झारखंड: ठंड में रात भर खुले आसमान के नीचे बिताने के बावज़ूद विस्थापितों से ज्ञापन तक नहीं लिया गया

मंडल डैम परियोजना से बिहार को सबसे ज्यादा फायदा होगा मगर इसके लिए झारखंड को बड़ी कीमत चुकानी होगी

हरिओम राय

पलामू, झारखंड: प्रधानमंत्री शनिवार को झारखंड के पलामू में जिस मंडल डैम का शिलान्यास करने आए थे उस डैम से विस्थापित क़रीब परिवार 1600  अपनी जमीन के बदले उचित मुआवजे की मांग को लेकर डैम स्थल से प्रधानमंत्री के कार्यक्रम स्थल तक करीब 60 किलोमीटर लंबी पद यात्रा कर रहे थे। लेकिन ठंड में रातभर खुले आसमान के नीचे बिताने के बावज़ूद विस्थापितों से ज्ञापन तक नहीं लिया गया।


पलामू, झारखंड: प्रधानमंत्री शनिवार को झारखंड के पलामू में जिस मंडल डैम का शिलान्यास करने आए थे उस डैम से विस्थापित क़रीब परिवार 1600  अपनी जमीन के बदले उचित मुआवजे की मांग को लेकर डैम स्थल से प्रधानमंत्री के कार्यक्रम स्थल तक करीब 60 किलोमीटर लंबी पद यात्रा कर रहे थे। लेकिन ठंड में रातभर खुले आसमान के नीचे बिताने के बावज़ूद विस्थापितों से ज्ञापन तक नहीं लिया गया।

लेकिन जैसे ही इनकी पदयात्रा शुरू हुई वहाँ भारी संख्या में तैनात पुलिस व अर्ध सैनिक बल के जवानों ने इन्हें ऊपर से आदेश का हवाला देते हुए आगे ही नहीं बढ़ने दिया। 

विस्थापन का दंश झेल रहे ये लोग मुआवजे की मांग को लेकर प्रधानमंत्री से मिलकर अपना ज्ञापन देना चाहते थे। लेकिन प्रधानमंत्री के आगमन से एक दिन पहले इन विस्थापितों का कारवां बढ़ा ही था कि वहां मौजूद पुलिस के जवानों ने बैरिकेडिंग कर उनकी यात्रा को वहीं रोक दिया।

इस स्थिति में इन लोगों ने वहीं रुक कर प्रदर्शन को ज़ारी रखा जिससे प्रदर्शनकारियों को रात भर खुले आसमान के नीचे ही रात गुजारनी पड़ी। सुबह करीब 10:30 बजे प्रधानमंत्री का आगमन हुआ लेकिन बावजूद इसके उन्हें ज्ञापन तक सौंपने नहीं दिया गया।

प्रदर्शन में शामिल सिकुआ देवी ज़मीन के बदले ज़मीन की माँग करते हुए कहती हैं “हमारा जमीन कश्मीर के टुकड़े जैसा था…हम सरकार के पीछे तब तक पड़े रहेंगे जबतक हमलोगों को उचित मुआवजा व परिवार में किसी को नौकरी नहीं मिल जाती।”

वहीं ज्ञापन न सौंप पाने से निराश मंगरु सिंह ने बताया कि सरकारी रिकॉर्ड में नौकरी व पैसे का भुगतान लिख दिया गया है लेकिन वो नाकाफ़ी है।

इस मामले को जोरशोर से उठा रहे झारखंड सरकार में पूर्व में मंत्री रहे के.एन त्रिपाठी कहते हैं “प्रधानमंत्री के आगमन से पहले विस्थापित परिवारों की विभिन्न मांगो को लेकर हमने प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था, लेकिन उनके आगमन से पहले ही मुझे पुलिस हिरासत में ले लिया गया करीब 30 घंटे बाद प्रधानमंत्री के जाने के बाद ही हम प्रदर्शनकारियों को हिरासत से छोड़ा गया”।

इस बारे में जब हमने पलामू के आयुक्त मनोज झा से बात की तो उन्होंने इस पुरे मामले से खुद को अनभिज्ञ बताया। 

बता दें कि मंडल डैम इलाके के लोग पीएम मोदी का दो मुद्दों पर विरोध कर रहे हैं। पहला मुद्दा, विस्थापितों को भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक उचित मुआवजा देने की मांग है और दूसरा, चूंकि प्रस्तावित डैम का लगभग 80 फीसदी पानी बिहार में जाना है, इसलिए प्रभावित ग्रामीणों की मांग है कि जहां पर डैम बन रहा है वहां के 4 जिलों को भी पानी दिया जाए।

मंडल डैम परियोजना से बिहार को सबसे ज्यादा फायदा होगा मगर इसके लिए झारखंड को बड़ी कीमत चुकानी होगी। डैम के निर्माण से झारखंड की 38,508.21 एकड़ भूमि जलमग्न होगी, जिसमें पलामू टाइगर रिजर्व के आठ गांवों को हटाया जाना है।आकड़ो के मुताबिक इस डैम से करीब 1600 परिवार यानि क़रीब 6000 से अधिक लोग विस्थापित होंगे जिनमें 5000 के क़रीब आदिवासी व अन्य लोग विस्थापित हुए हैं।

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