CAA पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, पूर्वोत्तर में बंद का आह्वान

देशभर में विरोध-प्रदर्शनों के बीच उच्चतम न्यायालय में आज नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ और समर्थन में दायर 140 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई होगी. इनमे एक केरल सरकार ने दायर की है. याचिकाकर्ताओं ने इस कानून को संविधान की मूल भावना के खिलाफ और विभाजनकारी बताते हुए रद्द करने का आग्रह किया है. इसके अलावा इनमें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) और कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिकाएं भी शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एक अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ सीएए से संबंधित 144 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.

बीते 9 जनवरी को चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर देशभर में हो रहे हिंसक प्रदर्शन पर चिंता जताते हुए कहा था कि वह इस मामले में तभी सुनवाई करेंगे जब हिंसा रुकेगी.

आज की सुनवाई के मद्देनज़र समूचे पूर्वोत्तर के कालेजों में बंद का आह्वान किया गया है. गौरतलब है कि नागरिकता कानून बिल संसद में प्रस्तावित होने के बाद से असम सहित पूरे पूर्वोत्तर में इसके खिलाफ आन्दोलन शुरू हुआ था. इस आन्दोलन में असम और त्रिपुरा में करीब पांच लोगों की मौत हुई थी, वहीं बीजेपी उत्तर प्रदेश में 25 और कर्नाटक में पुलिस की गोली से दो लोग मारे जा चुके हैं.

इधर दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून पर सुनवाई से पहले मंगलवार रात को सुप्रीम कोर्ट के बाहर करीब 20 महिलाएं बच्‍चों के साथ धरने पर बैठ गईं. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के सामने गेट पर अवैध तरीके से बैठ गईं, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें वहां से हटाया.

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर 18 दिसंबरे को केंद्र सरकार को विभिन्न याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था.

उच्चतम न्यायालय में आज शाहीन बाग मामले पर भी सुनवाई हो सकती है. सीएए कानून के खिलाफ सैकड़ों लोग एक महीने से भी ज्यादा समय से सड़क पर धरना दे रहे हैं. इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है.

गौरतलब है कि सीएए, एनआरसी और अब एनपीआर को लेकर पूरे देश में आन्दोलन चल रहा है. केरल और पंजाब विधानसभा में इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किये जा चुके हैं. वहीं बंगाल और अन्य राज्य भी इस कानून को लागू न करने की बात कही है.



 

First Published on:
Exit mobile version