“पति दलित हैं पर तुम ब्राह्मण हो, सिंदूर क्यों नहीं? घर में आंबेडकर हैं तो देवी की फोटो क्यों नहीं?”

 

क्या भारतीय पुलिस को भारतीय संविधान का कोई भान नहीं है, या फिर भारतीय राज्य उसे सचमुच उसी हालत में रखना चाहता है, जिसे जस्टिस आनंद नारायण मुल्ला ने कभी यूँ परिभाषित किया था- “पुलिस वर्दीधारी गुंडों का गिरोह है!”

क्रांतिकारी कवि वरवरा राव की गिरफ़्तारी के लिए उनकी बेटी के घर पहुँची पुलिस अगर सवाल करे कि “आप ब्राह्मण हैं तो सिंदूर क्यों नहीं लगातीं ?” या “आपके घर अंबेडकर हैं तो देवी-देवता क्यों नहीं…?”  तो और क्या कह जा सकता है। यह पुलिस पुणे की थी जो दो दिन पहले, 28 अगस्त को भीमा-कोरेगाँव हिंसा मामले में देशभर में एक साथ तमाम लेखकों, बुद्धिजीवियों, वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर एक साथ टूट पड़ी थी।

वरवरा राव की बेटी का नाम है के.पवन। उन्होंने के.सत्यानारायण से विवाह किया है जो हैदराबाद मं इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेज युनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं और कैंपस में रहते हैं। पुलिस ने कैंपस स्थिति उनके घर पर छापा मारा और वरवर राव के बारे में तमाम जानकारियाँ माँगीं।

पुलिस का रवैया बताता रहा था कि उसे भारतीय संविधान और उसकी मूल भावना का या तो ज्ञान नहीं है या फिर उसे कूड़े में फेंकने के निर्देश पर काम कर रही है। पुलिस के सवालों से किसी भी संवेदनशील भारतीय का माथा शर्म से झुक जाएगा।

पुलिस ने के.पवन से पूछा –“आपके पति दलित हैं, इसलिए किसी परंपरा का पालन नहीं करते हैं, लेकिन आप तो ब्राह्मण हैं। आप गहने क्यों नहीं पहनतीं?  सिंदूर क्यों नहीं लगातीं? एक पारंपरिक पत्नी जैसे पकड़े क्यों नहीं पहनतीं? क्या बेटी को भी बाप की तरह होना चाहिए?”

सवाल बताते है कि ‘स्वतंत्र चेता स्त्री’ का पुलिस के दिमाग़ी परिसर में कोई स्थान नहीं है।

वरवरा राव के दामाद के.सत्यनारायण पूरी पूछताछ को बेहद अपमानजनक बताते हैं। उनके मुताबिक पुणे पुलिस और तेलंगाना स्पेशल इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों ने उनके घर पर कोहराम मचा दिया। उनके ससुर घर पर नहीं थे तो उन्हें आलमारी में खोजने लगे। इस बीच वे बेहद आपत्तिजनक सवाल पूछ रहे थे।

सत्यनारायण के मुताबिक पुलिस ने पूछा- तुम्हारे घर में इतनी  किताबें क्यों हैं? आप इतनी किताबें क्यों पढ़ते हैं? माओ और मार्क्स पर किताबें क्यों पढ़ते हैं? आपके घर पर गदर (आंध्रप्रदेश के क्रांतिकारी गायक) के गाने क्यों हैं? आपके घर में ज्योतिबा फुले और आंबेडकर की तस्वीरें क्यों हैं? देवी देवताओं की तस्वीरें क्यों नहीं हैं?

न…ये इमरजेंसी नहीं है।

 

#तस्वीर में वरवरा राव के दामाद के.सत्यानारायण नज़र आ रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस से साभार। 

 



 

 

 

 

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