नकद दो वरना ग़रीब बरबाद, मध्यवर्ग ग़रीब और पूँजीपति देश का मालिक होगा- राहुल

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि अगर मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था में नकदी नहीं डाली तो गरीब तबाह हो जाएंगे, मध्य वर्ग नया गरीब बन जाएगा। दरअसल कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते व्यापार और अर्थव्यवस्था पर बुरा असर हुआ है। लाखों-करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं और लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है।

राहुल गांधी ने एक निजी कंपनी की खबर को ट्वीट करते हुए कहा है “अगर भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था को चालू करने के लिए उसमें नकदी नहीं डाली तो गरीब तो खत्म हो जाएंगे, मध्य वर्ग नया गरीब बन जाएगा और क्रोनी कैपिटलिस्ट्स पूरे देश के मालिक बन जाएंगे।”

इसके पहले भी राहुल गांधी सरकार के सामने इन मांगों को कई बार रख चुके हैं। वो लगातार कह रहे हैं कि “हिंदुस्तान को कर्ज का जरूरत नहीं है, हिंदुस्तान को पैसे की जरूरत है। गरीब जनता को पैसे की जरूरत है। 28 मई को कांग्रेस के ‘स्पीक अप इंडिया’ कार्यक्रम में राहुल गांधी ने सरकार से चार मांगे की थी। पहली मांग हर गरीब परिवार के बैंक अकाउंट में महीने का 7,500 रुपये छह महीने के लिए डाला जाए। दूसरी मांग मनरेगा 100 दिन नहीं बल्कि 200 दिन के लिये चलाया जाए। तीसरी मांग जो स्मॉल एंड मीडियम बिजनेस हैं उनके लिए तुरंत एक पैकेज दिया जाए। और चौथी मांग जो आज हमारे मजदूर सड़कों पर खड़े हैं, वापस घर की ओर लौट रहे हैं, उनको लौटाने के लिए  तत्काल सुविधा उपलब्ध कराई जाए”।

राहुल गांधी के ट्वीट को रिट्वीट कर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “अर्थव्यवस्था को जीवित करने के लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाने और लोगों के हाथों में पैसे देने की जरूरत है, ताकि मांग बढ़े और आर्थिक गतिविधियां गति पकड़ें।”

कांग्रेस ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था की हालत बद से बदतर हो गई है। अर्थव्यवस्था भाजपा से न कोरोना से पहले सम्भल रही थी और न ही अब सम्भल रही है। कांग्रेस का कहना है कि “भाजपा की आर्थक नीतियां देश के लिए पूरी तरह से एक आपदा रही हैं। कोविड से पहले अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने में विफल रहने के बाद भी वित्तमंत्री ने विशेषज्ञों की आवाज को सुनने से इंकार कर दिया। सरकार बढ़ती महंगाई को रोकने में विफल रही है। और अब अपनी विफलता छिपाने के लिए प्रमुख आर्थिक आंकड़े को छिपाने में व्यस्त है।”

कांग्रेस का कहना है कि वित्तमंत्री द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत योजना जनता और उद्योगों की मदद करने से ज्यादा ऋण वितरण का एक जनसंपर्क एक्सरसाइज था। कांग्रेस ने कहा है कि “बेरोजगारी पहले से आसमान छू रही थी और कोरोना वायरस संकट ने इसे और बदतर बना दिया है। क्या बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिए वित्तमंत्री के पास कोई योजना है?”

 

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