कैथल के खुराना गांव के किसान लालू राम हमारे बीच नहीं रहे. पिछले साल भारतीय किसान यूनियन के किसान आंदोलन में जब किसान घाट जाते किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने गोलियां चलाई तो एक गोली इनके कंधे से होकर गुजरी. दिल्ली यूपी बॉर्डर पर पुलिस और किसानों के बीच लाठियां चली उस वक्त वायरल हुई तस्वीर आधुनिक भारत में किसान आन्दोलन की याद बन चुकी है.
किसान लालू राम का कहना था कि मैं डरने वाला नहीं हूँ. लाठी का जवाब लाठी से व गोली का जवाब भी हिम्मत से दूंगा. किसान और जवान की यह तस्वीर सत्ता की आंख से आंख मिलाती हुई कमेरे वर्ग की उस हिम्मत की है जो सदैव हरियाणा की माटी में रही है. हरियाणा का किसान कभी मन से बुजुर्ग नहीं होता. सम्पदा सौंपने के बाद भी वह हल का सांझी होता है.
करीबन 40 सालों से लालू राम किसान आंदोलन में हिस्सा लेते रहें. ओपी चौटाला की सरकार में आंदोलन करते समय इनकी पीठ में रबर की गोली लगी थी. एक और आंदोलन में भी इनको गोली लगी थी.
हरियाणा की माटी के लाल को अगाध श्रद्धाजंली .यह तस्वीर हमेशा कमेरों को हिम्मत देती रहेगी और सत्ता को कमेरों के रोष,जोश और हक के समर्पण प्रतीक याद रहेगी.
Sonia Satyaneeta की फेसबुक से साभार प्रकाशित