कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज रायबरेली में ‘शक्ति संवाद’ को संबोधित किया। यह संवाद ज़िला अस्पताल के निकट रिफ़ार्म क्लब मैदान में संपन्न किया गया। प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के महिला घोषणापत्र पर 5 हज़ार महिलाओं से ‘शक्ति संवाद’ के तहत बातचीत की। इससे पहले मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम से ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ अभियान के तहत 5 कि.मी मैराथन दौड़ का भी आयोजन किया गया था, जिसमे भारी संख्या में लड़कियों ने भाग लिया। वहीं, शक्ति संवाद में रुचि सिंह, अंजलि रावत, नूर, नेहा सिंह, गीता मिश्र, सरोज, हबीबा, सावित्री पासी ने महिलाओं के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया और प्रियंका गांधी को धन्यवाद दिया कि उन्होंने लड़की हूं लड़ सकती हूं जैसा सशक्त अभियान छेड़ा। अपने ‘संवाद’ में प्रियांका गांधी ने महिलाओं को जागरूक करने का प्रयास किया।
प्रियंका गांधी ने इस दौरान उन्नाव में हुए रेप का मुद्दा उठाते हुए कहा कि “मैं उन्नाव गयी थी, जहां एक लड़की के साथ बलात्कार हुआ था उसे जलाया गया और हत्या की गई थी। मैं उनके घर गई उसके पिता ने पहले कुछ नहीं बोला, लेकिन फिर वह रोने लगें और कहा कि मेरी बेटी मेरे बेटों से भी बढ़कर थी। मेरी बेटी के साथ जो भी हुआ वह घबराई नही लड़ी। सुबह उठ कर वह मुझे कहती थी कि पापा तुम मेरा साथ मत आओ वह अकेली ट्रेन में रायबरेली मुकदमा लड़ने आती थी। क्योंकि उन्नाव में एफआईआर दर्ज नहीं हुआ था।” प्रियंका ने कहा,”उसके बाद कई ऐसे हादसे हुए। हाथरस में एक लड़की बलात्कार हुआ। आधी रात में उसका अंतिम संस्कार किया गया। पुलिस प्रशान ने उसके मां-बाप को भी चेहरा नहीं देखने दिया।”
बार-बार यही दिखता हैं, महिलाओं पर अत्याचार हो रहा..
प्रियंका ने किसानों की आत्महत्या का जिक्र करते हुए कहा, “कुछ समय पहले मैं ललितपुर गई वहां किसानों ने आत्महत्या की। मुझे एक किसान की बेटी सविता मिली वह बुरी तरह रो रही थी। सविता ने कहा कि अब मां अकेली पड़ जाएगी, उनकी देखभाल कौन करेगा? मेरे मन में आया कि इतना अत्याचार हो रहा है महिलाओं पर, जब एक हादसा होता है परिवार में, किसी की मृत्यु होती है या किसी किसान ने आत्महत्या की, तो उसकी विधवा, उसकी बेटी अकेली है। अंत में उसका बोझ महिला ही उठा रही है।” प्रियंका ने कहा, बार-बार यही दिखता हैं कि महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है।
हर तरफ महिलाओं का शोषण हो रहा, उनका अधिकार नहीं मिल रहा..
प्रियंका ने महिला पुलिस कर्मियों कि परेशानियों को उजागर करते हुए कहा,” मैं लखीमपुर जा रही थी। सुबह चार बजे मुझे सीतापुर में गिरफ्तार किया। मैं खूब लड़ी। वहां भी महिला पुलिस थी वह मेरे साथ लड़ी उनका कर्तव्य था उन्होंने निभाया। मुझे जीप में बैठा कर गिरफ्तार करके दो महिला कर्मी ले गई। वह जीप में मेरे पास बैठी थी एक का नाम पूजा था एक का नाम मधु मेरे मन में आया कि 4:00 बजे यहां सड़क पर खड़ी हैं, अपनी ड्यूटी कर रही है बच्चे घर पर होंगे, घर जाकर परिवार भी संभालना पड़ेगा। मैंने बातचीत की उनसे उनका भी शोषण हो रहा है क्योंकि वह जिस तरह से काम कर रही है कितने घंटे काम कर रही हैं, उसके बाद उनको घर भी जाना पड़ता है। घर भी संभालना पड़ता है। जितना वेतन उनको मिलता है वह क्या काफी है? हर तरफ जहां जहां देखो महिलाओं का शोषण हो रहा है जो उसका अधिकार है उसको नहीं मिल रहा है। ”
हम आधी आबादी हैं, हमें कोई सीरियसिली ले क्यों नहीं रहा है?
प्रियंका गांधी ने कहा, “मेरे मन में आया कि महिलाओं के लिए कुछ करना है। सबसे बड़ी चीज क्या कर सकते हैं हम आपके लिए आपको समझा सकते हैं कि आप अपनी शक्ति को पहचानो। ” प्रियंका ने कहा,” हमने यह शक्ति विधान बनाया महिलाओं के लिए घोषणा पत्र है। इसमें तमाम घोषणाएं हैं जो हम आपके लिए करना चाहते हैं जो चीजें हम आप को सशक्त करने के लिए करना चाहते हैं।” प्रियंका ने महिलाओं को समझाते हुए कहा कि “हमे परिवर्तन लाना होगा। हमे एकजुट होकर लाना पड़ेगा, समझना पड़ेगा कि हम आधी आबादी हैं। आखिर हमें कोई सीरियसिली ले क्यों नहीं रहा है?”
प्रियंका ने बताया कि ” यूपी में जो भी मिलने आता है चाहे आशा बहुए या आंगनवाड़ी की महिलाएं, कोई भी वर्ग या कोई भी समाज के लीडर, सब आकर कहते हैं कि हम दो-तीन लाख लोग हैं, हम 5 लोग हैं, आप हमारे लिए कुछ काम करेंगी, तो हम आपको वोट देंगे।” प्रियंका ने सवाल करते हुए कहा, आप बताइए अगर सारी महिला एकजुट हो जाए और तय कर लें कि हम इस देश की राजनीति बदलेंगे। अभी जो राजनीति हो रही है हमारे सामने चुनाव के समय बड़े-बड़े नेता आ कर तमाम घोषणाएं कर देते हैं और चुनाव के बाद भूल जाते हैं।
लड़कियों के लिए की गई कांग्रेस की पहल से बाकी पार्टिया भी जाग गईं..
प्रियंका ने महिलाओं को संप्रदायिकता और जातिवाद सीखने वाली राजनीति को बंद करने के लिए प्रेरित किया। प्रियंका ने कहा,”हमें अपने भविष्य की राजनीति चाहिए। हमें विकास की राजनीति चाहिए। प्रियंका ने महिलाओ को संप्रदायिकता और जाति की राजनीति के परे नेताओं से यह जानने की प्रेरणा दी कि वह महिलाओं को मजबूत कैसे बनाएंगे? उनके लिए क्या करेंगे? उन्होंने महिलाओं से कहा कि “अगर इस देश की सारी महिलाएं एकजुट होकर एक आवाज़ उठाएं कि हमें ऐसी राजनीति दो नहीं तो हम तुम्हें वोट नहीं देंगे, तो आप बताओ कैसे नहीं बदलेगी इस देश की राजनीति।” प्रियंका ने महिलाओं के लिए कांग्रेस द्वारा की गई पहल का हवाला देते हुए कहा, ” हमने एक पहल की है हमने कहा महिलाएं अपनी शक्ति पहचानो एकजुट हो जाओ।
आपको एक नारा दिया ” लड़की हूं लड़ सकती हूं ” घोषणा पत्र निकाला, जिसमें सिर्फ वह लिखा जो महिलाओं के लिए हम करना चाहते हैं। क्या हुआ ? बाकी पार्टियों ने घोषणा शुरू कर दी, आशा बहुओं का मानदेय बढ़ाया गया कल परसों। अभी तक तो 5 सालों में नहीं किया था अब क्यों कर रहे हैं? क्योंकि अब वह पहचान रहे हैं कि महिला जागरूक हो रही हैं। महिला समझ रही हैं कि उनमें शक्ति है। परसों प्रधानमंत्री जी ऐसी पहली सभा करने जा रहे हैं जिसमें उन्होंने सिर्फ महिलाओं को बुलाया है। मैं तो बहुत खुश हूं। सारी पार्टियां अब महिलाओं के बारे में बात कर रही हैं। सारी पार्टियों सोच रहीं है कि अगर महिलाओं के लिए कुछ नहीं किया, तो यह वोट नहीं देंगी।”प्रियंका ने कहा “आप समझ रही हैं कि आभी तो परिवर्तन आया ही नहीं है, लेकिन आपकी छोटी सी पहल से जितनी भी राजनीतिक पार्टी आई है सब उठ गई है जाग गई हैं।”
तय कर लो जो महिला को सशक्त नहीं करेगा, उसको वोट नहीं देंगे…
प्रियंका ने अपनी सहेली के संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा, कल अमेठी में पुरानी सहेली रमाकांती आयी। उससे पहली बार 15 साल पहले मिली थी। उसे मां-बाप ने पढ़ाया नहीं। उसकी इच्छा थी कि अब अपनी बेटी को पढ़ाऊं, लेकिन परिवार सहमत नहीं था। वह चुपचाप साड़ी का फॉल सिलने लगी और दुकान में बेचकर चुपचाप बेटी को स्कूल भेजना शुरू किया, लेकिन पकड़ गयी। उसके सास-ससुर सब ने डांटा, लेकिन उसने कहा कि मैं पढ़ाई की सारी फीस दूंगी। तब सब मानेे। आज उसकी बेटी ने कालेज पास कर लिया अब नौकरी ढूंढ रही है। एक मां अपना संघर्ष अपनी बेटी को नहीं देना चाहती।” प्रियंका ने महिलाओं से पूछा,” आपको कितनी बार कहा गया है कि आप महिला हो, सहने की शक्ति है, सह लो, किस-किस ने सुना है?
आगे प्रियंका ने कहा,”आज मैं कह रही हूं कि आपको भगवान ने अपने पैरों पर खड़े होने की शक्ति दी है। इस शक्ति को पहचानो। लोकतंत्र में सबसे बड़ी शक्ति वोट है। तय कर लो आज से कि जो महिला को सशक्त नहीं करेगा, उसको वोट नहीं देंगे। सशक्त करने का मतलब एक शौचालय या गैस सिलेंडर नहीं है। आपको शिक्षा, रोजगार और आगे बढ़ने की शक्ति दें, समाज में बदलाव लायें, ये देखें कि शोषण न हो, महिलाओं पर शोषण होता है और आरोप भी उन्हीं पर लग जाता है। उल्टा अपराधी परिवार महिला पर एफआईआर करा देता है।
आप लड़िए मैं आपके साथ हूं, साथ में हम परिवर्तन लाएंगे…
प्रियंका ने महिलाओं से कहा,” बहुत सह लिया है। बहुत चुप रहे हैं। आधा देश, आधा प्रदेश, इतनी बड़ी शक्ति और आप इसे पहचान नहीं रहे हैं।” प्रियंका ने कहा,” हमने सिर्फ एक नारा दिया “लड़की हूं, लड़ सकती हूं” सारे नेता खड़े हो गये कि महिलाओं के लिए कुछ करना पड़ेगा।” प्रियंका ने महिलाओं से कहा, “आप लड़िए मैं आपके साथ हूं। कांग्रेस की पूरी राजनीतिक शक्ति आपके साथ है। साथ में हम परिवर्तन लाएंगे। एक साथ हम इस देश और प्रदेश को समझाएंगे कि महिला को नकार नहीं सकते। आप शोषण का विरोध करेगी और अपना हक मांगेगी। इसलिए कांग्रेस के शक्ति विधान में तमाम घोषणाएँ की हैं। ”
हमारे शक्ति विधान में सिर्फ मोबाइल और स्कूटी की बात नहीं..
प्रियंका ने बताया कि “महिलाओं के शक्ति विधान को पढ़िये इसमें सिर्फ मोबाइल और स्कूटी की बात नहीं है। महिलाओं को सशक्त करने की बात है। उनकी दक्षता और रोजगार की बात है।
- कुल रोजगार का 40% महिलाओं को देंगे।
- आशा बहुओं को दस हजार मिलेगा।
- बीजेपी गैस सिलेंडर एक दे रही है, हम तीन देंगे।
प्रियंका ने कहा,”सरकार के पास बहुत पैसा है, वह सही जगह नहीं लगाते। प्रधानमंत्री आठ हजार करोड़ के हवाई जहाज में उड़ते हैं। उन पैसों को शिक्षा और स्वास्थ्य में लगाय जा सकता था। कितनी डाक्टर, नर्स महिलाएं हैं। क्या सरकार ने कोरोना काल में उनकी सेवा को देखते हुए उन्हें सशक्त किया।” प्रियंका ने कहा,”अगर आज आप लड़ना शुरू नहीं करेंगी तो कब करेंगी? आज ये लड़कियां शिक्षा और रोज़गार चाहती हैं। सरकार का काम है कि इन्हें सशक्त करें।” प्रियंका ने महिलाओं से आग्रह करते हुए कहा कि “आप हमें सशक्त करें और हम आपको शक्ति देंगे। जब हम एकजुट हो जाएं तो कोई रोक नहीं पाएगा।”