कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आज अचानक दिल्ली के सुखदेव विहार फ्लाईओवर के पास पहुंचे और वहां मौजूद प्रवासी मजदूरों से मुलाकात की है. राहुल फ्लाईओवर के पास फुटपाथ पर बैठकर मजदूरों से बात की और उनका दुख दर्द जाना. इस दौरान राहुल गांधी ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस से दिल्ली में फंसे प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित घऱ पहुंचाने की व्यवस्था करने को कहा. उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए कुछ गाड़ियां मंगवाईं और लोगों से कहा कि आप सभी लोगों को घर तक पहुंचाया जाएगा.
कांग्रेस पार्टी के ट्विटर हैंडल पर राहुल गांधी की मजदूरों से मुलाकात की तस्वीरें पोस्ट की गई है. कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि लोगों के दर्द को केवल वही नेता समझ सकते हैं जो उनका ध्यान रखते हैं. मुलाकात के दौरान राहुल गांधी ने मजदूरों को खाना, पानी और मास्क भी दिये. राहुल करीब 30 मिनट तक मजदूरों के साथ रहे और उनसे बात की.
The pain of the people can only be understood by leaders who care. Here are a few glimpses of Shri @RahulGandhi interacting with migrant labourers in Delhi.#RahulCaresForIndia pic.twitter.com/wo0ULmpT7L
— Congress (@INCIndia) May 16, 2020
दिल्ली की सड़कों पर राहुल गांधी की प्रवासी मजदूरों से मुलाकात के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि “ये हमारे अपने लोग हैं. इनके साथ बैठकर बात करनी होगी. इनकी पीड़ा को साझा करना होगा. ये राष्ट्रनिर्माता हैं। संकट के समय हम इनको अकेला नहीं छोड़ सकते. शुक्रिया मेरे नेता राहुल गांधी जी..
ये हमारे अपने लोग हैं। इनके साथ बैठकर बात करनी होगी। इनकी पीड़ा को साझा करना होगा।
ये राष्ट्रनिर्माता हैं। संकट के समय हम इनको अकेला नहीं छोड़ सकते।
शुक्रिया मेरे नेता राहुल गांधी जी pic.twitter.com/GYNUpoHbTS
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 16, 2020
इसके पहले राहुल गांधी ने कोरोना संकट पर क्षेत्रीय चैनलों के पत्रकारों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बात की. राहुल ने कहा कि इस समय लोगों को नकद पैसे मुहैया कराये जाने की सबसे ज्यादा जरूरत है. राहुल ने कहा कि जो लोग लॉकडाउन के चलते सड़क पर आ गये हैं उन्हें कर्ज की नहीं पैसों की जरूरत है. राहुल ने कहा कि “मैं सरकार से विनती करता हूं कि आप कर्ज जरूर दीजिए लेकिन भारत के बच्चों के लिए साहूकार मत बनिए. किसानों और सड़क पर चलने वाले प्रवासियों की जेब में पैसे डालिए. राहुल ने कहा कि चाहे छोटे व्यापारियों हों, किसानों हो, मजदूरों हों सब संकट में घिरे हुए हैं. सरकार को चाहिये कि वो इनका ध्यान रखे और इनको मजबूत बनाने के कदम उठाये.
14 मई को राहुल गांधी ने ट्वीट कर प्रवासी मजदूरों के दर्द को बयां किया था. राहुल ने अपने ट्वीट में कहा कि “अंधकार घना है कठिन घड़ी है, हिम्मत रखिए-हम इन सभी की सुरक्षा में खड़े हैं। सरकार तक इनकी चीखें पहुँचा के रहेंगे, इनके हक़ की हर मदद दिला के रहेंगे। देश की साधारण जनता नहीं, ये तो देश के स्वाभिमान का ध्वज हैं… इसे कभी भी झुकने नहीं देंगे.”
https://twitter.com/RahulGandhi/status/1260895626465665025
इसके पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सड़कों पर चल रहे प्रवासी मजदूरों का दर्द बयां किया. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मजदूरों के लिए बसें चलाने की अनुमति मांगी है. प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे गए पत्र में लिखा है कि पलायन करते हुए, बेसहारा प्रवासी श्रमिकों के प्रति कांग्रेस पार्टी अपनी ज़िम्मेदारी निभाने हुए 500 बसें गाज़ीपुर बार्डर गाज़ियाबाद और 500 बसें नोएडा बार्डर से चलाना चाहती है. इसका पूरा खर्चा कांग्रेस पार्टी वहन करेगी.
.. मजदूरों को घर पहुंचाएं। केवल आज के ही दिन में 3 भीषण दुर्घटनाएं घट गईं।
ये मजदूरों को अकेले छोड़ देने का वक्त नहीं है। आशा है उप्र सरकार से सकारात्मक जवाब आएगा। 2/2
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 16, 2020
दरअसल इसको कोई भी आसानी से राजनैतिक स्टंट कह सकता है। लेकिन सवाल ये भी तो है कि क्या फिर इस देश के बाकी राजनैतिक दल क्या नैतिकता के ऐसे उच्च पायदान पर पहुंच गए हैं कि वो राजनैतिक स्टंट करना छोड़ चुके हैं? क्या वाम दलों के नेता भी सड़क पर नहीं आ सकते, इन गरीबों का हाल लेने? निश्चित रूप से इसको भाजपा-कोरोना लॉकडाउन का उल्लंघन कह कर भुनाएगी, लेकिन क्या हमारे नेताओं को एक बार सड़क पर जा कर, इन गरीबों का हाल नहीं लेना चाहिए?