रेल निजीकरण के खिलाफ शुक्रवार, 25 अक्टूबर को बिहार के कई शहरों पटना, आरा, सासाराम, नवादा, औरंगाबाद, समस्तीपुर आदि में हज़ारों छात्रों-युवाओं ने उग्र प्रदर्शन किया. इस दौरान छात्रों ने तोड़-फोड़ भी की और सरकारी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया। छात्रों ने कई घंटों के लिए रेलवे परिचालन को बाधित किया. इस विरोध प्रदर्शन के कारण करोड़ों का नुकसान हुआ है. पुलिस ने हंगामा कर रहे छात्रों पर काबू पाने के लिए लाठीचार्ज भी किया. प्रदर्शनकारी युवाओं का कहना है कि रेलवे का निजीकरण सरकारी नौकरियों की उनकी आशा को नष्ट कर देगा क्योंकि राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर यानि भारतीय रेलवे सरकारी नौकरियों का अब तक का सबसे बड़ा प्रदाता रहा है.
@narendramodi Students demonstrated in Sasaram after railway privatization. pic.twitter.com/7TQepkaUot
— shubham gupta (@shubham67116876) October 25, 2019
भारतीय रेलवे की ट्रेनों, स्टेशनों और उत्पादन इकाइयों के निजीकरण के केंद्र के कदम के खिलाफ सैकड़ों युवाओं, ज्यादातर छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया. हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी के साथ बिहार के रोहतास जिले के सासाराम रेलवे स्टेशन पर रेलवे के निजीकरण के विरोध में आवाज उठाई. प्रदर्शनकारी युवकों ने चार घंटे से अधिक समय तक ट्रेनों को जबरन रोका.
निजीकरण के ख़िलाफ़ रेल यूनियनों, राजनीतिक पार्टियों और छात्र संगठनों द्वारा पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
शुरू में जब इसको लेकर खबरें बनीं कि रेल मंत्रालय ने 50 रेलवे स्टेशनों और 150 ट्रेनों के निजीकरण के लिए एक कमेटी बनायी गई तब केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को बयान जारी करके कहना पड़ा कि “सरकार रेलवे का निजीकरण नहीं करने जा रही है, बल्कि निवेश लाने के लक्ष्य से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर विचार कर रही है.”
Union Minister Piyush Goyal, in Stockholm: I have ruled out privatisation of Indian Railways. It will continue to be a Indian government's entity. It serves the people of India. But I do believe in large investments in railways. pic.twitter.com/sIDx99Lq8m
— ANI (@ANI) October 23, 2019
लेकिन अब रेल मंत्री का यह बयान लोगों में सरकार के फैसले के प्रति विश्वास जगाने के लिए नाकाफी है.