केंद्र सरकार ने बुधवार को मुकेश अम्बानी की कंपनी रिलायंस को वो तोहफा दिया है जिसका इंतजार वह बरसों से कर रही थी. जिस तरह से टेलीकॉम इंडस्ट्री में जियो के आगमन से एक बड़ा बदलाव आया है, उसी तरह से फ्यूल रिटेल को ओपेन फ़ॉर आल किये जाने से अब परिस्थितियां पूरी तरह से रिलायंस जैसी निजी कंपनियों के पक्ष में झुक जाएंगी.
Companies with ₹250 cr. turnover can enter fuel retailing, subject to condition that 5% of the outlets will be in rural areashttps://t.co/f8CLSuFFqD
— The Hindu (@the_hindu) October 23, 2019
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रिलायंस को जिस तरह से टेलीकॉम इंडस्ट्री पर कब्जा करने की छूट दी गयी थी उसी प्रकार से मोदी-2 में उसे देश के पेट्रोल-डीजल के रिटेल व्यापार पर एकाधिकार करने के लिए खुला हाथ दे दिया गया है.
#Petrol रिटेल आउटलेट्स नयी कम्पनियां भी खोल सकती है। इन आउटलेट्स में बाकि सारे फ्यूल #Petrol ,#Diesel, #LNG , #CNG और इलेक्ट्रिकल चार्जिंग के लिए , यह सब मिलने लगेगा। आज कैबिनेट ने पेट्रोलियम का बढ़ा फैसला लिया है। #CabinetBriefing@PIB_India @MIB_India @moefcc pic.twitter.com/7UykU54UNv
— Prakash Javadekar (Modi Ka Parivar) (@PrakashJavdekar) October 23, 2019
सरकार ने पेट्रोल डीजल के रिटेल कारोबार को गैर-पेट्रोलियम कंपनियों के लिए खोल दिया है. अब ऐसी कंपनियां भी पेट्रोल पंप खोल सकेंगी जो पेट्रोलियम क्षेत्र में नहीं हैं. ऐसी कंपनियां जिनका कारोबार 250 करोड़ रुपये है अब ईंधन के खुदरा कारोबार में उतर सकती हैं. अब फ्यूल रिटेल आउटलेट खोलने के लिए कोई भी कंपनी अप्लाई कर सकती है.
उक्त कंपनी को मात्र 3 करोड़ रुपये बैंक गारंटी के तौर पर देने होंगे. यानी अब पेट्रोल भराने के लिए आपको पेट्रोल पंप तक जाने की जरूरत नहीं है. पड़ोस में खुले रिलायंस फ़्रेश या बिग बाजार सरीखे आउटलेट से आप पेट्रोल डीजल भरवा सकते हैं.
The Cabinet Committee on Economic Affairs, chaired by Prime Minister Narendra Modi, on October 23 approved a number of measures including the hiking of MSP for wheat and the opening up of fuel retailing to non-oil companieshttps://t.co/J9bRAAcldL
— The Hindu (@the_hindu) October 23, 2019
मोदी सरकार के इस कदम से असली फायदा रिलायंस रिटेल और वॉलमार्ट जैसी मल्टी ब्रांड रिटेल कंपनियों को होने वाला है और इसका सीधा नुकसान सरकारी कम्पनियों को भुगतना होगा.
भारत में फ्यूल का मार्केट तेजी से बढ़ रहा है फ्यूल रिटेलिंग में फिलहाल सरकारी कंपनियों का ही बोलबाला है. अभी देश भर में सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल कॉर्प (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (HPCL) लगभग 65,000 पेट्रोल पंपों को संचालित करती हैं.
इसकी तुलना में निजी क्षेत्र की तेल कंपनियों के पेट्रोल पंप बहुत कम है. रिलायंस जो देश की सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनिंग कॉम्पलेक्स को संचालित करती है, उसके 1,400 से भी कम आउटलेट हैं. यानी फ्यूल रिटेल का लगभग 95 प्रतिशत व्यापार जो सरकारी कंपनियों के पास है अब वह रिलायंस ओर विदेशी कंपनियों के हाथ मे आ जाएगा.
यदि आने वाले पांच साल में इस व्यापार का 50 प्रतिशत भी रिलायंस ओर विदेशी कंपनियों के हाथ में चला जाता है तो देश की इकनॉमी को कितना बड़ा खतरा उत्पन्न हो जाएगा! एक बार सोच कर देख लीजिएगा!
क्या कोई बता सकता है कि पेट्रोल, डीजल को अब तक जिस तरह से पेट्रोल पंप के माध्यम से बेचा जा रहा था उस प्रणाली में क्या खराबियां थीं?
लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं