मोदीजी की दूसरी पारी के 100 दिन बीतने के जश्न में केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा, “देश में रोजगार और नौकरियों की कोई कमी नहीं है बल्कि उत्तर भारतीयों में योग्यता की कमी है।”
गंगवार ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि उन्हें जिस पद के लिए भर्ती करनी है उसके लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिलते हैं।
#WATCH MoS Labour & Employment, Santosh K Gangwar says, "Desh mein rozgaar ki kami nahi hai. Humare Uttar Bharat mein jo recruitment karne aate hain is baat ka sawaal karte hain ki jis padd (position) ke liye hum rakh rahe hain uski quality ka vyakti humein kum milta hai." (14/9) pic.twitter.com/qQtEQA89zg
— ANI (@ANI) September 15, 2019
संतोष गंगवार का बयान ऐसे समय आया है जब बेरोजगारी और आर्थिक हालात को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने गंगवार के इस बयान पर पलटवार किया.
मंत्रीजी, 5 साल से ज्यादा आपकी सरकार है। नौकरियाँ पैदा नहीं हुईं। जो नौकरियाँ थीं वो सरकार द्वारा लाई आर्थिक मंदी के चलते छिन रही हैं। नौजवान रास्ता देख रहे हैं कि सरकार कुछ अच्छा करे।
आप उत्तर भारतीयों का अपमान करके बच निकलना चाहते हैं। ये नहीं चलेगा।https://t.co/2f9ZhGmVoT
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) September 15, 2019
हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा कर 2014 में सत्ता पाने के बाद मोदी सरकार ने अपनी पहली पारी में जहां बेरोजगारी के आंकड़ों पर रोक लगा दी और इससे जुड़े सवालों को भटका दिया, वहीं उनकी दूसरी पारी से पहले इस बात का उद्घाटन हो गया कि बीते 45 वर्षों में देश में आज सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की रिपोर्ट जनवरी में लीक हुई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार देश में 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1% रही। यह 45 साल में सबसे ज्यादा है।
इन सबके बाद भी पीयूष गोयल सहित मोदी मंत्रिमंडल के सदस्य और सरकार दावा करती रही है कि देश का युवा अब नौकरी करना नहीं चाहता बल्कि वह नौकरी देना चाहता है!
अब यह नया शिगूफा खुद रोजगार मंत्री ने छोड़ा है.
गौरतलब है कि देश में बेरोजगार युवाओं को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमला बोलती रही है. कुछ समय पहले ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ऑटो क्षेत्र के संकट से घिरे होने संबंधी खबरों को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि इस पर सरकार की चुप्पी सबसे ज्यादा खतरनाक है.
याद कीजिये रोजगार के सवाल पर मोदीजी ने सुधीर चौधरी से बात करते हुए क्या कहा था? ठेले पर पकौड़े बेचने वाले को मोदीजी ने सरकार द्वारा नौकरी देने के श्रेणी में शामिल बताया था. जबकि आज यदि कहीं किसी सरकारी विभाग में 200 पद के लिए विज्ञापन आता है तो लाखों युवा आवेदन भरते हैं, पर मोदीजी का नारा है- अब नामुमकिन भी मुमकिन है.
सांख्यिकी विभाग से लीक रिपोर्ट के अनुसार, देश में वर्ष 1972-73 के बाद बेरोजगारी दर सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है. शहरी इलाकों में बेरोजगारी की दर 7.8 फीसदी है, जो ग्रामीण इलाकों में इस दर (5.3 फीसदी) के मुकाबले ज्यादा है.
रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों की शिक्षित युवतियों में वर्ष 2004-05 से 2011-12 के बीच बेरोजगारी की दर 9.7 से 15.2 फीसदी के बीच थी, जो वर्ष 2017-18 में बढ़ कर 17.3 फीसदी तक पहुंच गई. ग्रामीण इलाकों के शिक्षित युवकों में इसी अवधि के दौरान बेरोजगारी दर 3.5 से 4.4 फीसदी के बीच थी जो वर्ष 2017-18 में बढ़ कर 10.5 फीसदी तक पहुंच गई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों के 15 से 29 साल की उम्र वाले युवकों में बेरोजगारी की दर वर्ष 2011-12 में जहां पांच फीसदी थी, वहीं वर्ष 2017-18 में यह तीनगुने से ज्यादा बढ़ कर 17.4 फीसदी तक पहुंच गई. इसी उम्र की युवतियों में यह दर 4.8 से बढ़ कर 13.6 फीसदी तक पहुंच गई. रोजगार के अभाव में शिक्षित बेरोजगारों में हताशा लगातार बढ़ रही है.
ऐसे में संतोष गंगवार के बयान का सीधा सा मतलब यह निकल रहा है कि नौकरी तो है लेकिन लोग ही उसके काबिल नहीं हैं.