उल्टा प्रदेश: मियाँ-बीबी-परिवार राज़ी, पर शादी न होने दें योगी जी!

आदित्यनाथ के कथित लव जिहाद अध्यादेश का दंड बेगुनाहों को मिलने लगा है। लखनऊ में बुधवार को पुलिस ने एक ऐसी अंतर्धार्मिक शादी रुकवा दी जिसमें न सिर्फ़ लड़का-लड़की बल्कि परिवार भी राज़ी था। पुलिस ने कहा कि नये अध्यादेश के तहत शादी के पहले दो महीने की नोटिस देनी होगी और डीएम से अनुमति लेनी होगी।

लखनऊ में रैना गुप्ता (22) और मोहम्मद आसिफ़ (24) की दो धर्मों के रीति-रिवाजों से शादी होनी थी लेकिन हिंदू महासभा ज़िला प्रमुख की सूचना के आधार पर पुलिस ने इस मामले में दख़ल दिया और शादी रोक दी। पुलिस के मुताबिक वहाँ हिंदू रीति-रिवाज से शादी की तैयारी चल रही थी और उसके बाद मुस्लिम रीति-रिवाज से शादी होनी थी। शादी दोनों परिवारों की सहमति से हो रही थी लेकिन ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ के तहत बिना डीएम की अनुमति के ऐसा नहीं हो सकता। साथ ही दो महीने की नोटिस देनी होगी। चूँकि परिवार भी सहमत था और ज़बरदस्ती की बात नहीं थी, इसलिए एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है।

वैसे तो सुप्रीम कोर्ट से लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट तक दो बालिग़ों के रिश्ते के रास्ते में किसी भी बाधा को अवैधानिक बता चुके हैं, लेकिन यूपी का योगी-राज किसी और ही युग में जी रहा है। राजनीतिक ध्रुवीकरण के लिए इस्तेमाल किये जा रहे ‘लव जिहाद’ को अब क़ानूनी जामा भी पहना दिया गया है जिस पर क़ानून के जानकार आश्चर्य जता रहे हैं। इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी गयी है। कुछ दिन पहल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधाश जस्टिस मदन.बी.लोकुर ने इस अध्यादेश को हाथरस की तरह क़ानून का अंतिम संस्कार बताया था।

 

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न्यायशास्त्र का हाथरस जैसा अंतिम संस्कार है ‘लव जिहाद’ पर क़ानून – जस्टिस लोकुर

 

 

 

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