बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन ने सीटों के बंटवारे का ऐलान कर दिया है। बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में से 144 पर राष्ट्रीय जनता दल, 70 पर कांग्रेस और 29 सीटों पर लेफ्ट पार्टियां चुनाव लड़ेगी। लेफ्ट पार्टियों में सीपीआईएमएल को 19, सीपीएम को 4 सीटें और सीपीआई को 6 सीटें दी गई हैं।
मुकेश साहनी की वीआईपी को आरजेडी को अपने कोटे से सीट देना था, लेकिन सीट बंटवारे से नाराज मुकेश सहनी प्रेस कॉन्फ्रेंस से उठकर चले गए। वीआईपी 25 सीटों की मांग कर रही थी।
महागठबंधन के नेताओं की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीटों के बंटवारे का एलान हुआ। प्रेस कॉन्फेंस में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि कहा, “हम बिहार की जनता से वादा करते हैं कि हमारी सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट में ही हम 10 लाख नौकरियां देने का अपना वादा पूरा कर देंगे। हम वादा करते हैं कि सरकार बनने के एक डेढ़ महीने में ही लोगों को रोजगार मिलना शुरू हो जाएगा। सरकारी नौकरी के फॉर्म पर कोई पैसा नहीं लिया जाएगा।”
प्रेस कॉन्फ्रेस में कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा, कि “कांग्रेस, आरजेडी, माले, सीपीआई और सीपीएम ने एक मजबूत गंठबंधन के लिए एक साथ आने का फैसला लिया है। उन्होंने ऐलान किया कि गठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा।
प्रत्याशी तय करने के लिए भाकपा माले की बैठक कल
भाकपा-माले के बिहार राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि 4 अक्टूबर को पार्टी की बिहार राज्य कमिटी की बैठक पटना में आयोजित की गई है। बैठक में माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य भी उपस्थ्ति रहेंगे। बैठक में अपने कोटे में मिली 19 सीटों के प्रत्याशियों के नाम पर फाइनल मुहर लगाई जाएगी।
भाकपा-माले को मिली सीटों की सूची
- तरारी 2. अगिआंव (सु.) 3. आरा 4. डुमरांव 5. दरौली 6. जिरादेई 7. दरौंदा 8. बलरामपुर 9. पालीगंज 10. फुलवारीशरीफ (सु.) 11. काराकाट 12. अरवल 13. घोषी 14. सिकटा 15. भोरे 16. वारिसनगर 17. कल्याणपुर (सु.) 18. औराई 19. दीघा
बता दें कि महागठबंधन को लेकर लगातार संशय का माहौल बना हुए था। सीटों के बंटवारे को लेकर कई दलों की नाराजगी सामने आई थी। जीतनराम माझी के बाद उपेंद्र कुशवाहा भी महागठबंधन से बाहर हो गए। इसके बाद भाकपा-माले ने एनडीए के खिलाफ विपक्ष की कारगर एकता न बन पाने का दुख जताते हुए 30 विधानसभा क्षेत्रों की पहली सूची जारी कर दी थी।
भाकपा माले की पहली सूची जारी होने के बाद महागठबंधन पर दबाव बढ़ गया था। इसके बाद महागठबंधन में भाकपा माले की ओर से प्रस्तावित की गई 20 सीटों के करीब ही 19 सीटें देने का फैसला हुआ।