UP: पुलिस ज्यादती के खिलाफ NHRC गए सुप्रीम कोर्ट के वकील, दो पिटीशन बनारस से

नागरिकता संशाेधन कानून के विरोध में 19 दिसंबर और उसके बाद हुए नागरिक प्रदर्शनों में पुलिस ज्यादती का शिकार हुए मारे गए और गिरफ्तार लोगों के संबंध में मीडिया में छपी रिपोर्टों के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में सुप्रीम कोर्ट के पांच वकीलों ने मिलकर एक याचिका दाखिल की है। याचिका सोमवार को दिन में जिस वक्त दायर की गयी, ठीक उसी वक्त दिल्ली के यूपी भवन पर पुलिस ज्यादतियों के खिलाफ हुए प्रदर्शन को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर हमला किया, उन्हें मारा पीटा और बस में भरकर ले गयी। 

सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता प्योली स्वातिजा, शदान फ़रसत, अजय सिंह, सरिता शर्मा और श्रेय सिन्हा ने अखबारी रिपोर्टों और मीडिया में सामने आए पुलिस एक्शन के वीडियो आदि के आधार पर मानवाधिकार आयोग से मांग की है कि मानवाधिकार संरक्षण  कानून, 1993 की धारा 4 के अंतर्गत तत्काल इन मामलों की जांच करवायी जाए, प्रभावित जिलों में आयोग की जांच टीम भेजी जाए और यूपी पुलिस व प्रशासन से सवाल जवाब किया जाए।

आयोग ने शिाकायत को स्वीकार कर लिया है और इसे डायरी संख्या 189930/CR/2019 के तहत संज्ञान में ले लिया है।

pyoli petition NHRC

इससे पहले 22 दिसंबर को बनारस में कैद किए गए कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं के संबंध में आयी मीडिया रिपोर्टों के आधार पर मानवाधिकार आयोग में दो याचिकाएं दायर की गयी थीं। दोनों याचिका मानवाधिकार जन नगरानी समिति के डॉ. लेनिन ने दायर की थीं।

पहली याचिका न्यूज़क्लिक वेबसाइट पर छपी रिपोर्ट के आधार पर लगायी गयी जिसमें बताया गया था कि यूपी में कुल 15 मौतें हो चुकी हैं जिनमें एक मौत बनारस में है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि 8 साल का एक बच्चा भगदड़ में मारा गया।

दूसरी याचिका मीडियाविजिल पर छपी रिपोर्ट के आधार पर है जो बनारस के सामाजिक कार्यकर्ता रवि और एकता शेखर व रिसर्च स्कॉलर दिवाकर के बारे में है।

Ekta

उत्तर प्रदेश में अब तक कुल 20 के आसपास लोग मारे जा चुके हैं। हिंसा इतवार को भी जारी रही। बनारस से ख़़बर आयी कि रात तक बजरडीहा की बस्ती में पुलिस काएक्शन जारी रहा जबकि मुजफ्फरनगर और मेरठ में भी हिंसा की खबरें आती रहीं।

सोमवार सुबह इन्हीं घटनाओं के खिलाफ दिल्ली के यूपी भवन पर 12 बजे के आसपास विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया था। ख़बर है कि दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां जुटने भी नहीं दिया और बसों में भरकर ले गयी।

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