अब तक की सबसे खराब आर्थिक स्थिति, आपातकाल और सड़कों पर होती भीषण हिंसा से जूझ रहे श्रीलंका में रानिल विक्रमासिंघे, नए प्रधानमंत्री बन गए हैं। यूनाईटेड नेशनल पार्टी के नेता विक्रमासिंघे को गुरुवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। विक्रमासिंघे, इसके पहले भी पांच बार देश के पीएम रह चुके हैं और पद की शपथ उनको वर्तमान राष्ट्रपति, गोटबाया राजपाकसा ने दिलाई। डेली मिरर के मुताबिक, उनको इसके लिए श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (SLPP) पार्टी के सांसदों का समर्थन मिला है।
क्यों बदले गए पीएम?
श्रीलंका अपनी आज़ादी के बाद से अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी का सामना कर रहा है। देश में वित्तीय आपातकाल लगा है। लोगों के पास न तो पैसे हैं, न ही देश में कहीं भी राशन, ईधन, बिजली की सप्लाई बची है। लोगों के पास रोज़गार नहीं है, उद्योग-धंधे ठप हैं और महंगाई अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर है। इस स्थिति के सामने आने पर, कोई समाधान ढूंढने में असमर्थ श्रीलंका की महिंदा राजपाकसा सरकार ने देश में आपातकाल लगा दिया। लेकिन गुस्साए लोग सड़कों पर उतर आए, हिंसा-तोड़फोड़-आगज़नी होने लगी और वे प्रधानमंत्री और उनके भाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपाकसा के इस्तीफ़े की मांग करने लगे।
परिस्थितियां सुधरती न देखकर, सोमवार को पूर्व पीएम महिंदा राजपाकसा ने अपना इस्तीफ़ा, राष्ट्रपति को सौंप दिया। आक्रोशित लोगों ने उनके घर को आग लगा दी और राजपाकसा को जान बचाने के लिए, नौसेना के एक सुरक्षित ठिकाने पर जाना पड़ा। इसके बाद राष्ट्रपति ने सभी दलों की बैठक बुलाई और आगे की स्थिति का विश्लेषण शुरू हुआ। इसके बाद बुधवार की रात, राष्ट्र के नाम अपने संदेश में राष्ट्रपति गोटबाया ने पद छोड़ने से इनकार करते हुए, लोगों को भरोसा दिलाया कि वे उनको एक नया पीएम और युवा मंत्रिमंडल देंगे।
बताया जा रहा है कि इसके बाद उनकी विक्रमासिंघे और उनकी पार्टी से बात शुरू हुई। दिलचस्प ये है कि यूएनपी ने 2020 के चुनावों में केवल 1 सीट जीती थी। सभी दलों के साथ बातचीत में, सत्तासीन एसएलपीपी, विपक्षी समगी जन बालावेगाया (एसजेबी) के एक हिस्से और अन्य कुछ दलों ने संसद में बहुमत साबित करने की स्थिति में विक्रमसिंघे के प्रति अपने समर्थन का भरोसा दिलाया। इसके बाद गुरुवार को रानिल विक्रमासिंघे को राष्ट्रपति, पीएम नियुक्त किया और पद की शपथ दिलाई।
कितनी बार पीएम रहे हैं रानिल विक्रमासिंघे?
रानिल विक्रमासिंघे, पहली बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री नहीं बने हैं। वे इससे पहले 1993 से 1994, 2001 से 2004, 2015 से 2018 और 2018 से 2019 तक श्रीलंकाई पीएम रह चुके हैं। रानिल के पिता, एसमंड विक्रमासिंघे श्रीलंका के मीडिया किंग माने जाते थे और लेक हाउस ग्रुप के अख़बारों के मालिक थे। रानिल विक्रमासिंघे ने वकालत की पढ़ाई कर के, वकालत का पेशा अपनाया और यूएनपी से जुड़ गए। यहां पर वे लगातार तरक्की के पायदान चढ़ते रहे और 1977 में पहली बार सांसद बन कर, देश के उप विदेश मंत्री बने। रणसिंघे प्रेमदासा के राष्ट्रपति रहने के दौरान उनको 1993 में वे उद्योग मंत्री बनाए गए और प्रेमदासा की एलटीटीई द्वारा हत्या के बाद वे पहली बार प्रधानमंत्री बने।
उनका पीएम के तौर पर अंतिम कार्यकाल काफी घटनाक्रमों से भरा रहा, जब उनको पहले राष्ट्रपति ने पीएम के पद से बर्खास्त कर दिया और फिर 2 माह बाद प्रधानमंत्री बना दिया। हालांकि इसके बाद हुए चुनावों में वे अपनी सीट भी गंवा बैठे।