हाय रे इस्लामोफ़ोबिया!- इस बार न्यूज़ीलैंड में हुई देश की किरकिरी..

खाड़ी देशों में अपनी मुस्लिम विरोधी और सांप्रदायिक टिप्पणियों के चलते, कई भारतीयों के नौकरी गंवाने के बाद अब नया मामला न्यूज़ीलैंड से है। न्यूज़ीलैण्ड हमेशा से इस्लामोफ़ोबिक रवैये को लेकर सख्त रवैया अपनाता रहा है। अब अपनी इस्लामोफ़ोबिक टिपण्णी के चलते न्यूज़ीलैण्ड में रह रहे गुजराती मूल के कांतिलाल भागभाई पटेल ने वेलिंगटन जस्टिस ऑफ़ पीस एसोसिएशन की सदस्यता गंवा दी है। न्यूज़ीलैण्ड में ये इस तरह का पहला मामला नज़र आता है। ये वेलिंगटन शहर का एक अहम संगठन है, जिसकी सदस्यता काफी प्रतिष्ठित बताई जाती है। यानी कि एक और भारतीय ने देश की छवि, विदेश में धूमिल की है।

एन.क्लार्क जो इस एसोसिएशन की उपाध्यक्ष हैं उन्होंने इस पोस्ट की शिकायत करने वाले को एक ईमेल के माध्यम से बताया कि हमें कांतिलाल भागभाई पटेल के बारे शिकायत मिली थी। इस मामले की जाँच किये जाने पर हमने उनके ऊपर लगे आरोपों को सही पाया है। इसलिए उनकी सदस्यता रद्द कर रहे हैं। साथ ही एन. क्लार्क ने बताया कि हमने जस्टिस ऑफ़ पीस की राष्ट्रीय संस्था को भी ये मामला भेज दिया है ताकि आगे की प्रक्रिया के लिए न्याय मंत्रालय से बात की जा सके।

एन. क्लार्क अपनी ईमेल में आगे लिखती हैं कि अभी कोरोना महामारी के चलते सारी सरकारी संस्थाएं पहले की तरह काम नहीं कर रही हैं। क्योंकि जस्टिस ऑफ़ पीस की नियुक्ति सरकारी प्रक्रिया से होती है और सरकारी प्रक्रिया से ही इसे रद्द भी किया जाता है, इसलिए इसमें कुछ समय लग सकता है। लेकिन मुझे उम्मीद है कि आप लोग हमारे एसोसिएशन के पुराने सदस्य द्वारा की गयी गलतियों के लिए वेलिंगटन जस्टिस ऑफ़ पीस एसोसिएशन की तरफ़ से मांगी जा रही क्षमायाचना को स्वीकार करेंगे।

जस्टिस ऑफ़ पीस वेलिंगटन की वेबसाइट से साभार

डिपार्टमेंट ऑफ़ दी प्राइम मिनिस्टर एंड कैबिनेट की वेबसाइट पर जाकर देखने पर पता चलता है कि कांतिलाल भागाभाई पटेल को सन 2004 में क्वीन सर्विस मेडल से भी नवाज़ा जा चुका है। बता दें कि अरब देशों में सोशल मीडिया पर इस्लामोफ़ोबिक टिपण्णी करने की वजह से कई भारतीय लोगों को नौकरियों गंवानी पड़ी हैं कनाडा में भी एक भारतीय को इसी वजह से नौकरी से निकाले जाने के बाद बड़ी रियल स्टेट कंपनी से अनुबंध समाप्त करना पड़ा था। आपको बता दें कि पिछले वर्ष न्यूज़ीलैण्ड की दो मस्जिदों में गोलीबारी की घटना हुई थी। इस हमले में 50 लोगों की मृत्यु हो गयी थी। जनसंहार करने वाले व्यक्ति ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स पर कई नस्लीय बातें लिखी थीं। न्यूज़ीलैण्ड मस्जिद पर हुई घटना के बाद से इन मामलों में काफ़ी सतर्क हो गया है

सामाजिक सेवा में वालंटियर करने के लिए न्यूज़ीलैंड सरकार का क्वीन्स मेडल भी मिला है कांतिलाल पटेल को

इस बारे में कांतिलाल पटेल का पक्ष अभी सामने नहीं आया है, लेकिन हैरतअंगेज़ ढंग से उनकी फेसबुक प्रोफाइल से कई सारी पोस्ट्स अचानक से डिलीट कर दी गई हैं या हाईड हो गई हैं। लेकिन हमको शिकायतकर्ताओं के जानने वालों के ज़रिए ईमेल की कॉपी और फेसबुक के स्क्रीनशॉट्स मिले हैं।

फेसबुक पोस्ट्स में से एक पोस्ट, जिनकी शिकायत की गई थी

हालांकि मीडिया विजिल इन ईमेल्स या तस्वीरों की पुष्टि नहीं कर सकता है पर यथासंभव हमने इसको सत्यापित करने के प्रयासों के बाद ही प्रकाशित किया है। फिर भी पटेल का संगठन से बाहर का रास्ता दिखाए जाने की ख़बर पुष्ट है।

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