बाजा-बारात से जुड़े करोड़ों मज़दूरों का बैंड बजा दिया लॉकडाउन ने

सत्येंद्र सार्थक

 

विक्की (23 वर्ष) लगन के सीजन में वेटर का काम करते हैं, और बाकि दिनों में किसी भी तरह की मजदूरी कर परिवार का खर्च चलाते हैं. वेटर के काम को प्राथमिकता देने का कारण बताते हुए वह कहते हैं “मजदूरी के तौर पर 300 से 350 रुपये और अच्छा खाना भी मिल जाता है. कभी-कभी हम पूरे परिवार के लिए खाना या मिठाई भी लेकर चले आते हैं.” बारहवीं के साथ ही विक्की ने आईटीआई और कंप्यूटर कोर्स सीसीसी की भी शिक्षा प्राप्त की है, बीए में एडमिशन भी लिया लेकिन फीस नहीं चुका पाने और परिवार की जिम्मेदारियों के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी.

पिपराईच के सिधावल गाँव के विक्की पर फिलहाल विधवा बहन के 2 बच्चों सहित 6 सदस्यों के परिवार की आजीविका चलाने की जिम्मेदारी है. लेकिन लॉकडाउन के कारण उन्हें किसी तरह का काम नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया “हम पिछले 3 दिनों से चटनी और रोटी खा कर गुजारा कर रहे हैं. कहीं से कोई मदद भी नहीं मिल रही.”

गोरखपुर के टेंट व्यावसायी विजय खेमका बताते हैं कि “शादियों और सामुहिक आयोजनों के स्थगित होने से व्यापार पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा है. हम तो हालात को किसी तरह झेल ले रहे हैं लेकिन मजदूरों को खाने के लाले पड़ गये हैं, उनके परिवार संकट में हैं.”

भारत में प्रति वर्ष करीब 1 करोड़ शादियां होती हैं जो केवल दो परिवारों को ही करीब नहीं लातीं बल्कि करोड़ों परिवारों के आजीविका का तानाबाना भी बुनती हैं. टेंट हाउस, वेटर्स, मैरिज हाउस, बैंड बाजा, फूल डेकोरेटर्स, लाइट, आतिशबाजी, मेकअप आर्टिस्ट, हलवाई, कैटरिंग, डीजे आदि व्यवसायों से जुड़े मजदूरों व संचालकों की आजीविका शादियों के जरिये होने वाले कारोबार पर निर्भर होती है.

गोरखपुर के बृजेश गौतम की पुत्री प्रतिभा की शादी 10 मई को तय थी. सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं. लेकिन लॉकडाउन के कारण शादी को टालना पड़ा. बृजेश बताते हैं कि “शादी के लिए मैरिज हाउस से लेकर सभी के लिए एडवांस दे दिया था. ज्यादतर परिचित थे इसलिए आर्थिक नुकसान नहीं हुआ. हालांकि एडवांस वापस करने के नाम पर उन्होंने हाथ खड़े कर दिए हैं. अब शादी की डेट को नवंबर-दिसंबर तक आगे बढ़ा दिया गया है. लॉकडाउन हट भी गया तो हम पहले की तरह आयोजन के बारे में नहीं सोच सकते.”

गर्मियों में शादी का मुहूर्त 14 अप्रैल से 29 जून तक 33 दिनों का था. जिसमें अप्रैल में 5 दिन, मई में 19 दिन और जून में 9 दिन शादियां होनी थीं. संबंधित परिवारों ने मैरिज हाउस से लेकर हलवाई, कैटरिंग आदि की बुकिंग पहले से ही कर ली थी. लॉकडाउन लागू होने के बाद और लगातार उसमें वृद्धी होने से शादियों को स्थगित करना पड़ा. कुछ शादियां हो रही हैं लेकिन लॉकडाउन की पालना के तहत परिवार के सभी सदस्य भी उसमें शामिल नहीं हो पा रहे हैं. जिससे संबंधित व्यवसाय पर इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है.

इन व्यवसायों की कमी यह है कि लगन के सीजन में भी कुछ ही दिनों की आय के सहारे इन्हें पूरे वर्ष गुजारा करना पड़ता है. लॉकडाउन जब लागू किया गया तब शादियों का सीजन शुरू ही होने वाला था. देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. सतर्कता के लिए यह जरूरी है कि लोग बड़ी संख्या में एक जगह पर इकट्ठा ना हों. ऐसे में लॉकडाउन के खत्म होने के बाद भी इन व्यवसायों के पटरी पर लौटने की संभावना कम ही है.

डब्ल्यूएचओ के एग्ज़क्यूटिव डायरेक्टर डॉ. माइकल जे रायन ने हाल ही में कोरोना वायरस के एंडेमिक वायरस बनने की आशंका व्यक्त करते हुए कहा था “हो सकता है कि एचआईवी वायरस की तरह से यह वायरस हमारे बीच से शायद कभी ना जाए, और हमें इसके साथ जीना सीखना पड़े.” दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस बात को कई बार कह चुके हैं. ऐसे आशंका व्यक्त की जा रही है कि शादियों से जुड़े व्यवसाय लंबे समय तक प्रभावित हो सकते हैं.

ऑल इंडिया टेंट डेकोरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने 4 मई को प्रधानमंत्री को 8 सूत्रीय पत्र भेजकर आर्थिक समस्याओं से अवगत कराते हुए राहत की मांग की. एसोसिएशन के अनुसार टेंट के व्यापार से लगभग एक करोड़ परिवार जुड़े हैं जो कोरोना महामारी के कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं. प्रधानमंत्री से राहत की अपील करते हुए उन्होंने बताया कि “25 मार्च से लेकर नवंबर 2020 तक व्यापारियों को किसी तरह के आय की संभावना नहीं है, क्योंकि टेंट व्यापार के लिए सोशल गेदरिंग एक जरूरी शर्त है.”

टेंट व्यापार से जुड़े संगठन देश के विभिन्न राज्यों व जिलों से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख रहे हैं. कारण कि उनकी कमाई लंबे समय के लिए प्रभावित हो गई है. जबकि लोन की किस्तें चुकाने, किराया चुकाने व अन्य खर्चों का दबाव बढ़ता ही जा रहा है. एसोसिएशन के 7 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से मिलने की अनुमति मांगी है.

केवल राजस्थान सरकार ने एसोसिएशन से पूरे राज्य के व्यापारियों की सूची मांगी है और मदद का आश्वासन दिया है. राजस्थान टेंट डीलर्स के अध्यक्ष रवि जिंदल ने बताया कि “ प्रदेश में लॉकडाउन के कारण 55 हजार टेंट व्यावसायियों और 3 लाख मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है. सीजन में 7 लाख प्रवासी मजदूरों को भी व्यापार से रोजगार मिलता है. सरकार ने यदि सहयोग नहीं किया तो हालात और भी खराब हो सकते हैं.”

देश के अर्थव्यवस्था की गति शादियों के सीजन के दौरान तेज हो जाती है. दुल्हा-दुल्हन के अलावा उनके परिजन भी तरह-तरह के खर्चे करते हैं, यही वजह है कि इस दौरान हर तरह के व्यवसायों की रफ्तार बढ़ जाती है. पारंपरिक शादियों के बीच कारपोरेट शादियों का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जो शादियों में बढ़ते खर्च को दिखाता है. यह अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार सृजन की संभावनाओं को भी बढ़ावा देता है.

विभिन्न मुद्दों पर सर्वे करने वाली कंपनी केपीएमजी की एक रिपोर्ट मार्केट स्टडी ऑफ ऑनलाइन मैट्रीमोनी एंड मैरिज सर्विसेज इन इंडिया के अनुसार “2016 में भारत में शादियों का बाजार 40 करोड़ डॉलर था जिसमें सजावट, जगह की बुकिंग, फोटोग्राफी, गिफ्ट आदि पर करीब 61 प्रतिशत खर्च किया गया था. सर्वे में प्रति वर्ष 20 प्रतिशत की दर से खर्चे में इजाफे की संभावना व्यक्त की गई थी. केपीएमजी रिपोर्ट के अनुसार ही भारत में शादियों का कारोबार अमेरीका के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है.

देश में करीब एक करोड़ शादियां प्रति वर्ष होती हैं. लॉकडाउन के कारण शादियों के कारोबार पर बुरा प्रभाव पड़ा है, जिसने करोड़ों लोगों के रोजगार को प्रभावित किया है. यदि समय रहते सरकार की ओर से प्रभावित लोगों को राहत देने के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए तो हालात और भी बदतर हो सकते हैं.

 


लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।

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