निजीकरण के ख़िलाफ़ 28-29 मार्च को श्रम संघों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल, तैयारी तेज़

श्रम क़ानूनों को कमज़ोर करने और सार्वजनिक उपक्रमों के अंधाधुंध निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर संगठनों ने 28-29 मार्च को अखिल भारतीय हड़ताल का आह्वान किया है। इस हड़ताल को सफल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश में भी तैयारी तेज़ है।

वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि मजदूर विरोधी चार लेबर कोड बनाने और निजीकरण के खिलाफ आयोजित केन्द्रीय श्रम संघों की 28-29 मार्च को आयोजित राष्ट्रव्यापी हड़ताल को वर्कर्स फ्रंट ने समर्थन दिया है। बयान में कहा कि ग्लोबल कैपीटल और देशी बड़े कारपोरेट घरानों के हितो को पूरा करने के लिए मोदी सरकार लगातार मजदूर वर्ग पर हमला कर रही है। ईपीएफ की ब्याज दरों में कटौती इसका ताजा उदाहरण है। इस कटौती से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सर्वाधिक नुकसान होगा। इससे पहले सरकार ने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर विरोधी चार लेबर कोड संसद से पारित किए। जिसमें काम के घंटे बढ़ाकर बारह करने का प्रावधान है। सरकार लगातार सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण करने में लगी हुई है। रेलवे, एयर लाइंस, बंदरगाह, बिजली, कोयला, बैंक, बीमा समेत प्रत्येक राष्ट्रीय सम्पदा को बेचा जा रहा है। रोजगार का गहरा संकट और आर्थिक असमानता बढ़ रही है। लाखों सरकारी विभागों में खाली पदों पर भर्ती नहीं निकाली जा रही है। महंगाई बेकाबू हो गई है और पेट्रोल डीजल के दामों में वृद्धि ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। इसके खिलाफ देश के सभी प्रमुख श्रमिक संघों ने 28-29 मार्च को अखिल भारतीय हड़ताल का आयोजन किया है जिसमें वर्कर्स फ्रंट भी शरीक होगा।

वहीं युवा मंच ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया है। युवा मंच संयोजक राजेश सचान ने कहा कि 1991 से जारी उदार अर्थव्यवस्था के भयावह दुष्परिणाम सामने आ चुके हैं। वैश्विक पूंजी व कारपोरेट पूंजी की मुनाफाखोरी व लूट का नतीजा भयावह बेकारी, मंहगाई और विषमता की बढ़ती जा रही खाई है। इन आर्थिक नीतियों से देश बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है। अंधाधुंध निजीकरण, नयी पेंशन योजना, श्रम कानूनों में बदलाव, आउटसोर्सिंग जैसी कार्यवाही कारपोरेट पूंजी लूट-मुनाफाखोरी को अंजाम देने के लिए है। मजदूर आंदोलन से एकजुटता को जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि जिन आर्थिक नीतियों के विरुद्ध मजदूरों ने देशव्यापी हड़ताल/आंदोलन का आवाहन किया है, देश का युवा भी रोजगार अधिकार  हासिल करने के लिए इन्हीं नीतियों के विरुद्ध लड़ रहा है। युवा मंच  रोजगार के सवाल पर पुनः मुहिम शुरू करने की योजना तैयार कर रहा है जिसमें पब्लिक सेक्टर के निजीकरण और मंहगाई के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जायेगा। कहा कि पब्लिक सेक्टर के निजीकरण से रोजगार के बचे खुचे अवसरों के भी खत्म होने का खतरा है।

 

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