saw 30 cases of exposure to Lysol, bleach & other cleaners in 18 hours after Trump’s suggestion disinfectant might be used to treat coronavirus
That’s more than double during same period in 2019, per health dept
Thankfully no hospitalizations or deaths pic.twitter.com/fVAUvGmuwM
— Anna Sanders 🌈💌 (@AnnaESanders) April 24, 2020
यानी कि बात बेहद साफ है कि डोनाल्ड ट्रम्प अब किसी के भी क़ाबू से बाहर हैं। इस बयान के पहले तक, ये हैरानी की बात होनी चाहिए थी कि कोई व्यस्क इस तरह की बात पर यक़ीन भी कर सकता है कि डिसइन्फेक्टेंट पी लेने से या इंजेक्ट कर लेने से विषाणु शरीर के अंदर ख़त्म हो जाएगा। लेकिन न केवल अमेरिका के राष्ट्रपति ने ये बात दुनिया के सामने, टीवी स्क्रीन पर लाइव बोल दी – बल्कि अमेरिका में शायद कुछ लोगों ने इसे सच भी मान लिया। और अंततः इस का यानी कि डोनाल्ड ट्रम्प नाम के ख़तरे से बचने का कोई भौतिक उपाय नहीं है, सिर्फ उनके सत्ता से बाहर जाने तक ये ही समाधान है कि उनकी किसी भी बात को और शायद व्हाइट हाउस की उनकी किसी भी प्रेस कांफ्रेंस को गंभीरता से न लिया जाए।
दरअसल अमेरिका के लिए कोरोना वायरस के सबसे बुरी तरह प्रभावित होने के समय में भी, कोरोना से बड़ा ख़तरा अमेरिकी लोगों के लिए डोनाल्ड ट्रम्प हैं। जैसा कि नॉम चोम्स्की ने एक साक्षात्कार में कहा था, “अमेरिकी लोगों के लिए कोरोना वायरस संक्रमण का ये बुरा वक़्त है, लेकिन ज़्यादा बुरा ये है कि डोनाल्ड ट्रम्प, इस वक़्त में उनके राष्ट्रपति हैं।”
(लेख में दिए गए तथ्यों के अलावा बाकी लेखक के निजी विचार हैं।)