वाम दलों ने प्रवासी मजदूरों से घर पहुंचाने के एवज में उनसे पैसा वसूलने के सरकार के आदेश की कड़ी निंदा की है और इसे मजदूर और मानवता विरोधी कदम बताया है. इसके खिलाफ बिहार में वाम दलों ने 5 मई को लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए 11 बजे से 3 बजे तक धरना देने का आह्वान किया है. वामपंथी दलों ने कहा है कि सरकार पीएम केयर फंड से सभी मजदूरों को घर पहुंचाए.
वाम नेताओं ने कहा कि कार्यक्रम में एक जगह जमा नहीं होना है और शारीरिक दूरी बनाकर रखना है. बहुसंख्यक गरीब ही भारत ही नहीं पूरी दुनिया में इस रोग के सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं.
वामपंथी नेताओं ने सरकार से सभी मजदूरों को 10 हजार रु गुजारा भत्ता, मारे गए मजदूरों को 20 लाख मुआवजा, बिना कार्ड वालों सहित सभी मजदूरों को 3 महीने का राशन और काम की गारंटी करने की मांग की है. नेताओं ने इस विकट दौर में नया पार्लियामेंट भवन, प्रधानमंत्री आवास व महंगा जहाज खरीदने के औचित्य पर सवाल उठाया है.
भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह, सीपीआईएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार, भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा, आरसपी के वीरेंद्र ठाकुर व फारवर्ड ब्लॉक के अमीरक महतो नेताओं ने टेलीफोनिक वार्ता करके इस कार्यक्रम को तय किया. वाम नेताओं ने अन्य लोकतांत्रिक-प्रगतिशील शक्तियों से इस कार्यक्रम को समर्थन देने की अपील की है.
वाम नेताओं ने कहा है कि देशव्यापी विरोध के बाद अंततः सरकार प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने पर सहमत हुई है. लेकिन, केन्द्र सरकार ने अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ते हुए ट्रेन किराया राज्य से वसूलने की बात की है.
इधर बिहार सरकार ने किराया देने से इनकार करते हुए इसे मजदूरों से वसूलने की घोषणा की है. विडंबना यह है कि पीएम केयर फंड में करोड़ों-अरबों रुपए जमा हैं और प्रधान मंत्री मोदी इसे मजदूरों पर खर्च करना नहीं चाहते.
केन्द्र और राज्य सरकार के बीच जिम्मेवारी को लेकर फेंका-फेंकी का खेल खेला जा रहा है और पूरा बोझ भुखमरी- बेरोजगारी की मार झेल रहे मजदूरों पर ही डाला जा रहा है.
अस्पताल में सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने के बजाए केन्द्र सरकार सेना के विमान से अस्पताल आदि जगहों पर फूल बरसाने जैसे शो-बाजी के कार्यक्रम में देश के धन का दुरुपयोग कर रही है. वहीं 6800 करोड़ रूपये के दो विषेष विमान की खरीद घोर निंदनीय है. इतना ही नहीं, एक ओर पूरे देश में मजदूरों के सामने घोर संकट है तो दूसरी ओर नया पार्लियामेंट भवन बनाने और प्रधानमंत्री आवास बनवाने की भी योजना बना रही है. यह बेहद हास्यास्पद है.
सरकारी कर्मचारियों के वेतन कोरोना के नाम पर जबरदस्ती काटे जा रहे हैं, वहीं कॉरपोरेटों पर कोई लगाम नहीं है. सरकार उन्हें छूट पर छूट दिए जा रही है. बैंक से कॉरपोरेटों द्वारा लिए गए पैसों को वसूलने की बजाय डूबने वाले खाते में डालकर एक तरह से माफ कर दिया गया है.
डबल इंजन की तथाकथित सरकार पर निशाना साधते हुए वामपंथी नेताओं ने कहा कि जब दिल्ली-पटना में भाजपा-जदयू की ही सरकार है, तो प्रवासी मजदूरों को वापस लाने में देरी क्यों हो रही है? नीतीश कुमार और सुशील मोदी इसका जवाब दें.
वाम नेताओं ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन के दरम्यान घर लौटने के दौरान रास्ते में, भूख, आत्महत्या, दुर्घटना, भीड़ हिंसा आदि में अनेक लोगों को जान गवांनी पड़ी है. ऐसे तमाम मृतक मज़दूरों के परिवारों को पीएम केअर फण्ड से 20-20 लाख रु के मुआवजे देना चाहिए. यह मौत नहीं हत्या है जिसके लिए सरकार जिम्मेदार है.
वाम नेताओं ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को 10 हजार लॉक डाउन भत्ता, बिना राशन कार्ड वाले सहित सभी गरीबों को 3 माह का राशन, मारे गए मज़दूरों को 20 लाख का मुआवजा तथा मुफ्त में सुरक्षित घर वापसी की गारन्टी की जानी चाहिए.
(विज्ञप्ति पर आधारित)